RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
सुनील और कर्नल साहब पता लगाने की कोशिश कर रहे थे की रिजल्ट कब आएगा, पर जवाब एकदम वही रटा रटाया मिलता, "जैसे ही तारीख तय होगी तो आपको बता दिया जाएगा।" काफी दिनों के बीत जाने के बाद भी रिजल्ट के कोई आसार नहीं थे। करीब बिस दिन बीत गए इस बात को। एक दिन सुनील सुबह करीब साढ़े आठ बजे ऑफिस जाने की तैयारी में थे। वह डाइनिंग टेबल पर बैठ नाश्ता कर रहे थे की अचानक घर की घंटी बजी।
सुनीता ने जैसे ही दरवाजा खोला की कर्नल साहब को हाथ में एक अखबार थामे सामने खड़े हुए पाया। उनका मुंह एकदम दुखी और कुम्हलाया हुआ था। सुनीता ने जब देखा की कर्नल साहब एकदम हतोत्साहित, उदास और हाथ में अखबार लिए हुए देखा तो सुनीता की जान हथेली में आगयी। जरूर कोई बहुत दुःख भरा समाचार होगा। सुनील भी टेबल के पास खड़े हो गए और बोले, "कर्नल साहब, क्या हुआ? आप इतने उदास क्यों लग रहे हो? क्या कोई दुःख भरा समाचार है?"
यह सुनकर कर्नल साहब बड़े दुखी दिखाई दिए। वह सुनीता की और देख कर बोले, मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा था। यह क्या हो गया?"
सुनीता की सांस रुक गयी। वह बोली, "पर जस्सूजी बताओ ना आखिर बात क्या है?"
कर्नल साहब ने दुःख भरी आवाज में कहा, "रिजल्ट आ गया है। पर सुनीता का नाम पासिंग लिस्ट में नहीं है।" ऐसा कह कर वह पास में रखे हुए सोफे पर बड़ी मुश्किल से बैठ गए। समाचार सुनकर कमरे में सन्नाटा छा गया। सुनील ने कहा, "पर ऐसा कैसे हो सकता है? सुनीता ने तो कहा था उसका पेपर बहुत अच्छा गया है?"
कर्नल साहब ने सुनील की और दुःख भरी नज़रों से देखा और कहा, "मेरी सारी महेनत पानी में गयी। अफ़सोस मैं सुनीता को गणित में पास नहीं करवा पाया।"
सुनीता एकदम कर्नल साहब के पास आयी और उनका हाथ थामा और बोली, "कोई बात नहीं कर्नल साहब। दुखी मत होइए। इस बात से जिंदगी ख़तम नहीं हो गयी। हम दूसरी बार कोशिश करेंगे।"
सुनील ने कर्नल साहब के हाथसे अखबार लिया और बोले, "ऐसा हो नहीं सकता। कहीं ना कहीं अखबार की छपाई में भी गलती हो सकती है। ऐसा कर जब सुनील ने अखबार खोला तो पाया की पहले ही पेज पर सुनीता की बड़ी फोटो छपी थी और उसके निचे लिखा था, "गणित में सबसे सर्वोत्तम अंक दिल्ली की एक शादी शुदा महिला सुनीता मडगाँव कर को।"
यह देख कर सुनील की आँखें फटी की फटी ही रह गयी। सुनील ने कर्नल साहब की और आश्चर्य से देखा तो कर्नल साहब एकदम हँस पड़े। उन्होंने आगे झुक कर सुनीता के घुटनों को दोनों हाथों में पकड़ कर ऊपर उठा लिया और बोले, "अरे पागल, तुम पास नहीं हुई, तुम पुरे देश में टॉप आयी हो!"
सुनीता को कर्नल साहब की बात पर विश्वास नहीं हुआ। उसने तुरंत अपने पति सुनील के हाथों से अखबार छीन लिया और पहले ही पेज पर अपना फोटो देख कर स्तब्ध रह गयी। कर्नल साहब की बाहों में ही रहते हुए सुनील की पत्नी सुनीता ने कर्नल साहब को नकली गुस्से भरे घूंसे मारने शुरू किये और बोली, "जस्सूजी, आपने तो मेरा हार्ट फ़ैल ही कर दिया था।"
कर्नल साहब ने कहा, "हार्ट फ़ैल हो तुम्हारे दुश्मनों का। तुम ना सिर्फ फर्स्ट आयी हो, तुमने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सुनीता डार्लिंग आज तुमने तो कमाल कर दिया।"
सुनीता ने जस्सूजी के सर पर चुम्मा करते हुए कहा, "यह कमाल मेरा नहीं आपका है। अगर आप मुझे पढ़ाने के लिए इतनी महेनत ना करते तो मैं टॉप करने की बात ही क्या, पास भी नहीं हो पाती।"
सुनील ने कहा, "कर्नल साहब, सुनीता ठीक कह रही है। उसे गणित विषय से ही नफरत थी लेकिन आप ने उस नफरत को मोहब्बत में बदल दिया।"
सुनीता ने गाउन पहन रखा था। उस का पेट और उसके निचे का हस्सा कर्नल साहब के मुंह के पास ही था। कर्नल साहब ने सुनीता के पेट पर गाउन के ऊपर से ही चुम्मी करते हुए कहा, "ठीक है, मैंने महेनत की, पर सुनीता ने पूरा मन लगा कर पढ़ाई की और नतीजा आपके सामने है। आज मैं बहुत खुश हूँ। भाई सुनील, आज तो पार्टी हो जाए।"
सुनीता ने अपने पति सुनील की और देख कर कहा, "पार्टी कर ने का काम आप दोनों का है। मुझे तो जब आप बुलाओगे तो मैं आ जाउंगी।"
सुनील ने कहा, "अरे भाई अब तो पार्टियों का दौर चलता ही रहेगा।"
उस पुरे दिन सुनील और सुनीता ने घर का फ़ोन पुरे दिन बजता रहा। कई अखबार और टीवी चैनल्स के प्रतिनिधि आये। उस दिन सुनील और कर्नल साहब ने एक दिन की छुट्टी ले ली। हर इंटरव्यू में सुनीता ने इस सफलता का श्रेय कर्नल साहब को दिया। अखबारों में सुनीता की फोटो कर्नल साहब के साथ छपी। एक अखबार ने तो कर्नल साहब की जीवनी भी प्रकाशित कर डाली।
उस दिन शाम को सब इतने थके हुए थे की आखिरी इंटरव्यू ख़तम होते ही सुनील सुनीता और जसवंत सिंघजी अपने घर में जाकर ढेर हो गए।
जब घर का सारा काम ख़तम कर ज्योति बैडरूम में आयी तो उनके पति जस्सूजी टीवी पर समाचार देख रहे थे। हर चैनल पर थोड़ा ही सही पर कहीं ना कहीं उनकी और सुनीता की तस्वीर या इंटरव्यू जरूर आया था। ज्योति ने बिस्तरे में आते हुए अपने पति जस्सूजी को कहा, "आज तो तुमने अपना कमाल दिखा ही दिया। हर जगह तुम्हारी चेली सुनीता तुम्हारे ही गुण गाया करती थी। मानना पड़ेगा। सुनीता तुम्हारी पक्की चेली है। वह तुम्हारे अहसानों के निचे इतनी दबी है की तुम जो चाहो उससे ले सकते हो।"
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