RE: RajSharma Stories आई लव यू
जैसे-जैसे बस दिल्ली को छोड़ती जा रही थी, वैसे-वैसे शीतल का खयाल बढ़ता जा रहा था। उनसे पहली बार दर जा रहा था। अब तक हर एक दिन उनसे ही शुरू होता था और उन पर ही खत्म होता था... लेकिन आज ये पहला दिन था, जो उनकी आँखों में आए आँसुओं से शुरू हुआ था।
यहाँ मेरे जाने से शीतल जितना परेशान थी, उतनी ही खुशी ऋषिकेश में मेरे आने की थी।
दिल्ली से बस निकली ही थी और पापा ने फोन कर दिया था।
"हाँ बेटा, निकले?"- पापा ने फोन पर बोला।
"हाँ पापा, निकल चुका हूँ; गाजियाबाद पार कर चुकी है वॉल्वो।"
"चलो,अपना ध्यान रखना।"
गाजियाबाद से आगे बढ़ते ही शीतल के बारे में सोचते-सोचते मेरी आँख लग गई थी। मेरठ से आगे एक ढाबे पर बस रुकी हुई थी। बस के शीशे के बाहर छाया रात का अँधेरा छैट चुका था। सूरज निकलने को बेताब था।
“
ओ हलो... मिस्टर..."- बराबर बाली सीट पर बैठी एक लड़की ने मुझे उठाने की कोशिश की थी।
मैंने अपनी भारी आँखों को खोलने की कोशिश की, तो देखा कि साथ वाली सीट पर बैठी एक 23-24 साल की बहुत खूबसूरत लड़की मेरी तरफ देखकर मुस्करा रही है।
'गुड मानिंग!'- उसने कहा।
'गुड मार्निग'
"बस रुकी हुई है, सब लोग नीचे टी-ब्रेकफास्ट ले रहे हैं; तुम नहीं चलोगे?"
"चलता हूँ यार, आई रियली वांट ए टी।"
वो मेरे साथ ही बस से उतरी थी। मैं मुंह धोकर वॉशरूम से बापस आया, तब तक उसने कॉफी ऑर्डर कर दी थी।
"आई एम राज एंड थेंक्स मुझे उठाने के लिए।"
__ “माई मेल्फ डॉली एंड इट्स ओके: तुम सो रहे थे, मुझे लगा जगा देना चाहिए: बैसे ऋषिकेश जा रहे हो या हरिद्वार?"
"आय एम गोइंग टू ऋषिकेश।"- उसके सवाल का जवाब देते हुए मैंने शीतल को मैसेज कर दिया था कि मैं मेरठ पहुंच चुका हूँ।
"ओके... यू आर फ्रॉम दिल्ली और ऋषिकेश?"- यह उसका अगला सवाल था।
"आय एम फ्रॉम ऋषिकेश एंड बकिंग इन दिल्ली। एंड बॉट अबाउट यू?"
इतने में ही शीतल का मैसेज आ गया था- "ओके, टेक केयर... घर पहुँचकर मुझे तुरंत कॉल करना, आई रियली बांट टू टॉक टू यू।"
“आई एम फ्रॉम दिल्ली; ऋषिकेश में मेरी मौसी रहती हैं, सो वीकेंड पर जा रही हूँ।" - डॉली ने मुस्कराते हुए बताया।
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