DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
09-13-2020, 12:18 PM,
#10
RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
सुनीता कर्नल साहब की बात सुनकर हंस पड़ी और बोली, "जस्सूजी, आपका बहुत शुक्रिया, मुझे सही रास्ता दिखाने के लिए। मेरे पिताजी ने अपना जीवन देश की सेवा में लगा दिया था। उनका एक मात्र उद्देश्य यह था की हमारा देश की सीमाएं हमेशा सुरक्षित रहे। उस पर दुश्मनों की गन्दी निगाहें ना पड़े। उनका दुसरा ध्येय यह था की देश की सेवा में शहीद हुए जवानों के बच्चे, कुटुंब और बेवा का जीवन उन जवानों के मरने से आर्थिक रूप से आहत ना हो।"

कर्नल ने कहा, "आओ, हम भी मिलकर यह संकल्प करें की हम हमारी सारी ताकत उन के दिखाए हुए रास्ते पर चलने में ही लगा दें। हम निर्भीकता से दुश्मनों का मुकाबला करें और शहीदों के कौटुम्बिक सुरक्षा में अपना योगदान दें। यही उनके देहांत पर उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी और उनका सच्चा श्राद्ध होगा।"

सुनीता की आँखों में आँसू आ गये। सुनीता कर्नल से लिपट गयी और बोली, "जस्सूजी, जितना योगदान मुझसे बन पडेगा मैं दूंगी और उसमें आपको मेरा पथ प्रदर्शक और मार्ग दर्शक बनना होगा।"

कर्नल ने मुस्कराते हुए कहा, "यह मेरा सौभाग्य होगा। पर डार्लिंग, मुझमें एक कमजोरी है और मैं तुम्हें इससे अँधेरे में नहीं रखना चाहता हूँ। जब मैं तुम्हारी सुन्दरता, जांबाज़ी और सेक्सीपन से रूबरू होता हूँ तो अपने रंगीलेपन पर नियत्रण नहीं रख पाता हूँ। मैं आपका पूरा सम्मान करता हूँ पर मुझसे कभी कहीं कोई गलती हो जाए तो आप बुरा मत मानना प्लीज?"

सुनीता ने भी शरारती मुस्कान देते हुए कहा, "आप के रँगीलेपन को मैंने महसूस भी किया और वह दिख भी रहा है।"

क्या सुनीता का इशारा कर्नल की टाँगों के बिच के फुले हुए हिस्से की और था? पता नहीं। शायद सुनीता ने जब कर्नल साहब को जफ्फी दी तो जरूर उसने कर्नल साहब का रँगीलापन महसूस किया होगा।

जब सुनीता कर्नल साहब के साथ चाय लेकर मुस्काती हुई ड्राइंग रूम में वापस आयी तो उसे मुस्काती देख कर सुनील को यकीन ही नहीं हुआ की यह वही उसकी पत्नी सुनीता थी जो चंद मिनट पहले अपना रोना रोक ही नहीं पा रही थी। सुनील ने कर्नल साहब की और मुड़ कर कहा, "कर्नल साहब, आपने सुनीता पर क्या जादू कर दिया? मुझे यकीन ही नहीं होता की आपने कैसे सुनीता को मुस्काना सीखा दिया। मैं आपका बहुत बहुत शुक्र गुजार हूँ। सुनीता को मुस्कराना सीखा कर आज आपने मेरी जिंदगी में नया रंग भर दिया है। आपने तो मेरी बिगड़ी हुई जिंदगी बना दी मेरी परेशानी दूर करदी।"

कर्नल साहब ने हंस कर कहा, "सुनील भाई, मैंने सुनीता को हँसता कर दिया है इसका मतलब यह नहीं की आप उस पर अचानक ही चालु हो जाओ। रात को उसे ज्यादा परेशान मत करना। उसे थोड़ा आराम करने देना।"

कर्नल साहब की बात सुनकर सुनील हँस पड़ा। सुनील की पत्नी सुनीता शर्म से अपना मुंह चुनरी में छुपाती हुई रसोई की और भागते हुए बोली, "जस्सूजी अब बस भी कीजिये। मेरी ज्यादा खिचाई मत करिये।"

इसके काफी दिनों तक कर्नल साहब कहीं बाहर दौरे पर चले गए। उनकी और सुनील की मुलाकात नहीं हो पायी। इस बिच सुनीता ने बी.एड. का फॉर्म भरा। सुनीता की सारे विषयों में बड़ी अच्छी तैयारी थी पर उसे गणित में बहुत दिक्कत हो रही थी। सुनीता गणित में पहले से ही कमजोर थी। सुनीता ने अपने पति सुनील से कहा, "सुनील, मैं गणित में कुछ कोचिंग लेना चाहती हूँ। मेरे लिए नजदीक में कहीं गणित का एक अच्छा शिक्षक ढूंढ दो ना प्लीज?"

सुनील ने इधर उधर सब जगह पता किया पर कोई शिक्षक ना मिला। सुनील और सुनीता से काफी परेशान थे क्यूंकि परीक्षा का वक्त नजदीक आ रहा था। उस दरम्यान सुनीता की मुलाक़ात कर्नल साहब की पत्नी ज्योति से सब्जी मार्किट में हुई। दोनों मार्किट से वापस आते हुए बात करने लगीं तब सुनिता ने ज्योति को बताया की उसे गणित के शिक्षक की तलाश थी। तब ज्योति ने सुनीता की और आश्चर्य से देखते हुए पूछा",सुनीता, क्या सच में तुम्हें नहीं मालुम की कर्नल साहब गणित के विषय में निष्णात माने जाते हैं? उन्हें गणित विषय में कई उपाधियाँ मिली हैं। पर यह मैं नहीं कह सकती की वह तुंम्हें सिखाने के लिए तैयार होंगें या नहीं। वह इतने व्यस्त हैं की गणित में किसीको ट्यूशन नहीं देते।"

जब सुनीता ने यह सूना तो वह ख़ुशी से झूम उठी। वह ज्योति के गले लग गयी और बोली, "ज्योतिजी, आप मेहरबानी कर कर्नल साहब को मनाओ की वह मुझे गणित सिखाने के लिए राजी हो जाएं।"

ज्योति सुनीता के गाल पर चूँटी भरते हुए बोली, "यार कर्नल साहब तो तुम पर वैसे ही फ़िदा हैं। मुझे नहीं लगता की वह मना करेंगे। पर फिर भी मैं उनसे बात करुँगी।"

उस हफ्ते सुनीता ने ज्योति और कर्नल साहब को डिनर पर आने के लिए दावत दी। तब कर्नल साहब ने सुनील के सामने एक शर्त रखी। पिछली बार सुनील की पत्नी सुनीता ने कुछ भी सख्त पेय पिने से मना कर दिया था। कर्नल साहब ने कहा की आर्मी के हिसाब से यह एक तरह का अपमान तो नहीं पर अवमान गिना जाता है। कर्नल साहब का आग्रह था की अगर वह सुनील के घर आएंगे तो सुनीताजी एक घूंट तो जरूर पियेंगी।
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