RE: RajSharma Stories आई लव यू
“डोंट वरी...मैं तैयार हो जाऊँगी; बस निकलने से पहले तुम एक कॉल कर देना, मौसा जी छोडेंगे मुझे बस स्टॉप पर।"
"ठीक है, आई बिल मैसेज यू इन द मॉर्निंग।"
"तो तुम दोनों फिर कब आओगे ऋषिकेश?'- शिवांग ने कहा।
"पता नहीं शिवांग, अब कब आना होगा... लेकिन, थेंक यू यार...आप लोगों के साथ मैंने खूब एंज्वाय किया।" ___
ठीक है यार राज...अगली बार आना तो डॉली को जरूर साथ लाना।"- शिवांग ने कहा।
"जरूर लाऊँगा।"
“ऐसे नहीं...प्रॉमिस करो...अगली बार भी डॉली को साथ लाओगे।"- शिवांग ने हम दोनों की तरफ देखते हुए कहा।
शिवांग की इस बात पर डॉली मुस्करा रही थी और मेरी तरफ नजर करके ये देख रही थी, कि मैं क्या कहूँगा इस बात के जवाब में।
"ओके शिवांग...प्रॉमिस...अगली बार जब ऋषिकेश आऊँगा, तो डॉली मेरे साथ होगी।"
"चलो, फिर तुम लोग आराम से जाना, मुझे यहीं उतरना है।"
ऑटो रुका, तो मैंने नीचे उतरकर शिवांग को गले लगाया। डॉली ने भी हाथ मिलाकर उसे बाय बोला।
"डॉली, क्या पसंद है तुम्हें खाने में? भूख लगी होगी न तुम्हें।"
"मुझे छोले-भटूरे।"
"तुम्हें भी छोले-भटूरे पसंद हैं...आई लब छोले-भटूरे।"
ऑटो को छोड़कर हम सामने हीरा शॉप की तरफ चल दिए। “आओ डॉली...यहाँ बैठो।”- मने एक टेबल की तरफ इशारा करते हुए कहा।
"दो प्लेट छोले-भटूरे!" “राज, आपने शिवांग को प्रॉमिस कर दिया कि अगली बार मुझे साथ लाओगे।" डॉली ने कहा।
“हाँ डॉली, कर तो दिया, पता नहीं क्या होगा।"
"डोंट वरी...देखते हैं क्या होता है।"
“मेरा वादा पूरा करने के लिए आओगी मेरे साथ?"- मैंने उसकी आँखों में देखकर कहा और डॉली ने जवाब में सिर्फ मुस्करा दिया।
छोले-भटूरे आ चुके थे और हम दोनों खाते-खाते जाने की प्लानिंग कर रहे थे। पैदल पैदल डॉली को उसके घर छोड़कर, मैं अपने घर की तरफ चल दिया था। पॉकट से फोन निकाला और शीतल को कॉल लगा दिया।
"हेलो... कैसे हो शीतल! क्या कर रहे हो...?" म्नेहा से बात करते-करते में पैदल ही घर तक पहुँच गया।
"आ गए राज..."- माँ ने दरवाजा खोलते हुए कहा।
"हाँ माँ...बहुत मजा आया।"
"बाकी लोग चले गए?"
"हाँ, सब लोग गए।" बात करते-करते मैं और माँ, ड्रॉइंग रूम में पहुँच चुके थे। ड्रॉइंग रूम में पापा और भाई-बहन बैठे थे। सुबह निकलना था, तो पापा के पास बस एक ही बात थी... दर्जनों तस्वीरों में से किसी एक तस्वीर को शादी के लिए फाइनल करना। सब लोग बैठ चुके थे। माँ, खाना लेकर आ चुकी थीं। मैं सोच ही रहा था कि पापा कब पूछेगे कि शादी के बारे में क्या सोचा? उससे पहले उन्होंने पूछ ही लिया, “कोई फोटो पसंद आई?"
“पापा, मुझे अभी शादी नहीं करनी है...थोड़ा बक्त चाहिए मुझे"
"तुम पच्चीस-छब्बीस साल के हो रहे हो...यही उम्र है शादी की।"
“पापा, एक साल और चाहिए मुझे अभी।"
"देखो राज , तुम्हारे साथ के लगभग सभी लोगों की शादी हो गई है और हमारे पास तो रुकने की कोई वजह भी नहीं है। तुम्हारी अच्छी खासी नौकरी है, फिर क्या सोचना?"
"नहीं पापा, मुझे नहीं करनी है अभी शादी और इनमें से कोई फोटो मुझे पसंद नहीं
"तो फिर इन सभी लड़की बालों से मना कर दँ मैं?"
"हाँ, मना कर दीजिए...मुझे नहीं पसंद है इनमें से कोई भी।"
"देखो राज, शादी तो तुम्हें करनी पड़ेगी...ये लड़कियाँ बहुत अच्छी हैं, पढ़ी लिखी हैं..हमने घर-परिवार के बारे में पता कर लिया है।"
"देखो, आप लोग दबाब मत बनाओ...मैं अभी नहीं करूंगा शादी और अब मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी है, गुड नाइट...सुबह मैं पाँच बजे निकलूंगा।"- इतना कहकर मैं अपने कमरे में चला गया।
पापा से जब भी बात होती थी, तो वो शादी की बात ही करते थे और इस समय मुझे शादी के नाम से भी चिढ़ होने लगी थी। पापा की बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं। मच कहूँ तो मुझे घुटन हो रही थी घर में। बस इंतजार था, तो सुबह होने का।
लैपटॉप में अपनी और शीतल की तस्वीरें देखते-देखते आँखें नींद में चली गई। अब सब शांत हो चुका था। हर तरफ शांति थी... न शादी की बात थी और न किसी लड़की की फोटो; बस एक हसीन ख्वाब में शीतल मेरे साथ थी।
सुबह साढ़े चार बजे तकिए के पास रखा मोबाइल बजा। आँख खुली तो देखा डॉली का फोन था।
“गुड मार्निंग डॉली!"
“गुड़ मानिंग...उठ गए?"
"हाँ यार, तुम्हारी कॉल से ही उठा।"
"तो कब चलना है?"
|