RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
एक हाथ से नीतू कुमार के नंगे लण्ड को सेहला रही थी और दोनों हाथों से कुमार नीतू के दो गुम्बजों पर अपनी उँगलियाँ और हथेली घुमा रहा था और बार बार नीतू की निप्पलों को पिचका रहा था। नीतू ने सोचा की वह समय और जगह चुदाई करने लायक नहीं थी। कोई भी उन्हें पर्दा हटा कर देख सकता था। दूसरी बात यह भी थी की नीतू जब मूड़ में होती थी तब चुदाई करवाते समय उसे जोर से कराहने की आदत थी। उस रात एकदम सन्नाटे सी ट्रैन में शोर करना खतरनाक हो सकता था।
नीतू ने कुमार का लण्ड अपनी हथेली में लेकर उसे जोर से हिलाना शुरू किया। नीतू ने कुमार से कहा, "अब तुम कुछ बोलना मत। चुपचाप पड़े रहो। तुम्हें आज रात कोई परिश्रम करने की जरुरत नहीं है। प्लीज मेरी बात मानो। आज रात को हम कुछ नहीं करेंगे। कुमार मैं तुम्हारी हूँ। अब तुम चुपचाप लेटे रहो। मैं तुम्हारी गर्मी निकाल देती हूँ। ओके? मैंने तुम्हें वचन दिया है की मौक़ा मिलते ही मैं तुम्हारे पास आ जाउंगी और हम वह सब कुछ करेंगे जो तुम चाहते हो। पर इस वक्त और कोई बात नहीं बस लेटे रहो।"
नीतू ने कुमार के लण्ड को जोर से हिलाना शुरू किया। कुछ ही देर में कुमार का बदन अकड़ने लगा। कुमार अपनी आँखे भींच कर नीतू के हाथ का जादू अपने लण्ड पर महसूस कर रहा था। कुमार से ज्यादा देर रहा नहीं गया। कुछ ही देर में कुमार के लण्ड से उसके वीर्य की पिचकारी फुट पड़ी और नीतू का हाथ कुमार के वीर्य से लथपथ हो गया।
सुनीलजी की आँखों में नींद ओझल थी। वह बड़ी उलझन में थे। उन्होंने अपनी पत्नी सुनीता को तो कह दिया था की वह रात में उसके साथ सोने के लिए (मतलब बीबी को चोदने के लिए) आएंगे, पर जब वास्तविकता से सामना हुआ तो उनकी हवाही निकल गयी। निचे के बर्थ पर ज्योतिजी सोई थीं। पत्नी के पास चले गए और अगर ज्योतिजी ने देख लिया तो फिर तो उनकी नौबत ही आ जायेगी।
हालांकि सुनीताजी तो सुनीलजी की बीबी थीं, पर आखिर माशूका भी तो बीबियों से जलती है ना? वह तो उन्हें खरी खोटी सुनाएंगे ही। कहेंगी, "अरे भाई अगर बीबी के साथ ही सोना था तो घर में ही सो लेते! रोज तो घर में बीबी के साथ सोते हुए पेट नहीं भरा क्या? चलती ट्रैन में उसके साथ सोने की जरुरत क्या थी? हाँ अगर माशूका के साथ सोने की बात होती तो समझ में आता है। जल्द बाजी में कभी कबार ऐसा करना पड़ता है। पर बीबी के साथ?" बगैरा बगैरा।
जस्सूजी ने देख लिया तो वह भी टिका टिपण्णी कर सकते थे। वह तो कुछ ख़ास नहीं कहेंगे पर यह जरूर कहेंगे की "यार किसी और की बीबी के साथ सोते तब तो समझते। तुमतो अपनी बीबी को ट्रैन में भी नहीं छोड़ते। भाई शादी के इतने सालों के बाद इतनी आशिकी ठीक नहीं।"
खैर, सुनीलजी डरते कांपते अपनी बर्थ से निचे उतर कर अपनी पत्नी की बर्थ के पास पहुंचे। उन्हें यह सावधानी रखनी थी की उन्हें कोई देख ना ले। यह देख कर उन्हें अच्छा लगा की कहीं कोई हलचल नहीं थी। ज्योतिजी और जस्सूजी गहरी नींद में लग रहे थे। उनकी साँसों की नियत आवाज उन्हें सुनाई दे रही थी।
सुनीलजी को यह शांति जरूर थीकि यदि कभी किसी ने उन्हें देख भी लिया तो आखिर वह क्या कह सकते थे? आखिर वह सो तो अपनी बीबी के साथे ही रहे थे न?
जब सुनीलजी अपनी बीबी सुनीता के कम्बल में घुसे तब सुनीता गहरी नींद में सो रही थी। सुनीलजी उम्मीद कर रहे थे की सुनीता जाग रही होगी। पर वह तो खर्रांटे मार रही थी। लगता था वह काफी थकी हुई थी। थकना तो था ही! सुनीता ने जस्सूजी के साथ करीब एक घंटे तक प्रेम क्रीड़ा जो की थी! सुनीलजी को कहाँ पता था की उनकी बीबी जस्सूजी से कुछ एक घंटे पहले चुदवाना छोड़ कर बाकी सब कुछ कर चुकी थी?
सुनीलजी उम्मीद कर रहे थे की उनकी पत्नी सुनीता उनके आने का इंतजार कर रही होगी। उन्होंने कम्बल में घुसते ही सुनीता को अपनी बाहों में लिया और उसे चुम्बन करने लगे। सुनीता गहरी नींद में ही बड़बड़ायी, "छोडो ना जस्सूजी, आप फिर आ गए? अब काफी हो गया। इतना प्यार करने पर भी पेट नहीं भरा क्या?"
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