RE: RajSharma Stories आई लव यू
“सवाल का जवाब सोचो राज; क्या मेरे बताने में कुछ बदल जाएगा या तुम्हारी फेहरिस्त में एक नाम और जुड़ जाएगा।"
“मेरी कोई फेहरिस्त नहीं है शीतल: यू आर द फन्ट गर्ल, जिसे इतने करीब से जानने की कोशिश की है। चंडीगढ़ आने से पहले तुम मेरे लिए शीतल थीं, लेकिन अब मेरी दोस्त हो। ऑफिशियल रिलेशन नहीं है अब तुमसे, इसलिए तुम्हारे खुश और अपसेट होने से फर्क पड़ेगा मुझे... चीजों को बदलने की कोशिश की जाती है।"
"राज जवाब देने की अच्छी कोशिश की है तुमने में भी करती हूँ। चंडीगढ़ आते वक्त सोचा नहीं था कि आने वाले तीन दिन इतने खास होंगे, कि उनके खत्म होने के डर से मैं किसी को जबरदस्ती चाय पर अपने कमरे में बिठाए रखूगी या उसके साथ पंद्रह मिनट की बस यात्रा में किसी और की बातें तक सुनना नहीं चाहूँगी। राज, शायद हमें इसे एक प्यारी-सी जर्नी समझकर भूल जाना चाहिए, क्योंकि हम बताने पर आएंगे तो काफी कुछ बता देंगे तुम्हें।"
“कार में सीट होने के बावजूद मैं बस में आपके साथ होटल गया था; उसकी बजह ये थी कि मैं एक सिंगल मिनट भी आपसे बात किए बिना रहना नहीं चाहता था और रही बात इस जर्नी को भूलने की; तो आप भूल सकते हैं, मुझसे नहीं हो पाएगा।"- मैंने कहा।
अब शीतल अपने दिल की वो सारी बातें बताती जा रही थीं, जो मुझे पता नहीं थीं और जो मैं उन तीन दिन में समझ नहीं पाया था।
शीतल ने अगले मैसेज में बताया, “तुम जब पहली बार नोएडा ऑफिस में मिले थे और दरवाजा खोलकर सर के केबिन में आए थे, तो मुझे तुम अच्छे लगे थे। हम तो बस तुम्हें देखते ही रह गए थे। हाँ, तब मुझे तुम पर क्रश जरूर हुआ था, लेकिन तुमसे प्यार करने के बारे में मैंने नहीं सोचा था। कल जब प्रोग्राम चल रहा था और जब तुम मुझे पंद्रह मिनट के लिए अकेला छोड़कर चले गए, तो मुझे बहुत फर्क पड़ा था। जब तुम अपने बॉस के साथ खड़े होकर बातें कर रहे थे और तुम्हारी पीठ मेरी तरफ थी, तो हम तुम्हें ही देख रहे थे। तुम नहीं जानते, छब्बीस जनवरी की रात जब तुम और मैं साथ में बस में बैठे थे, तो मैं कितनी बेसब्री से बस की लाइट बंद होने का इंतज़ार कर रही थी। जब लाइट बंद नहीं हुई तब मैंने घड़ी खुलवाने का बहाना बनाया था, ताकि ये महसूस कर सकें कि तुम्हारे हाथ का स्पर्श कैसा है। हमारे कमरे में जब आखिरी रात साथ बैठे थे, तब भी हमारे अंदर बहुत कुछ चल रहा था। उस वक्त मैं लैपटॉप खोलकर जरुर बैठी थी, पर बहुत कुछ कहना चाहती थी तुमसे, लेकिन डर से कह नहीं पाए। जानती हूँ मैं गलत हूँ: मुझे कोई हक नहीं आपको पसंद करने का... कोशिश करूंगी कि खुद को रोक लूँ... पूरी कोशिश करूंगी।"
मैं जानता था कि शीतल के दिल में मेरे लिए प्यार पनप चुका है। मैं और शीतल दोनों जानते थे कि कितना भी कोशिश कर लें, लेकिन अब कंट्रोल करना मुश्किल है।
इसीलिए मैंने भी उन्हें बताया था कि जब आप स्टेज की तरफ देख रहे थे, तो मैं आपको ही देख रहा था। मैं बॉस से बात जरूर कर रहा था, लेकिन मन आपकी तरफ ही लगा था। वजह सिर्फ इतनी-सी थी, कि जो कुछ हो रहा था, बस अच्छा लग रहा था। ___
जब आप हमारी तरफ देखते थे, तो हम स्टेज की तरफ देखने लगते थे। ये पल तो लौट के नहीं आएंगे। आपके साथ घूमने जाना, पकौड़े खाना, जो काम अपने कमरे में बैठकर अकेले किया जा सकता था, उसके लिए आपको साथ बिठाना और लैपटॉप खोल, खाली पीली इधर-उधर करना बहुत मिस करूंगी।"शीतल ने लिखा था। _
'आपके साथ पान खाना, रोज गार्डन तक नाइट वॉक' होटल से दूसरे होटल तक आपके साथ चलना, लास्ट वाले प्रोग्राम में बिना डरे आपका नाम इंट्रोड्यूस कराना, मैं भी बहुत मिस करुंगा।" - मैंने कहा था।
हम दोनों के दिल में जो बात अब तक छिपी हुई थी, वो बाहर आ चुकी थी। हम दोनों जान चुके थे कि हम एक-दूसरे को प्यार करने लगे हैं। दोनों के दिल एक-दूसरे के पास आ जाना चाहते थे, लेकिन हमारे बीच पाँच कोच की दूरी थी। मैसेज से बात करते-करते ट्रेन करनाल पार कर चुकी थी। दूर बैठे दो दिलों की हालत खराब हो रही थी।
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