RE: RajSharma Stories आई लव यू
पापा, छोटे भाई-बहन के साथ मैं ड्रॉइंग रूम में बैठकर माँ के हाथ की बनी दाल की कचौड़ियों का आनंद ले रहा था। सब लोग इतने दिनों बाद एक साथ बैठकर नाश्ता कर रहे थे। पापा और भाई-बहन दिल्ली के हालचाल पूछ रहे थे और मैं उनसे ऋषिकेश के हवा-पानी के बारे में बात कर रहा था। खूब ठहाके लग रहे थे। सबके चेहरे पर गजब की खुशी थी।
"बेटा, खाने-पीने का ध्यान रखा करो अपना, कमजोर लग रहे हो"- माँ ने कहा।
"अरे क्या मम्मी, सब ठीक तो है।"
“कहाँ ठीक है; ध्यान रखा करो।"
"अरे, तुम रहने दो; अब तुम्हारी बहू आएगी, वो ही इसका ध्यान रखेगी।'- पापा ने माँ से कहा।
"क्या पापा, आप भी, हर वक्त शादी-शादी... हो जाएगी शादी, इतनी जल्दी क्या है?"
"देखो बेटा, अभी सही उम्र है तुम्हारी शादी के लिए हमने कुछ लड़कियां देखी हैं, तस्वीरें तुम भी देख लो।"
“पापा मुझे अभी शादी-बादी नहीं करनी है; मैं अभी अपना कॅरियर सेट कर रहा हूँ, थोड़ा वक्त चाहिए।"
"देना जरा वो तस्वीरे!''- पापा ने माँ से एक लिफाफे की तरफ इशारा करते हुए कहा। "ये लो... कुछ लड़कियों की तस्वीरें हैं, देख लो हम लोगों को यह पसंद हैं।"
“रख दीजिए, देख लूँगा मैं... माँ बहुत भूख लगी है, खाना बनाइये प्लीज।”
"हाँ, अब खाना-पीना खाओ, ये बातें बाद में करना।"
- माँ।
"देखो बेटा, हम तुम्हारे बारे में अच्छा ही सोचेंगे... जैसा हम कर रहे हैं उसे मानो।" पापा ने कहा।
“पापा, बाद में बात करते हैं इस बारे में।"
माँ रसोई में खाना बना रही थीं। पापा और बाकी लोग ड्रॉइंग रूम में बैठे थे। मैं सबके बीच से उठकर अपने फोन के साथ ऊपर अपने कमरे में आ गया था। मुझे पता था कि घर जाऊँगा तो शादी की बात आएगी ही। पापा और माँ अब तक पचास से ज्यादा लड़कियों की तस्वीर दिखा चुके थे। मैं हर बार कोई-न-कोई कमी निकालकर सबके लिए मना कर देता था। डरता था मैं ऐसी शादी से, जहाँ लड़की को जानता भी नहीं हैं। दूसरी तरफ शीतल का खयाल मन में आता था। जानता था, शीतल से शादी नहीं हो सकती है, फिर भी मैं उसे धोखा देना नहीं चाहता था। ___ मैं शीतल के सामने जब भी अपनी शादी की बात करता, हमेशा उसका चेहरा उतर जाता था। वो हमेशा कहती थी... इतनी जल्दी क्या है तुम्हें शादी की, अभी तो बच्चे हो तुम; आराम से करना शादी।
कमरे में पहुँचा ही था, कि शीतल की कॉल फिर से आ गई थी। "हैलो, कैसे हो? क्या हो रहा है घर पर?"- उसने फोन उठाते ही पूछा।
"कुछ नहीं शीतल, बहुत मूड खराब है।"
"अरे! क्या हुआ माई हीरो।"
"कुछ नहीं यार...वही शादी,शादी, शादी...।"
"क्या? शादी! यार राज, मजाक मत करो।"
“मजाक नहीं कर रहा हूँ शीतल, सच कह रहा हूँ; सब लोग शादी की ही बात कर रहे है।"-
"राज, तुम जानते हो न, जिस दिन तुम शादी कर लोगे, उस दिन से हम एक-दूसरे की जिंदगी में नहीं होंगे और मैं इतनी जल्दी तुम्हें खोना नहीं चाहती हूँ।"
"शीतल, मैं बहुत प्यार करता हूँ तुमसे और तुम भी मुझसे बहुत प्यार करती हो; पर मैं क्या करूँ यार, मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है।"- मैंने कहा।
“राज, प्लीज वापस आ जाओ यार, मैं बहुत मिस कर रही हूँ तुम्हें।"
“आऊँगा कल के बाद। चलो, माँ खाना बना रही हैं, मैं जा रहा हूँ नीचे; तुम अपना ध्यान रखना और परेशान मत होना।"
“ओके... तुम भी अपना ध्यान रखना और जल्दी आना।"- उसने इतना कहकर फोन रख दिया।
मैं भी फोन साइड में रखकर बेड पर आँखें बंद कर लेट गया। दिमाग में बस शीतल की तस्वीर थी। दिल भी उसके अलावा कुछ और न सोच पा रहा था और न ही कुछ सोचना चाहता था। घर पहुँचे हुए अभी चार घंटे ही हुए थे, लेकिन मेरा मन कर रहा था कि भाग चलूँ दिल्ली वापस।
"बेटा, नीचे आओ, खाना तैयार है!''- माँ ने आवाज दी।
"आ रहा हूँ माँ।"- मैंने ऊपर से ही कह दिया। नीचे पहुँचा, तो सब टेबल पर मेरा इंतजार कर रहे थे। मैं भी बैठ गया। माँ ने पूरी, भिंडी की सब्जी, मटर-पनीर, रायता और जीरे वाले चावल बनाए थे। बहुत जोर से भूख लगी थी। मैं बिना किसी से बात किए चुपचाप खाना खा रहा था। माँ की बातों का जवाब जरूर दे रहा था। पापा समझ रहे थे कि मैं क्यों बात नहीं कर रहा हूँ, इसलिए बीच-बीच में वो मुझे समझाने की कोशिश कर रहे थे। मैं बस उनकी बातें सुन रहा था। __
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