RajSharma Stories आई लव यू
09-17-2020, 12:34 PM,
#17
RE: RajSharma Stories आई लव यू
चंडीगढ़ रोज गार्डन में शाम को चूमना हो या दिन में सड़क पर तुम्हारे साथ चलना... ये सब मुझे ऐसा अहसास करा रहा था, जैसे कोई अपना कदम-से-कदम मिला रहा हो। मैं शीतल को एक कदम पीछे नहीं छोड़ना चाहता था और न ही उनसे एक कदम पीछे होना चाहता था। मैं चाहता था तो बस उनके साथ चलते रहना और तब तक चलते रहना, जब तक कोई मेरा हाथ थामकर ये न कहे कि बस कीजिए अब, रात बहुत हो गई है, मैं थक गई हूँ। होटल के कमरे में शीतल के करीब बैठकर भी उनको न छना, मेरी नासमझी या मूर्खता नहीं, बल्कि उनके प्रति सम्मान था। बस में सफर के दौरान उन्होंने अपनी घड़ी खोलने के लिए कहा था। घड़ी खोलते हुए भी उनके हाथ को न छना भी उनके प्रति मम्मान ही था। फिकर थी उनकी...तभी उनको छुकर मैने पूछा था कि क्या ठंड लग रही है तुम्हें? मैं वहाँ उन्हें बाँहों में भर तो नहीं सकता था, लेकिन इस फिक्र से माहौल को थोड़ा गर्म जरूर करना चाहता था। चंडीगढ़ कैंट से बम की तरफ जाते हुए, शीतल को उनके कंधे की तरफ से पकड़ना जरूर चाहता था, लेकिन उनकी नजर में मैं इसकी हिम्मत नहीं कर पाया था। उनकी नजरें बस के बाहर और बस के अंदर सिर्फ मुझे ही देखी जा रही थीं। वो मुझे देखकर भी न देखने का बहाना कर रही थीं। हाँ, मैं समझ नहीं पाया कि शीतल क्यों बोल रही थीं कि खिड़की से ठंडी हवा आ रही है।

शायद वो चाहती थीं कि मैं उन्हें अपनी बाँहों में भर लूं और उनसे कहूँ, “थोड़ा पास आ जाहए।"

चंडीगढ़ जाना महज एक इत्तेफाक था, पता नहीं। एक समारोह के आयोजन का जिम्मा मिला था। पूरी कोशिश थी कि कार्यक्रम सफल हो... शायद इसी वजह से बाकी सभी चीजों से दिमाग हटा रखा था। नोएडा ऑफिस से पाँच-छह लोग चंडीगढ़ जाने वाले थे, जिनमें शीतल भी थीं। बाकी की जिम्मेदारी हमारी चंडीगढ़ टीम पर थी। एक तरह से कहें, तो मेरा और उनका काम केवल यह देखना था कि सारी व्यवस्थाएँ ठीक से हो रही हैं या नहीं। छब्बीस जनवरी, 2016 को होने वाले इस प्रोग्राम के लिए हमें चौबीस जनवरी को खाना होना था। चौबीस जनवरी की सुबह, शीतल नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से शताब्दी एक्सप्रेस के कोच सी-8 में बैठ गई थीं। मैं इसी ट्रेन में सी-13 कोच में बैठा था। इसे केवल फार्मेलिटी ही कहेंगे, कि मैं ट्रेन में बैठने के बाद केवल एक बार उनसे मिलने गया

और चंडीगढ़ तक अपनी ही सीट पर बैठा रहा। इस बीच मुझे एक बार भी शायद उनका खयाल नहीं आया।

चंडीगढ़ स्टेशन उतरकर हम कार से अपने होटल की तरफ चल दिए। इस दौरान मैं जरूर शीतल को चंडीगढ़ शहर के बारे में बता रहा था। होटल पहुँचे... अपने-अपने कमरे में जाकर तैयार हुए और साथ खाना खाया। इसके बाद प्रोग्राम की तैयारियों में जुट गए। साथ बैठकर हर एक काम में एक-दूसरे का हाथ बँटाने की ये शुरुआत ही थी अभी। तीन दिन की यह चंडीगढ़ यात्रा इतनी हसीन और खूबसूरत होगी, इसकी कल्पना भी नहीं थी हम दोनों को।

इसी बीच शीतल ने कहा था, "आज शाम मैं अपने मामा के घर जाऊँगी।"

“क्या? क्यों?"

"मैं पहली बार चंडीगढ़ आई हूँ और हमारे मामा यहाँ रहते हैं: आज डिनर उनके साथ ही करूंगी।"

“ऐसे थोड़ी होता है... यहाँ मैं अकेले रहूँगा तुम्हारे बिना? मैं तो बोर हो जाऊँगा।"

“अरे तो मैं रात में ही आ जाऊंगी न।""

"तो रात में थोड़ी तुमसे बात कर पाऊँगा... स्वैर जाइए मामा जी के घर में होटल में ही डिनर कर लूंगा।"

शीतल के मामा, चंडीगढ़ ऑफिस उन्हें लेने आ गए थे। ऑफिस से होटल अकेल्ने कार से लौटना मुझे ऐसे लग रहा था, जैसे अपनी सबसे प्यारी चीज को मैं किसी को सौंपकर चला आया हूँ। हाँ, ये क्यों लग रहा था, पता नहीं।

होटल पहुंचकर मैंने अपनी पसंदीदा पीली वाली तड़का दाल, पनीर लबाबदार, स्टफ नॉन और ग्रीन सलाद ऑर्डर तो किया था, लेकिन एक-दो टुकड़ा खाने के बाद मैं रुक गया। मही कहा है किसी ने... खाने का मजा साथ में आता है। खाने की महकती खुशबू भी मेरे दिल पर काबू नहीं कर पाई। मुझे जिस खुशबू की तलाश थी, वो खुशबू गुम थी... शीतल की खुशबू। यही वजह थी कि मैं बिना खाना खाए, रोज गार्डन की तरफ घूमने चला गया। जब इंसान ये नहीं समझ पाता है कि उसे अच्छा नहीं लग रहा है, उसके पीछे वजह क्या है... यह सबसे मुश्किल घड़ी होती है। रोज गार्डन के अकेले दो चक्कर लगाने के बाद एक पान की दुकान पर रुका। एक मीठा पान खुद के लिए लिया। इस बीच फोन निकाला और संकोच करते हुए शीतल को फोन मिला दिया।

"हेलो! हाय शीतल; कब तक आओगी?"

“अभी हम डिनर के लिए जा रहे हैं। बताती हैं तुम्हें।"

मैंने शीतल को ये पूछने के लिए फोन किया था, कि क्या बो भी पान खाएंगी? लेकिन उनके बात करने के तरीके से मैं हिम्मत नहीं जुटा पाया। मुझे लगा कि शायद मैं ज्यादा पर्सनल होने की कोशिश कर रहा है, इसलिए पान की बात फोन पर न करना ही अच्छा समझा।

न जाने क्या-क्या सोचते हुए मैं होटल लौट आया और चेंज करके सो गया। रात करीब ग्यारह बजे फोन पर एक मैसेज आया। “आई हेवरीच्ड, करंटली इन माय रूम।" शीतल का मैसेज था। "ओके, गुड नाइट, अपना ध्यान रखिएगा।" फोन, साइड में रखकर शीतल के साथ बिताए अच्छे पलों के साथ मेरी आँखें गहरी नींद में डूब गई।

एक विश्वास के साथ। एक नई सुबह होगी, एक नई मुलाकात होगी।
Reply


Messages In This Thread
RE: RajSharma Stories आई लव यू - by desiaks - 09-17-2020, 12:34 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,491,778 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 543,391 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,228,035 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 928,787 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,648,525 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,076,099 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,943,223 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,031,216 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,022,273 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,993 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)