RE: RajSharma Stories आई लव यू
"मेरी फैमिली में पापा हैं, मम्मी हैं और एक छोटा भाई है: हम लोग बचपन से दिल्ली में ही रहते हैं। पापा बैंक में सीनियर मैनेजर हैं और मम्मी हाउस वाइफ हैं; भाई, दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी कॉम. की पढ़ाई कर रहा है।"
"ओके...गुड।"
"और तुम्हारी फैमिली में कौन-कौन हैं?"
“पापा, मम्मी, मैं, छोटा भाई और बहन।"
'ओके।'
एक-दूसरे की फेमिली, जॉब और इधर-उधर की बात करते-करते कब हमारी बस हरिद्वार पहुँच गई, पता ही नहीं चला। मुझे घर के पास पहुँचने की खुशी थी, तो डॉली को अपनी मौसी से मिलने का उत्साह था। इसके साथ एक और खुशी हम दोनों को थी... ये खुशी थी एक दोस्त को पाने की खुशी। मुझे डॉली के रूप में एक अच्छी दोस्त मिल गई थी।
"तो घर पर सब बहुत खुश होंगेन?"- डॉली ने पूछा।
"हाँ, बहुत: तीन महीने बाद आया हूँ घर।"
"गुड । मैं भी पाँच महीने पहले आई थी। पैरेंट्स भी आए थे और हम लोगों ने रॉफ्टिंग की थी, खूब मजा आया था; नीलकंठ दर्शन के लिए भी गए थे हम लोग।"
"ओके कूल।"
"तो वापस कब जाओगे तुम?"
“मैं दो दिन रहूँगा, संडे और मंडे; टयूज्डे मॉनिंग में वापस।"
"ओके..
. मैं भी दो दिन रहेंगी और टयूज्डे को निकलूंगी; ऑफिस है टयूमडे को। तो फिर ऐसा करते हैं, अगर कोई प्रॉब्लम न हो, तो हम साथ वापस जा सकते हैं, अच्छा रहेगा ना? खूब बातें करेंगे।"- उसने मेरी तरफ मुड़ते हुए पूछा।
"कोई प्रॉब्लम नहीं है, पर मैं सुबह जल्दी निकलूंगा।"
"मुझे भी जल्दी निकलना है; ऑफिस पहुँचना है न 11 बजे।"
"ओके, तब फिर साथ ही चलेंगे।"
“मजा आएगा सच में..
. तो तुम्हारा मोबाइल नंबर..
. फोन से टच में रहेंगे न।"
सुबह के 10 बजे थे और बस ऋषिकेश बस स्टैंड पहुँच चुकी थी। सब लोग अपना सामान उतारने लगे थे। हम दोनों भी सीट से खड़े हो चुके थे और लगेज उतारने लगे थे।
"डॉली, ये मेरा कार्ड है; प्लीज मेरे नंबर पर एक मिस्ड कॉल दे देना।"
"ओके...3क्स।"
"तो डॉली, कहाँ है तुम्हारी मौसी का घर?"
"डॉक्टर कॉलोनी।"
“अच्छा..मेरे घर के पास ही है, मैं ड्रॉप कर देता हूँ तुम्हें।"
“ओके...नो प्रॉब्लम।"
"ऑटो..ऑटो! रेलवे रोड चलोगे?"
"बैठिए सर।" मैं और डॉली ऑटो में बैठ गए थे।
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