RE: Kamukta kahani अनौखा जाल
“आं.. मम्म.. अह.. हो सकता है कभी गई हूँ... हर बात तो हर समय याद नही रहता है ना...” चाची थोड़ा काँप उठी इस बार |
विनय मुस्कराता हुआ दीप्ति के बहुत करीब आया, डंडे के एक सिरे को दीप्ति के चेहरे के एक तरफ़ रखते हुए धीरे धीरे नीचे गले तक आया, वहाँ दो बार गोल गोल डंडे को घूमाया और फिर डंडे को वक्षों तक ला कर पल्लू को हटा कर क्लीवेज देखने लगा ... बड़े ही हसरत के साथ... दीप्ति, जो अभी तक डर रही थी किसी तरह का कोई प्रतिरोध करने से ; पल्लू के हट जाने से तुरंत पीछे हटते हुए पल्लू को संभाली और वक्षों को भली प्रकार ढकते हुए ज़ोर से बोली,
“ये क्या बेहूदगी है इंस्पेक्टर साहब... होश में हैं? ये कोई तरीका है किसी महिला से बात करने का ?”
चाची के अचानक से इस रवैये का अंदाज़ा नहीं किया था विनय ने.. इसलिए कुछ देर के लिए हक्का बक्का सा रह गया पर बहुत जल्दी ही खुद को संभालते हुए कहा,
“तरीका हमें अच्छे से मालूम है मिसेस रॉय... आज कोई ख़ास पूछताछ नही करनी थी.. पर अगली बार सबूतों के साथ आऊंगा... और यकीं मानिए, बहुत अच्छे से पूछताछ करूँगा |” कहते हुए दीप्ति को ऊपर से नीचे तक खा जाने वाली नज़र से देखा और फ़िर एक कुटिल मुस्कान देता हुआ दरवाज़े से बाहर निकल गया |
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रात के एक बज रहे हैं...
चारों तरफ़ सन्नाटा ...
बाहर साएँ साएँ से ठंडी हवा चल रही है ....
घुप्प अँधेरा.....
और ऐसे वक़्त अभय के कमरे से दीप्ति की एक मधुर, कराहने सी आवाज़ पूरे वातावरण में तैर जाती है,
“आह:.. आःह्ह्ह... अह्ह्ह.ssssssss….इस्स्स्सssss….ssss.....आह्हsssssss.... ऐसेsss..नहीं... अब ….और ना…… तड़पाओsssssss….”
क्रमशः
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