RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
सुनील फिर उठे और उठ कर रेत पर लेटी हुई ज्योति को अपनी दोनों टाँगों के बिच में लेते हुए ज्योति के बदन पर झुक कर अपना पूरा लम्बा बदन ज्योति के ऊपर से सटाकर उस पर ऐसे लेटे जिससे उसका पूरा वजन ज्योति पर ना पड़े। फिर अपने होँठों को ज्योति के होँठों से सटाकर उसे चुम्बन करने लगे। ज्योति ने भी सुनील के होँठों को अपने होँठों का रस चूमने का पूरा अवसर दिया और खुद भी बार बार अपना पेंडू उठाकर सुनील के फूल कर उठ खड़े हुए लण्ड का अपनी रस रिस रही चूत पर महसूस करने लगी।
ऐसे ही लेटे हुए दो बदन एक दूसरे को महसूस करने में और एक दूसरे के बदन की प्यार और हवस की आग का अंदाज लगाने में मशगूल हो गए। उन्हें समय को कोई भी ख्याल नहीं था। ज्योति सुनील के होँठों को चूसकर उनकी लार बड़े प्यार से निगल रही थी। ज्योति की प्यासी चूत में गजब की मचलन हो रही थी। अनायास ही ज्योति का हाथ अपनी जाँघों के बिच चला गया।
ज्योति सुनील का लण्ड अपनी प्यासी चूत में डलवाने के लिए बेताब हो रही थी। जब सुनील ज्योति के होँठों का रस चूसने में लगे हुए थे तब ज्योति अपनी उँगलियों से अपनी चूत के ऊपरी हिस्से वाले होँठों को हिला रही थी। सुनील ने महसूस किया की ज्योति की चूत में अजीब सी हलचल होनी शुरू हो चुकी थी।
सुनील ज्योति के ऊपर ही घूम कर अपना मुंह ज्योति की जाँघों के बिच में ले आये। सुनील का लण्ड ज्योति के मुंह को छू रहा था। ज्योति की चूत तब सुनील की प्यासी आँखों के सामने थी। ज्योति की चूत की झाँटें ज्योति ने इतने प्यार से साफ़ की थी की बस थोडेसे हलके हलके बाल नजर आ रहे थे। सुनील को बालों से भरी हुई चूत अच्छी नहीं लगती थी। वह हमेशा अपनी पत्नी सुनीता की चूत भी साफ़ देखना चाहते थे। कई बार तो वह खुद ही सुनीता की चूत की सफाई कर देते थे।
ज्योति अपनी चूत में उंगलियां डाल कर अपनी उत्तजेना बढ़ा रही थी। सुनील ने ज्योति की उंगलियां हटाकर वहाँ अपनी जीभ रख दी। ज्योति की टाँगों को और चौड़ी कर ज्योति की चूत के द्वार पर त्वचा को सुनील चाटने लगे। पानी जीभ की नोक को ज्योति की संवेदनशील त्वचा पर कुरेदते हुए सुनील ज्योति की चुदवाने की कामना को एक उन्माद के स्तर पर वह पहुंचाना चाहते थे।
सुनील की जीभ लप लप ज्योति की चूत को चाटने और कुरेदने लगी। यह अनुभव ज्योति के लिए बड़ाही रोमांचक था क्यूंकि उसके पति जस्सूजी शायद ही कभी अपनी बीबी की चूत को चाटते थे। दूसरी तरफ सुनील का लण्ड एकदम घंटे की तरह खड़ा और कड़ा हो चुका था। ज्योति ने सुनील की निक्कर के इलास्टिक में अपनी उंगली फँसायी और निक्कर को टांगो की और खिसकाने लगी।
ज्योति सुनील का लण्ड देखना और महसूस करना चाहती थी। ज्योति ने सुनील की निक्कर को पूरी तरह उनके पाँव से निचे की और खिसका दिया ताकि सुनील अपने पाँव को मोड़ कर निक्कर को निकाल फेंक सके। निक्कर के निकलते ही, सुनील का खड़ा मोटा लण्ड ज्योति के मुंह के सामने प्रस्तुत हुआ। ज्योति ने सुनील का लंबा और मोटा लण्ड अपनी उँगलियों में लिया और उसे प्यार से हिलाने और सहलाने लगी।
ज्योति ने सुनील को पूछा, "सुनील, एक बात बताओ। तुमने मुझे कभी अपने सपने में देखा है? क्या मेरे साथ सपने में तुमने कुछ किया है?"
सुनील ने ज्योति की चूत में अपनी दो उँगलियाँ डालकर चूत की संवेदनशील त्वचा को उँगलियों में रगड़ते हुए कहा, "ज्योति, कसम तुम्हारी! एक बार नहीं, कई बार मैंने मेरी बीबी सुनीता को ज्योति समझ कर चोदा है। एक बार तो सुनीता को चोदते हुए मेरे मुंह से अनायास ही तुम्हारा नाम निकल गया। पर सुनीता को समझ आये उससे पहले मैंने बात को बदल दिया ताकि उसे शक ना हो की चोद तो मैं उसे रहा था पर याद तुम्हें कर रहा था।"
हर औरत, ख़ास कर किसी और औरत के मुकाबले अपनी तारीफ़ सुनकर स्वाभाविक रूप से खुश होती ही है। मर्द लोग यह भलीभांति जानते हैं और अपनी जोड़ीदार को चुदाई के लिए तैयार करने के लिए यह ब्रह्मास्त्र का अक्सर उपयोग करते हैं। जो भी पति लोग मेरी इस कहानी को पढ़ रहे हों, ध्यान रखें की अपनी पत्नी को चुदाई के लिए तैयार करने के लिए हमेशा उसके रूप,गुण और बदन की खूब तारीफ़ करो।
अगर कोई महिला इसे पढ़ रही है तो समझे की पति उनको वाकई में खूब प्रेम करते हैं और वह जो कह रहे हैं उसे सच समझे।
आसमान में सूरज ढलने लगा था। अचानक ज्योति को ख़याल आया की बातों बातों में समय जा रहा था। ज्योति ने सुनील से कहा, "यार समय जा रहा है। तुम्हारी बीबी तो मेरे पति को घास डालने वाली है नहीं। मेरे पति तो तुम्हारी बीबी को तैराकी सिखाते हुए ही रह जाएंगे। आखिर में रात को मुझे ही उनकी गर्मी निकालनी पड़ेगी। पर चलो तुम तो कुछ करो ना? तुम्हारे दोस्त की बीबी तो तैयार है।"
सुनील ज्योति की उच्छृंखल खरी खरी बात सुनकर मुस्कुरा दिए। ज्योति की साफ़ साफ़ बातें सुनील के लण्ड को फनफना के लिए काफी थीं। सुनील ने ज्योति को बैठा दिया और उनको अपनी बाँहों में उठा कर फिर पानी में ला कर रख दिया। किनारे के पत्थर पर ज्योति के हाथ टिका कर खुद ज्योति के पीछे आ गए और ज्योति की नंगी करारी और खूबसूरत गाँड़ की मन ही मन प्रशंशा करते हुए थोड़ा झुक कर ज्योति की गाँड़ की दरार में अपना लण्ड घुसेड़ा।
ज्योति ने सुनील का लण्ड अपनी उँगलियों में लिया और अपनी चूत की पँखुड़ियों पर थोड़ा सा रगड़ते हुए, उसे अपनी चूत के द्वार पर टिका दिया। फिर अपनी चूत की पंखुड़ियों को फैलाकर अपने प्रेमछिद्र में उसे थोडासा घुसने दिया। अपनी गाँड़ को थोड़ा सा पीछे की और धक्का मार कर ज्योति ने सुनील को आव्हान किया की आगे का काम सुनील स्वयं करे।
सुनील ने धीरे से ज्योति की छोटी सी नाजुक चूत में अपना मोटा लंबा और लोहे की छड़ के सामान कड़क खड़े लण्ड को थोड़ा सा घुसेड़ा। ज्योति पहली बार किसी मर्द से पानी में चुदवा रही थी। यहां तक की उस दिन तक उसने अपने पति से भी कभी पानी में खड़े रह कर चुदवाया नहीं था। यह पहला मौक़ा था की ज्योति पानीमें खड़े खड़े चुदवा रही थी और वह भी एक पराये मर्द से।
सुनील ने धीरे धीरे ज्योति की चूत में अपना लण्ड पेलना शुरू किया। ज्योति की चूत का मुंह छोटा होने के कारण ज्योति को दर्द हो रहा था। पर ज्योति को इस दर्द की आदत सी हो गयी थी। सुनील का लण्ड शायद ज्योति के पति जस्सूजी के लण्ड मुकाबले उन्न्नीस ही होगा। पर फिर भी ज्योति को कष्ट हो रहा था। ज्योति ने अपनी आँखें मूंदलीं और सुनील से अच्छीखासी चुदाई के लिए अपने आपको तैयार कर लिया।
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