मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:46 PM,
#36
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
गुरु जी का केला Hindi Sexi Stories

दोस्तो आज काफ़ी दिन बाद आरएसएस पर आया हूँ तो सोचा क्यूँ ना आपको कुछ मस्त कहानियों का तोहफा दूं तो मित्रो इसी कड़ी में आज की ये तड़कती फड़कती दूसरी कहानी पेश है कैसे एक गुरु ने अपने शिष्य की पत्नी की चुदाई की...

मेरा नाम कोमल मिश्रा है और मैं एक मिड्ल क्लास घर की बहू हूँ. मेरी शादी, 3 महीने पहले जय से हुई थी.
जय एक व्यापारी है और उनका छोटा कारोबार है. घर में सास के अलावा, मेरी ननद डॉली रहती है जो अब कॉलेज ख़तम करके एक छोटी सी फर्म में नौकरी कर रही है..
मेरी सासू मां बहुत ही धार्मिक किस्म की औरत है जो ज़्यादातर वक़्त पूजा-पाठ में गुज़ार देती है.

सासू मां, सिर्फ़ 37 साल की है क्यूंकी उनकी शादी 15 वर्ष की आयु में हुई थी और जब जय पैदा हुआ तब वो सिर्फ़ 18 साल की थी.
जय 21 साल के है और मैं 19 की. उनकी छोटी बहन डॉली भी मेरे उम्र की ही है.
जय की शादी के बाद, अब डॉली की शादी के चर्चे जोरों पर है.
क्यूंकी मां जी बहुत धार्मिक है, उनके मुंह से हमेशा उनके गुरु जी के बारे में सुना करती थी.
गुरु जी का नाम आरके महाराज है जो इन दिनों उतर भारत की यात्रा पर गये हुए थे.
जब मैं नयी दुल्हन बन कर इस घर में आई थी तब से मां जी और डॉली को गुरु जी के आश्रम जाते हुए देखा करती थी.
मां जी ने मुझे सिर्फ़ इतना कहा था की गुरु जी की वजह से उनके परिवार में सुख-शांति बनी हुई है.
मैं मां जी की तरह घंटों पूजा घर में बैठ कर पूजा नहीं करती थी लेकिन फिर भी मैं धार्मिक थी. हमेशा से मेरे मां-बाबूजी ने मुझे धर्म के प्रति आस्था बनाए रखने की सलाह दी थी.
मैं भी रोज़ मां जी के साथ पूजा घर में बैठ कर उनके लिए पूजा की सामग्री तैयार करके देती.
परिवार में सब कुछ एकदम ठीक चल रहा था. मैंने अपने परिवार में हमेशा झगड़ा और नफ़रत देखी थी.
मेरे बाबूजी के रिश्तेदार, हमेशा जायदाद के नाम पर एक दूसरे पर कीचड़ उछालते रहते थे पर यहाँ आकर मैं जैसे सब परेशानियों से मानो दूर आ गई थी. मेरे मा-बाबूजी शादी के बाद मेरी खुशी देख कर बहुत खुश थे.
जय मुझसे बहुत प्यार करते है. व्यापारी होने के कारण, वो हफ्ते में 2-3 बार देर से घर लौटते थे लेकिन फिर भी मैं उनका इंतेज़ार करती थी और हम दोनों साथ बैठकर खाना खाते.
आज रात को भी मैं जय का इंतेज़ार कर रही थी और जय को घर आते आते, रात का 1 बज गया.
थके हारे घर पर लौटने के बाद, फ्रेश होकर वो खाना खाने बैठे.
मैं भी उनके सामने बैठ गई.
पहला नीवाला खाने के बाद, दूसरा नीवाला मेरे मुंह के पास लाकर बोले – चलो खा लो जानेमन !?!
मैंने अपना मुंह खोला और उनकी उंगलियों को मुंह में लेकर नीवाला मुंह में लिया और जैसे ही उन्होंने अपनी उंगलियाँ पीछे खींची, मैंने उनकी कलाई पकड़ ली और उनकी उंगलियों को हल्के से चूस लिया.
नीवाला खाते हुए, मैं हल्के से हंस पड़ी.
आँखों-आँखों में मानो, वो मुझसे कुछ कहने की कोशिश कर रहे थे.
उनकी नज़रें, मेरे पूरे जिस्म का जायज़ा ले रही थी.
खाना खा कर जय अख़बार लेकर बेडरूम में चले गये और में रसोई के काम ख़तम करने लगी. रसोई के काम निपटाकर मैं बेडरूम में आई.
जय जैसे अख़बार में डूबे हुए थे.
मैं बिस्तर पर उनके पास बैठ गई और मैंने अख़बार खींचते हुए उनसे थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा – आप इतनी देर से मत आया करो जी… मुझे आपके साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता है और आप है की हमेशा देर से आते हो… घर से बाहर निकलने के बाद आपको याद भी रहता है की आपकी बीवी घर पर इंतेज़ार कर रही होगी !?!
जय मुस्कुराते हुए बोले – जानेमन, ये सब हमारे भविष्य के लिए ही तो कर रहा हूँ ना… हमारा परिवार बढ़ेगा तो हमें आगे के लिए भी तो सोचना चाहिए, है ना !?! – और मुझे समझाते हुए उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपने सीने से लगाते हुए कहा – कस कर पाकड़ो ना जान !!
जय की बाहों में, मुझे जैसे जन्नत नसीब होने के एहसास मिलता.
जय के होंठ मेरे गले को छू रहे थे. उन्होंने मेरी गर्दन पर अपनी जीभ फेरते हुए कहा – इतनी शिकायत करोगी तो कल से बिस्तर से नहीं उतुंगा और ना ही तुम्हें उठने दूँगा…
उनकी ये प्यार भरी बातें सुन कर मैं उनकी बाहों में जैसे पिघल सी गई थी.
जय ने मेरे गालों को चूमा और फिर मेरे होंठों पर अपना मुंह रखा और मेरे होंठों को चूमने लगे.
मैं भी उनके होंठों को चूमने लगी.. – उम्म्म म्म्म्म म म म मम म्म्म्म म मम…
फिर जय ने मेरा पल्लू हटाया और मेरी चोली के बटन्स खोल कर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया.
मेरी साड़ी और पेटिकोट उतार कर मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाना शुरू किया.
आ आ अह ह स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स स्स विपूल्ल्ल्ल्ल् ल्ल्ल्ल्ल् ल्ल्ल्ल्ल् ल्ल सस्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्सस्स ओह…
जय के मेरी पैंटी निकाली और मेरी बुर पर कस कर अपनी उंगलियाँ रगड़ने लगे.
ओह, विपूल्ल्ल्ल आ आ आ अहह क्या कर रहे हूऊ ऊ ऊ ऊ ऊ स स्स्स्स्स् स्स्स स्स… – मैं सिसकारियाँ ले रही थी और जय मेरी बुर को रगड़ रहे थे.
फिर जय ने अपनी शॉर्ट्स उतारी और अपने लंड का सुपाड़े को मेरी बुर पर रगड़ना शुरू किया.
ओह म्म्म्म म म म म कितना गर्म है तुम्हारे ये जय…
अंदर डालूं ना जानेमन… – जय ने पूछा..
मैंने मुस्कुराते हुए, उनकी कमर पर हाथ रखते हुए कहा – एकदम गहराई तक डालो, जानू… मेरी ये सिर्फ़ तुम्हारी है… सिर्फ़ तुम्हारी…और जय ने मेरे पैर फैलाते हुए, अपना वो एक झटके के साथ मेरी बुर के अंदर डाल दिया.
उूउ उइ ई ई माआ आ आअ उू उउफ फ फ फ फफ फफ्फ़ स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स्स्स स्स ओह…
जय, मेरे ऊपर झुक गये और अपनी कमर ऊपर नीचे हिलाते हुए मेरी बुर मारने लगे.
उनका वो मेरी बुर के अंदर बाहर होने लगा और में सिसकारियाँ लेती रही – स स्स्स्स्स् स्स स्स ओह आ आह ह जय सस्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स स्स म्म्म्म म म म मम…
2-3 मिनिट बाद, जय ने अपना वो मेरी बुर से निकाला और अपना सारा मुठ मेरे पेट पर उंड़ेल दिया.
मैं बाथरूम गई और अपने आपको सॉफ करके उनके बगल में आ कर बैठ गई.
जय, मेरे तरफ देख कर बोले – मां जी ने बताया होगा ना की गुरु जी वापस आ गये है !?!
मैंने हाँ में सिर हिलाया.
देखो शायद, गुरु जी कल दोपहर को घर आ रहे है…
इससे पहले की व अपनी बात ख़तम करते मैंने उनके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा – जी, मैं जानती हूँ की गुरु जी कल घर आ रहे है और उनकी खूब सेवा करनी है… मां जी ने सब बताया था, शाम को… आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए… आपकी जोरू आपको शिकायत का मौका नहीं देगी… मां जी ने आज मुझे गुरु जी के बारे सब कुछ बताया… ये भी की कैसे 10 साल पहले आपकी जान ख़तरे में थी तब गुरु जी ने ही आपकी रक्षा की थी… यहाँ आने के बाद मैंने गुरु जी के बारे में जितना सुना है, उससे मेरी उत्सुकता और बढ़ गई है… इतनी महान हस्ती से मिलने का मौका रोज़ रोज़ थोड़ी मिलता है !! – बात करते करते, मैंने जय के सीने पर सिर रखा..
मां जी ने तो ये भी बताया की कैसे आपने ये कारोबार गुरु जी के कहने पर सिर्फ़ 5,000 की लागत से शुरू किया और आज इससे इस मुकाम तक पहुँचाया है की आपने ये घर भी खुद के दम पर खरीदा…
अपनी बीवी की ऐसे समझदार बातें सुन कर, जय को अच्छा लगा..
अगले दिन दोपहर को बताए अनुसार गुरु जी घर आए. उनके आते ही, घर में मानो रौनक सी आ गई.
सारे घर पर चहल-पहल थी.
आस पड़ोस की औरतें भी उनके दर्शन करने आई थी.
गुरु जी ने जल-पान करके सबको एक एक करके आशीर्वाद दिया और जब सारे लोग लौट गये तो मां जी, दीदी, डॉली और मैंने गुरु जी के चरण स्पर्श किए.
मैं गुरु जी को पहली बार देख रही थी. उनके चेहरे पर मानो एक अलग सा तेज था.
मां जी ने मुझे एक बार बताया था की गुरु जी की उम्र लगभग 46-48 की है लेकिन उन्हें देख कर लग रहा था मानो वो मुश्किल से 25-30 वर्ष के है.
मां जी ने पहले सारी आस-पड़ोस की औरतों को गुरु जी के दर्शन करने दिए और तब तक, मैं सोलह शृंगार करती रही.

मेरे बाहर आने के बाद मां जी ने मुझे गुरु जी से मेरा परिचय कराया और साथ में मुझे इशारे करते हुए उनके पैर छूने को कहा. मैंने मां जी के कहे अनुसार गुरु जी के पैर छुए.
गुरु जी ने अपना हाथ मेरे सिर पर थपथपाते हुए मुझे आशीर्वाद देते हुए कहा – सदा सुहागन रहो, बहू…
फिर गुरु जी ने मां जी की तरफ देखते हुए कहा – बहू तो बहुत सुंदर है मां जी और संस्कार बड़े अच्छे है… (गुरु जी के मुंह से अपनी तारीफ़ सुन कर, में हल्के से मुस्कुरा उठी.)
मां जी- आप के कहे अनुसार ही हमारे गाँव का सरपंच के बेटी से ब्याह कराया है, जय का… सच कहूँ तो अगर आपने बहू की सिफारिश नहीं की होती तो ऐसी बहू पाने का सौभाग्य नहीं मिलता, गुरु जी…
आस-पड़ोस की औरतें अब जा चुकी थी. डॉली भी तैयार हो रही थी लेकिन उससे इतनी देर होते देख मां जी ने मुझे उसके कमरे में भेजा.. मैं उसके कमरे की तरफ चलने लगी और मां जी गुरु जी से आश्रम के बारे में बातें करने लगी..
डॉली के कमरे में पहुँचते ही, डॉली ने दरवाज़ा खोल कर मुझे गले लगाते हुए पूछा – भाभी, आपको हमारे गुरु जी कैसे लगे !?!
मैंने उस सवाल को टालते हुए उससे पूछा – क्या सचमुच गुरु जी 47-48 साल के है !?! उन्हें देखकर लगता है की उनकी उम्र 30-32 से ज़्यादा नहीं होगी…
डॉली ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया – भाभी जान, आप भी ना !?! मां तो लगभग 17-18 वर्षों से गुरु जी की भक्त रही है… वैसे तो मां गुरु जी से उम्र में छोटी है लेकिन गुरु जी फिर भी मां को आदर से मां जी कहते है… आपने तो सुना ही होगा ना, उन्हें बातें करते हुए !?!
हम दोनों बातों में मसरूफ़ थी.
उतने में मां जी की आवाज़ आई – बहू और डॉली !?! दोनों ऊपर क्या कर रही हो इतनी देर !?! जल्दी नीचे आओ दोनों…
हम दोनों कहे अनुसार नीचे आई और डॉली ने भी गुरु जी के पैर छुए. गुरु जी ने उससे भी आशीर्वाद दिया और चलने की इजाज़त माँगी.
गुरु जी ने जब जाने की बात की तो मां जी ने गुरु जी से 2 मिनिट रुकने को कहा..
मां जी ने गुरु जी से कहा की उन्हें कुछ बात करनी है…
गुरु जी ने मां जी की तरफ मुड़ कर कहा – कहिए क्या बात है मां जी !?! निसंकोच होकर कहिए..
मां जी के चेहरे पर हल्की सी शिकन थी. बात करते हुए वो थोड़ा सा हड़बड़ा रही थी.
गुरु जी – वो… वो… वो… (गुरु जी ने फिर से उन्हें आश्वस्त किया.)
गुरु जी आपके कहे अनुसार मैंने तीर्थ यात्रा पर जाने का प्रबंध किया है… मैं कल रात 8 बजे की ट्रेन से जा रही हूँ… डॉली भी कल सुबह अपने ऑफीस के काम से मुंबई जा रही है, कुछ दिनों के लिए… लगा था की जय और बहू को अकेले में वक़्त बिताने का मौका मिलेगा… लेकिन जय ने आज सुबह बताया की उससे भी शायद कुछ दिन देल्ही जाना पड़ेगा… हम तीनो शायद 2 हफ्तों तक घर पर नहीं है… बहू की चिंता हो रही है, गुरु जी… ये गाँव के माहौल में पली बढ़ी है तो शहर में अकेले रखना उचित नहीं होगा… मैंने आश्रम में सुषमा दीदी से बात की थी और उन्होंने कहा की रात में किसी स्त्री का आश्रम में रहना उचित नहीं है… मैं ये सोच रही थी की अगर आप हमारे घर पर कुछ दिन रुक जायें तो बहू को अभी आपकी सेवा करने का अवसर मिलेगा… आस पड़ोस की बहनें भी आपकी छत्र-छाया में रहेंगी तो उन्हें भी आनंद होगा…
मां जी की बातें सुन कर मुझे दुख हुआ की जय 2 हफ्ते मुझसे अलग रहेंगे. लेकिन इस बात की खुशी थी की गुरु जी का सेवा करने का अवसर भी मिलेगा मुझे.
गुरु जी ने मुस्कुराते हुए, उन्हें आश्वस्त किया की अगर वो यही चाहती है तो वो ज़रूर रहेंगे हमारे घर पर.. लेकिन साथ में उन्होंने ये भी बताया की वो दिन के समय घर पर नहीं आ सकते क्यूंकी उनके भक्तों का आश्रम में ताँता लगा रहता है और अगर वो आश्रम में नहीं दिखाई दिए तो उनके भक्त नाराज़ हो जाएँगे..
बहू तुम्हें तो कोई ऐतराज़ तो नहीं है ना अगर में यहाँ रात में 11:30 बजे तक आओं तो !?! गुरु जी ने पूछा..
गुरु जी की बातें सुन कर मुझे थोड़ा गुस्सा आया क्यूंकी वो अपनी भक्त से अनुमति कैसे ले सकते है !?!
मैंने सिर का पल्लू ठीक करते हुए ज़मीन की तरफ देखते हुए कहा – गुरु जी आप हमसे अनुमति क्यूँ माँग रहे है !?! आप हमारे घर पर आकर रहें ये तो हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी… आपके यहाँ रहने से, ये घर पावन हो जाएगा…
गुरु जी कुछ देर बाद लौट गये और दूसरे दिन सुबह, जय और मां जी चले गये.. डॉली भी श्याम 6 बजे निकल गई.. मैं अब घर में अकेली थी..
रात को 11:40 के करीब, गुरु जी घर पर आए.
मैंने उन्हें घर के भीतर लिया और उनके चरण स्पर्श किए.
गुरु जी को उनकी पसंदीदा द्रक वाली चाय बना कर दी.
गुरु जी ने चाय की चुस्की लेते हुए मुझसे पूछा – बहू तुम्हें रात में डरावने सपने आते है क्या !?!
मैं चौंक गई क्यूंकी मैंने ये बात सिर्फ़ मां जी को बताई थी, सुबह जब वो निकल रही थी..
जी गुरु जी… 2-3 बार मुझे डरावने सपने आए थे… सपने में मैंने देखा की मैं एक बन्द कमरे में हूँ, जहाँ हर तरफ खून ही खून है… सुबह उठ कर मैं काफ़ी देर तक सोचती रही की इस सपने का मतलब क्या होगा लेकिन फिर मैंने अपने आप से कहा की ये सपना ही तो है !?!
गुरु जी मेरी बातें, ध्यान से सुन रहे थे.
फिर उन्होंने अपने झोले में से एक नारियल निकाला और मुझे अपने कमरे में ले जाने को कहा..
मैं कहे अनुसार उन्हें अपने बेडरूम में ले आई.
वहाँ चल कर गुरु जी ने नारियल पर विभूति छिड़क दी और आँखें बंद करके कुछ मंतरा पढ़े.
मंतरा पढ़ने के बाद, उन्होंने अपनी आँखें खोली और झोले में से गंगा जल निकाल कर नारियल पर छिड़का.
गंगा जल छिड़कते ही, नारियल में से धुआँ उठने लगा.
मैं डर के मारे सकपका गई.
गुरु जी ये क्या है !?! – मैंने 2 कदम पीछे जाते हुए पूछा..
गुरु जी ने मेरी तरफ देख कर नारियल को एक तरफ रखा और कहने लगे – इस कमरे में कोई नकारात्मक उर्जा महसूस कर रहा हूँ, बहू… कुछ है जो तुम्हें नुकसान पहुचाना चाहता है… गुरु जी की बातें सुन कर मेरे पैरों तले से जैसे ज़मीन सरक गई..
मैं उनके पैरों में गिर पड़ी..
मुझे इस विपदा से बचा लीजिए, गुरु जी… कृपा करके बचा लीजिए मुझे…
(मेरी आँखों से आँसू बहने लगे.)
गुरु जी ने मुझे कंधे से पकड़ कर उठाया और मेरे आँसू पोंछते हुए, मुझे दिलासा देते हुए कहा की वह सब ठीक कर देंगे…
फिर उन्होंने फिर से आँखें बंद करते हुए मुझे बिस्तर में बैठने को कहा.
मैं तुरंत बैठ गई.
आँखें बंद करते हुए, वो मुझसे बात कर रहे थे.
बहू, क्या तुम्हारी शादी के बाद तुम्हारे घर से कोई यहाँ आया था !?!
मैं डर के मारे कुछ सोच नहीं पा रही थी लेकिन फिर मुझे याद आया की मेरी मेरी मासी आई थी, शादी के 2 हफ्ते बाद..
जी गुरु जी… मेरी मासी आई थी, शादी के बाद मुझे आशीर्वाद देने के लिए… वो मेरी शादी में नहीं आ पाई थी इसीलिए शादी के बाद आई थी…
गुरु जी कुछ पलों के लिए शांत हो गये लेकिन फिर उन्होंने मुझसे कहा की मेरी मासी ने मुझपर जादू-टोना किया हुआ है…
बहू, जय काम से दूर नहीं गया है… उसे भेजा गया है… जब तक ये टोना दूर नहीं होगा, जय तुझ में दिलचस्पी नहीं लेगा…
गुरु जी के बातें सुन कर दिल बैठा जा रहा था.
जय से दूर रह सकती हो, बहू !?!
नहीं गुरु जी… मैं उनके बगैर नहीं रह सकती… – मैंने तुरंत जवाब देते हुए उनके सामने हाथ जोड़े..
कुछ कीजिए, गुरु जी… मैं अपने पति को खोना नहीं चाहती…
गुरु जी अब मेरे बगल में बैठ गये, बिस्तर में.
ये टोना दिन बा दिन बढ़ता जाएगा, बहू… इसे निकालने के लिए तेरे शरीर को शुद्ध करना होगा…
मैंने धीमे स्वर में पूछा – क्या करना होगा, गुरु जी !?!
(गुरु जी ने मेरे कंधों को पकड़ कर, मुझे बिस्तर में लिटा दिया)
तुम्हारे शरीर को मंत्रों द्वारा शुद्ध करूँगा, मैं… अच्छा हुआ जो मैं गंगा जल और शहद साथ ले आया… और उन्होंने अपने झोले से गंगा जल और शहद की बोतलें निकाली..
एक कटोरी में गंगा जल और शहद का मिश्रण करके उन्होंने मुझसे बिना कुछ बोले, मेरे धुन्नी (नेवेल) पर से साड़ी को हटाया…
मेरी धुन्नी पर कटोरी को थोड़ा सा तिरछा करके गंगा जल और शहद का मिश्रण धीरे धीरे गिराया..
फिर उन्होंने उनकी उंगलियों को मेरी धुन्नी पर रगड़ना शुरू किया..
शुद्धि करते हुए ऐसा एहसास होगा, ये सोचा नहीं था मैंने.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-08-2021, 12:46 PM

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