RE: RajSharma Stories आई लव यू
"हाँ, रुको पंद्रह मिनट, चलते हैं।" - मैंने कहा था। फटाफट उठा, फ्रेश हुआ, तैयारहुआ। बैग उठाया और हाथ में एक रियल जूस की केन लेकर मैं घर के नीचे उतरा था।
"चलो महेश जी, थोड़ा तेजी से; लेट हो गए हैं हम।"
"कोई बात नहीं सर, अभी पहुंचते हैं हम होटल ली मेरेडियन।" "
हाँ, चलो।"
बहुत स्पीड से मैं गाड़ी में होटल ली मेरेडियन के लिए जरूर जा रहा था, लेकिन हकीकत में ये जल्दी, होटल से ऑफिस पहुँचने और शाम को शीतल के साथ स्कूटी से जाने के लिए थी। मैं बस जल्दी से दिन ढल जाने का इंतजार कर रहा था। बस जल्दी से शाम हो जाए और शीतल मेरे साथ स्कूटी पर हों।
ईवेंट खत्म कर मैं एक बजे ऑफिस पहुँच गया था। रोजाना की तरह शीतल को 'रीच्ड' का मैसेज किया और लंच के लिए कैंटीन पहुँच गया।
लंच के बाद कुछ देर के लिए उनसे मिलना होता था। आज भी हम मिले... लेकिन आज शीतल के चेहरे में एक चमक थी, उनके होंठों पर मुस्कराहट थी। शायद वो शाम के बारे में ही सोच रही थी।
"बहुत खुश हैं आप आज।”- मैंने कहा।
"हाँ, मैं तो हमेशा खुश होती हूँ।" - उन्होंने अपनी हँसी को छपाते हुए कहा।
"नहीं, आज ज्यादा खुश हैं: कहीं शाम के बारे में तो नहीं सोच रहे हैं?"- मैंने कहा।
"नहीं नहीं, हम क्यों सोचेंगे; बम ऐसे ही खुश हैं।"- शीतल इतना कहकर मुस्करा पड़ी। इंतजार करते-करते आखिरकार शाम हो ही गई और शीतल की कॉल आई।
"जनाब, चलें; 7:45 हो गए।"
"हाँ बिलकुल, चलिए।"
"पाकिंग में मिलिए।" उन्होंने कहा।
'ओके'- मैंने कहा।
अब हम दोनों घर के लिए उनकी स्कूटी पर निकल चुके थे। मैं ड्राइव कर रहा था और वो मेरे पीछे बैठी थीं। आज न तो हम दोनों के बीच बैग था और न ही दूरी। शीतल मुझे अपनी बाहों में भरकर बैठी थीं।
स्कूटी की स्पीड कोई तीस के आस-पास होगी। हर स्पीड ब्रेकर से मैं बहुत धीरे स्कूटी पास कर रहा था। मैं चाहता था कि ब्रेकर पर शीतल मुझसे दूर न हो जाएं। उनकी एक खास बात थी... जब वो मेरे साथ स्कूटी पर बैठी होती थीं, तो धीरे से मेरे कंधे पर किस करती थीं।
वो हर बार मेरे कंधे पर किस करतीं और मैं अपना चेहरा पीछे घुमाकर मुस्करा देता।
"राज, आपको कैसे पता चल जाता है हर बार? हम तो दर से आपको किस करते हैं।" उन्होंने कहा था। __
“आपसे बहुत प्यार करता हूँ मैं; आप जब भी पास आते हैं, तो आपकी साँसों और आपकी खुशबू से मुझे पता हो जाता है।" - मैंने कहा था।
वो मुझसे बड़ी थीं, तो मुझसे समझदार भी थीं। मैं कभी कुछ गलत करता था, तो समझाती भी थीं। लेकिन जब वो मेरे इतने करीब होती थीं, तो वो बिलकुल मेरी ही उम्र की हो जाती थीं। एक समझदार लड़की को एक बच्ची की तरह बनते देखता था मैं।
फिर उसी कम भीड़भाड़ वाले रास्ते पर स्कूटी मुड़ चुकी थी।
|