Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
09-17-2020, 12:48 PM,
#12
RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस
विनीत पुनः बोला-"प्रीति, अर्चना एक करोड़पति बाप की इकलौती औलाद है। हम जैसे लोगों से गलती की माफी मांगने न मांगने से उन पर क्या फर्क पड़ता है....मगर फिर भी वह....।" विनीत चुप हो गया। दोनों चुप होकर नदी की लहरों को देखने लगे, जो बार-बार अठखेलियां कर रही थीं। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे बे लहरें नाच रही हों। नदी की एक भी लहर में कहीं ठहराब नहीं था। वे मदमस्त चाल से चल रही थीं।

"विनीत!" प्रीति ने खामोशी तोड़ी-"कितना सुन्दर दृश्य है! चलो, बहां उस चट्टान पर चलकर बैठते हैं।" प्रीति ने सामने वाली चट्टान की ओर इशारा करते हुए कहा और विनीत का हाथ पकड़कर चलने लगी।

सूरज डूब रहा था। शाम होती जा रही थी। पेड़ों के पीछे से चमकता लाल-लाल सूरज किस कदर हसीन लग रहा था, कहा नहीं जा सकता। दोनों चट्टान पर आकर बैठ गये। प्रीति ने विनीत के कन्धे पर सिर रख दिया, प्रेम भरे स्वर में बोली-"विनीत, क्यों दूसरों के चक्कर में अपने खूबसूरत लम्हों को बर्बाद कर रहे हो। वो देखो....सूरज कितना प्यारा लग रहा है।" प्रीति ने डूबते सूरज की ओर इशारा करते हुए कहा।

विनीत ने अर्चना का ख्याल झटककर सूरज की ओर देखा। ऐसा लग रहा था जैसे वह दोनों के प्रेम को देखकर हंस रहा हो।
"विनीत, मैं तुम्हें कितना प्यार करती हूं इसका तुम अन्दाजा भी नहीं लगा सकते। तुम्हारी खामोशी मेरे दिल को बेचैन कर रही है....मैं तुम्हारे बिना जिन्दा नहीं रह सकती।"

"प्रीति, ऐसे मत बोलो। तुम्हें कुछ नहीं हो सकता। तुम सिर्फ मेरी हो! सिर्फ मेरी!" विनीत प्रीति के बालों में उंगलियां फेरता हुआ बोला।

"विनीत, तुमसे एक बात कहूं...."

"हूं।" विनीत ने उसकी आंखों में देखा।

"कहीं तुम मुझे दूर....प्रेम की अन्जान डगर पर ले जाकर छोड़ तो न दोगे?"

"कैसी बातें कर रही हो प्रीति? तुम मेरी जान हो और कोई भी अपनी जान को अपने जिस्म से जुदा नहीं करता। तुम्हारे बिना मेरी जिन्दगी नीरस है।"

प्रीति यह सुनकर खुश हो गई— “सच!"

"हां प्रीति! तुम ही मेरे मन-मन्दिर की देवी हो।" विनीत ने प्रीति का हाथ अपने हाथ में ले लिया।

"विनीत , मैं भी तुमको अपना देवता मानकर आराधना करती हूं—मैं अपनी पूजा को नहीं छोड़ सकती। प्रेम मेरी पूजा है, तुम मेरे देवता हो।" प्रीति विनीत के प्रेम की गहराई को जानने के बाद ही विनीत को अपना सर्बस्व मान चुकी थी। प्रीति ने विनीत से कहा- विनीत , तुम बचन दो कि—मुझे कभी नहीं छोड़ोगे। हर हाल में हम दोनों एक-दूसरे का साथ निभायेंगे।"

विनीत ने अपना हाथ उसके हाथ पर रखकर बचन दिया—“मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूंगा। मैं तुम्हें वचन देता हूं।"
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RE: Hindi Antarvasna - कलंकिनी /राजहंस - by desiaks - 09-17-2020, 12:48 PM

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