मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 12:10 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
इस तरह से उसकी झांटो की रगड़ मेरे लंड पर रगड़ रगड़कर सहलाने लगा था।
मैं अपनी दोनों हाथों कोउसकी पतली कमर पर से हटाकर मोटे जांघो के बीच ले गया ओर जांघो को हाथ से पकड़कर फैला दी इस तरह दिदि की जांघ काफी फैल गया। - मैं अपने उंगली ओर अंगूठे को अपने दोनों किनारों पर स्थिर कर दिया ओर तब उसकी बूर को थेड़ा फैला दिया। जिससे बूरकी दो पाट दिखने लगा।
दिदि की बूर गहरीहोने के साथ भीतर का पोरशन बाल से घिरा पड़ा था।
उसके झांट से घिरी बूर के भीतर का सतह लाल गुलाबी रंग की टीट ऊपर की ओर झांक रहा था।
उसकी प्यारी बूर ओर टीट अपने भाई के मोटे लंड का प्रहार सहने को तैयार थी।
इस तरह से उसकी बूर के ओठों के बीच मेरा लंड अड़ गया था ओर वह धीरे-धीरे अपना बूर को लंड पर दबाते हुए बैठने लगी। - इस तरह से मेरा खड़ा लंड उसके बूर कि दिवारों को रगड़ते हुए अंदर प्रवेश करने लगा था।
सबसे पहले मेरा लंड का सुपारा बूर में प्रवेश कर गया ओर वह धीरे-धीरे अपनी बूर कोलंड पर दबाते चली गयी और कुछ ही पल मेंमेरा पूरा लंड उसकी बूर को चिपते हुए भीतर घूसता चला गया अंत में मेरा पूरा लंड आठ इंच का उसके बूर की गहराई में घूसकर जड़ तक समा गया।
भाई-भाई डार्लिंग प्रमोद तुम्हारा लंड तो बहुत लंबा है और साथ में मोटा भी है-इसने गोरा बूर को चिर दिया ओह....ओह यह मुझसे बोली।
जब मेरा लंड उसकी बुर में चला गया तब वहमेरेकंधों कि हाथ से झूककर पकड ली और धीरे-धीरे अपना चुतड़ को ऊपर नीचे कर घूसाने लगी और इस तरह से उसकी बूर में मेरा डंडा अंदर बाहर होने लगा।
जब वह अपना चुतड़ को उठा उठाकर पटक रही थी तब उसका बड़ी बड़ी चुचियां घड़ी के पेन्डुलम के तरहहिल रहे थे।

मैं अपने दोनों हाथों से उसको लटक रही चुचियों पकर लिया ओर जोर जोर से मसलने लगा।
बीच-बीच में चुचियोंमसलतेहुए उसकी घुण्डियों को रगड़ देता था।
मुझे दिदि को बड़ी और कठोर चुचियां को मसलने में बहुत मजा आ रहा था।
इस तरह से एक तरफ उसकी बूर को चित कर लंड घुसाया था और दूसरी तरफ उसकी चुचियां को रगड़ाई हो रही थी।
उसकी मस्त बूर मेरे मोटे और कड़े लंड को अंदर तक कर ली रही थी ओर बूर कि दीवारे लंड पर घर्षण पैदा कर रहा थ॥ मैं उत्तेजना में मस्त होकर बोला।
आ...ओह..मुझे तो विश्वास हो नहीं हो रहा कि तुम्हारी इस कसी बूर से दो बच्चा पैदा हुआ है हाय - तुम्हारी चुचियां तो बहुत कड़ा । है। - देखो देख न दिदि धुडी तनकर खड़ा होगया है मेरे लंड के सुपाड़ी को अपनी बुर के जड़ तक रगड़ कर धक्का मारी हाय दिदि चोदो मुझे मैं आज बहुत खुश हूँ। - किमेरी इतनी प्यारी बहन मुझे मिली ओर जोर से और जोर से अपनी गांड को उपर नीचे कर धक्का मारने लगी ओह ओह सी सुदई और में कराते हुए।
अपने हाथों को दिदि के पिछले भाग की ओर ले गया। एक हाथ से उसकी चुतड़ को लंड पर दबा रहा था ओर हाथ से उसे के भारी चुतड़ को मसल रहा था।
उसके मांसल चुतड़ी को मसलने में मुझे मजा आ रहा था। वह हिचकोला मारते हुए।
मेरे विशाल लंड को अपनी प्यारी बुर में पेलवा रही थी। चह मेरी जांघो की धूने से दाबकर धक्का मार रही थी और इस तरह से उसकी चुचियां जोर-जोर से हिल रहे थे।
तभी वह मुद्दा पर औधे होकर पड़ गई। और इस हालत में उसकी चुचियों मेरे छाती पर दबने लगी थी।
और मेरे ओठों को अपने मुंह में भरकर चुसने लगी। वह मेरे ओठो को चूसते हुए अपनी जीभ को मेरे मुंह में घूसा कर नचाने लगी और इस हालत में दीदी के जीभ को चूमता कर चुसने लगा।
वह अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों को मेरी छाती पर रगड़ रही थी और में इसे दबाने में उसकी बड़ी और गोलाकार चतड़ों को उंगली से पकड़कर फैला दिया।
और अपनी लुंगी से गाड़ को खोदने लगा वह अपनी कमर को उठाकर मेरे लण्ड अपनी रसदार बुर को उठाकर मेरे लण्ड अपना रसदार बूर को पटक रही थी।
और तभी मै अचानक उसकी गांड में अपनी एक उंगली की पेल दिया।
मेरी इस हरकत पर वह चिहुंकी और मेरे जीभ को अपने दांतो से काटते हुए बोली।
तुम लटखट लड़के मेरी गांड में उंगली क्यों पेल रहे हो क्या तुम्हे अपनी बहन पर दया नहीं आ रही।
मेरे प्यारे भाई पहले मेरी बूर को चोद ले तब यदि तुम्हारी इच्छा है तो बाद में मेरी गांड मार लेना ओह प्रमोद अपनी कमर कमो उपर उठा उठा कर मुझे जोर जोर से चोदो।
ओह माई गौड दवा दो पुरा हाय आने दो अब कुझे बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है और अच्छे लड़के तुम्हारा सुपारी बहन की बर के तह ४ तक जा रहा है। - उसके मुंह से सिसकी भीर आवाजा निकल रही थी तभी वह मुझे अपनी बदन से चिपकाते हुए विछावन पर पलट गई और मुझे बदन से कसकर पिचका और जब वह मुझे चिपका कर पलटी तब मेरा लण्ड दीदी के बूर में ज्यों के त्यों धंसा रहा।
वह पलटने के बाद धक्का मारने के लिए बोली अब मेरी बड़ी बहन नीचे थी।
और मै उसकी उपर था अभी भी उसकी बुर के जर तक मेरा लण्ड धंसा हुआ था।
मैं अपनी कमर को उपर नीचे कर धक्का मारने लगा।
उसकी बूर चिपचिपा गई थी और मेरा लण्ड उसकी बूर में फच फच की आवाज करते हुए जा रहा था।
वह भी अपनी कमर को नीचे से उठाकर बूर को लण्ड पर दबा रही थी।
और सिसियाते हुए बोली ओह प्रमोद जोर जोर से धक्का मारो हाय मेरी बूर में खूजली ओह -सी...सी.....।
मै अपनी बहन को सिसकी भरी आवाज को सुनकर अपनी बड़ी बहन उर्मीला को जोर से चोदने लगा।
मै अपने पूरी लण्ड को उसकी बूर से बाहर कर एक ही धक्के में भीतर तक पेल देता था। - उस दिन के बाद उमेश को ऐसी बूर का सस्का लगी कि वह नित्य मुझे चोदा करता था।
एक सप्ताह के बाद ही मैं गर्भवती हो गई तो उमेश हमसे बेहद खुश हुआ।

मै अपने घर के चाहरदीवार के भतर ही अपनी मस्ती कामना को अब पूरी करने लगी और अब मुझे भी उमेश के बिना कभी भी चैन नहीं पड़ता था।
धीरे-धीरे समय अपनी रफ्तार से बीत रहा था।पूरे छः माह त िमै अपने देवर उमेश के लण्ड का मजा मिलती रही लेकिन अब थोड़ा थोड़ा पेट में दर्द सा होने लगा था।
मैने अपनी सहेली मधू कि जवान लड़की राधिका से उमेश सम्पर्क करा दी।
राधिका बेहद खूबसूरत थी और इस समय उसका उन सोलह से अधिक नहीं हो पाई थी।
उमेश राधिका को पाकर इतना खश था कि वह बार बार कहता था कि भाभी तुम बहुत अच्छी हो। राधिका भी उमेश का दिल खोलकर साथ देती थी।
क्योंकि उसकी बर के टेस्ट में और भाभी के बर के टेस्ट में जमीन आसमान का अंतर पाया था।
अब उमेश और राधिका अपनी दिल से एक दूसरे पर फिदा हो गई थी।
उमेश का लण्ड बगैर खाये उसे चैन ही नहीं मिलता था।
जब तक वह उमेश की लण्ड खाने के लिए बेकरार रहती। इधर उमेश का भी वही हाल था।
वह भी अपनी पढ़ाई को ताख पर रख हमेशा राधिका के बूर के पीछे रह गया था।
अगर सच पुछिये तो सावन भादव कि कुत्ता और कुत्तिया जैसे दोनो एक दुसरे के पीछे लगे थे।
और मौका मिलते ही वह उसके बूर में अपना लण्ड पेल देता। इस तरह का खेल अब हरेक दिन चलने लगा।
कभी-कभी तो उमेश उसके बूर को दिन में रात दोनो समय में छ: सात बार भी चोद देता था।
इस तरह चोदाते चोदाते राधिका दो महीने में ही कली से फुल बन गई।
अब उसके सुन्दरता औरी भी देखने लायक हो गई थी।
कोई भी नौजवान अगर एक बार राधिका की तरफ देखता तो उसका और उसके चेहरे पर से हटने का नाम ही नहीं लेता था।
और फिर ईश्वर से प्रार्थना करने लगता। राधिका की खुबसूरती से उमेश खुब प्रसन्न था।
यह ईसाही कैसी-कैसी सुरते तुने बनाई है यह सुरत कलेजे में समा लेने के काबिल है।
इस रोमांस के बाद राधिका भी कुछ माह बाद गर्भवती हो गई तो वह घबराने लगी।
तो मैने कहा राधिका घबराओं नहीं तुम्हारी शादी उमेश से करा दूंगी।
फिर राधिका कि मां को पटाकर सचमुच मैने उमेश से उसको शादी करा दी।
कुछ दिन बाद एक स्वस्थ लड़के को जन्म दिया। शादी के बाद भी मेरी देवर से अवैध सम्बन्ध बना रहा।

समाप्त

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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-10-2021, 12:10 PM

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