RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
पिक्चर खत्म हो चुकी थी। सारे दर्शकों के दिमाग में वही भावावेश और उन्मादक उत्तेजना एक सिक्के की तरह छप गयी थी। जस्सूजी, ज्योति, सुनील और सुनीता पिक्चर के अचानक ख़त्म होते ही भौंचक्के से खड़े हो कर अपने कपडे ठीक करने में लग गए। जाहिर था की चारों अपने निकट बैठे हुए जोड़ीदार से कुछ ना कुछ हरकत कर रहे थे। कुछ भी बोलने का कोई अवसर ही नहीं था। सब एक दूसरे से नजरें बचा रहे थे या फिर दोषी की तरह खिसियाई नज़रों से देख रहे थे। वापसी में ट्रैन में कुछ भीड़ नहीं थी। सब ट्रैन में चुपचाप बैठे और बिना बोले वापस अपने घर पहुंचे। दोनों महिलाएं समय गँवाये बिना, फुर्ती से ऊपर सीढ़ियां चढ़कर अपने फ्लैट में पहुँच गयी।
निचे कर्नल साहब और सुनील बाई बाई करने के लिए और हाथ मिलाने के लिए खड़े हुए और एक दूसरे की और खिसियानी नजर से देखने लगे तब कर्नल साहब ने सुनील से कहा, "देखिये सुनीलजी, आज जाने अनजाने हमारी दोस्ती, दोस्ती से आगे बढ़कर दोस्ताना बन गयी है। हम दोनों परिवार कुछ अधिक करीब आ रहे हैं। हमें चाहिए की हमारे बिच कुछ ग़लतफ़हमी या मनमुटाव ना हो। इस लिए अगर आप दोनों में से किसी के भी मन में ज़रा सी भी रंजिश हो या आपको कुछ भी गलत या अरुचिकर भी लगे तो तो प्लीज खुल कर बोलिये और मुझे अपना मान कर साफ़ साफ़ बताइयेगा। मेरे लिए और ज्योति के लिए आप दोनों की दोस्ती अमूल्य है। हम किसी भी कारणवश उसपर आँच नहीं आने देंगे।"
सुनील ने अपना हाथ कर्नल साहब के हाथों में देते हुए कहा, "ऐसी कुछ भी बात नहीं है। हम भी आप दोनों को उतना ही अपना मानते हैं जितना आप हमको मानते हैं। हमारे बिच कभी कोई भी मनमुटाव या गलत फहमी हो ही नहीं सकती क्यूंकि हम चारों एक दूसरे की संवेदनशीलता का पूरा ख्याल रखते हैं। आज या पहले ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो हम सब नहीं चाहते हों। जहां तक मुझे लगता है, आगे भी ऐसा नहीं होगा। पर अगर ऐसा कुछ हुआ भी तो हम जरूर आप से छुपायेंगे नहीं। हमारे लिए भी आप की दोस्ती अमूल्य है।"
दोनों कुछ चैन की साँस लेते हुए अपने फ्लैट में अपनी पत्नियों के पास पहुंचे। कर्नल साहब के घर पहुँचते ही ज्योति उनके गले लिपट गयी और कर्नल साहब के लण्ड को सहलाती हुई उनके लण्ड की और देख कर हँस कर शरारत भरी आवाज में बोली, "मेरे जस्सूजी! आज मेरे इस दोस्त को कुछ नया एहसास हुआ की नहीं?"
कर्नल साहब अपनी पत्नी की और खिसियानी नजर से देखने लगे तब ज्योति ने फिर हँस कर वही शरारती ढंग से कहा, "अरे मेरे प्यारे पति! इसमें खिसिया ने की क्या बात है?" ज्योति फिर अपने पति की बाँहों में चली गयी और बोली, "अरे मेरी प्यारी सुनीता के जस्सूजी! जो हुआ वह तो होना ही था! मैंने यह सब करने के लिए ही तो यह पिक्चर का प्लान किया था। क्या मैं अपने पति को नहीं जानती? और यह भी सुन लीजिये। तुम्हारे दोस्त सुनील भी तुमसे कुछ कम नहीं हैं। उन्होंने भी तुम्हारी तरह कोई कसर नहीं छोड़ी।"
घर पहुँच ने पर सुनीता और सुनील के बिच में कोई बातचीत नहीं हुई। सुनीता बेचारी झेंपी सी घर पहुँचते ही घरकाम (खाना बनाना, शाम की तैयारी इत्यादि) में जुट गयी। सुनील सुनीता की मनोदशा समझ कर चुप रहे। उन्हें सुनीता की झेंप के कारण का अच्छा खासा अंदाजा तो था ही। वह खुद भी तो जानते थे की जो उन्होंने ज्योति के साथ किया था शायद उससे कुछ ज्यादा कर्नल साहब ने सुनीता के साथ करने की कोशिश की होगी।
सुनीता के बैडरूम में उस रात गजब की धमाकेदार चुदाई हुई। जैसे ही सुनीता ने बैडरूम में पहुँच कर दरवाजा बंद किया की फ़ौरन दौड़ कर वह सुनील से लिपट गयीं और बोली, "सुनील डार्लिंग, देखो तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहूं?"
सुनील कुछ ना बोला और अपना सर हिला कर उसने अपनी पत्नी सुनीता की और देखा तो वह बोली, "मैं तुमको बार बार कह रही थी की मेरे पास बैठो। पर तुमने मेरी बात नहीं मानी। आखिर में कर्नल साहब से रहा नहीं गया और आज कुछ ज्यादा ही हो गया।"
सुनील ने अपनी बीबी की जाँघों के बिच हाथ सरकाते हुए कहा, "डार्लिंग, क्या हुआ? मैंने तुम्हें कहा था ना की ज्यादा से ज्यादा क्या हो सकता था? डार्लिंग जो भी हुआ अच्छा ही हुआ। पर यह सब बातें मुझे नहीं सुननी। आज मेरा तुम्हें चोदने का बहुत मन कर रहा है। चलो तैयार हो जाओ।"
सुनीता ने शर्माते हुए कहा, "मैं भी तुम्हारा मोटा लण्ड डलवाने के लिए तड़प रही हूँ।"
सुनील ने तब अपनी पत्नी की चिबुक अपनी उँगलियों में पकड़ कर सुनीता की नजर से नजर मिलाकर पूछा, "डार्लिंग, एक बात सच सच बताओ, क्या कर्नल साहब का लण्ड वाकई में बड़ा है?"
सुनीता के गालों पर एकदम गहरी लालिमा छा गयी। वह अपने पति से नजरें चुरा कर बोली, "तुम क्या फ़ालतू बकवास कर रहे हो? मुझे क्या पता? मैं कोई उनका लण्ड थोड़े ही देख रही थी? बड़ा ही होगा। इतने हट्टेकट्टे जो हैं। लण्ड भी तो बड़ा ही होगा। अगर तुम्हें पता करना ही है, तो तुम ज्योति जी से क्यों नहीं पूछते की उनके पति का लण्ड कितना बड़ा है? अब तो तुम दोनों इतने करीब आ ही चुके हो?"
और उस रात फिर एक बार और सुनील और उसकी बीबी सुनीता ने जम कर चुदाई की। सुनीता पर तो जैसे कोई भूत ही सवार हो गया था। सुनीता सुनील के ऊपर चढ़कर उसे ऐसी फुर्ती से जोरशोर से चोदने लगी की सुनील का तो कुछ ही देर में छूट गया।
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उस दिन सुनील अपने ऑफिस के काम के सन्दर्भ में कहीं दो दिन के टूर गया हुआ था। कर्नल साहब और सुनील की पत्नी सुनीता परीक्षा की तैयारियों में लगे हुए थे। कर्नल साहब गणित के कुछ कठिन दाखिले सुलझाने के लिए और उसे अपनी शिष्या सुनीता को कैसे वह आसानी समझा पाएं उस के लिए पूरी रात जाग कर तैयारी कर रहे थे।
कर्नल साहब जानते थे कई बार परीक्षा में कोई कठिन दाखिला विद्यार्थी को विचलित कर सकता है और वह सुनीता के साथ ऐसा कुछ ना हो यह पक्का करना चाहते थे। इसी लिए कर्नल साहब ने दो दिन छुट्टी भी ले रक्खी थी। सुनीता ने अपने बैडरूम में से देखा की कर्नल साहब के स्टडी रूम की बत्ती पूरी रात जल रही थी। कई बार सुनीता ने अपने बैडरूम से कर्नल साहब को हाथ में किताब लिए कमरे में इधर उधर चहल कदमी करते हुए भी देखा।
सुनीता जानती थी की कर्नल साहब उसे दूसरे दिन पढ़ाने के लिए और वह परीक्षा में अव्वल दर्जे में सफल हो उसकी पूरी तैयारी में जुटे हुए थे। यह देख कर सुनीता समझ नहीं पायी की ऐसे इंसान के लिए क्या किया जाए। जो इंसान किसी दूसरे की सफलता के लिए ऐसे जी जान से लग जाए उसे क्या कहा जाए?
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