मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 12:15 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
ओह भगवान में नहीं जानता उस अनुभवी औरत का नाम क्या है। लेकिन उसकी भीगी बूर में मेरा पूरा लंड घुसा हुआ था ।
वह अपने बूर को मुझे अपने हाथों से जकड़ते हुए मेरे लंड पर चापे थी और इस तरह से मेरे लंड का ठोकर उशकी बूर की जड़ पर पर रहा था ।
मेरा गरदन को अपने हाथ में पकरकर अपनी बूर को लंड पर नचाने लगी वह । इस नरह उसकी बूर मेरे लंड पर नाच रही थी।
वैसे पाठको मैं सबसे पहले अपने बारे में बता दूं। मैं अपने बदन से हृष्ट पुष्ट हूं और किसी भी औरत को अपनी गोदी में उठाने में जरा भार महसुस नहीं होता है।
और यही बात उस समय आ औरत के साथ हो रही थी। मैं खड़े-खड़े ही उस की बुर में लंड पेले हुआ था और वह मेरे बदन से चिपक कर अपनी चुतड़ को ऊपर नीचे कर धक्का मार रही थी।
मेरा मोटा एवं लंबा लंड उसकी बूर के अन्दर फचाफच जा रहा था। मैं उसके कमलायम एवं चिकने चतडों को हाथ से पकड़कर धक्के लगाने में सहयोग कर रहा था।
मैं सटेचु के तरह खड़ा था और वह अपने बदन में हरकत लाते हुये धक्के मार रही थी।
बीच-बची में मैं भी अपनी कमर को उछालते हुये बूर पर ध क्का मार देता । वह अपने पैरों को मेरे कमर से चिमटा की तरह लिपटाकर जकड़े हुये थी।
औरचुतड़ को फदकाते हुए धक्का लगा रही थी। मेर अण्डकोष उसके बूर की ओठों के दीवारों पर चोट मार रहा था ।
इस समय हम दोनों की ही स्थिति वासना की आग से तप रही थी। और हम दोनों को अपेन बदन का जरा भी खबर नहीं था । हम दोनों लिए बची एक विचित्र तरह की शमा दंधी हुई थी।
हम दोनों का एक ही लक्ष्य था - और वह था वासना की अतिम मंजिल प्राप्त करना ।

मैं खड़ा था और मेरी अजनवी डालिंग अपनी कमर उछाल उछाल कर लंड को बूर में लील रही थी। इस समय का दृश्य ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों अजन्ता एक्सप्रेस का नकल कर रहे है।
वह अपनी चुतड़ को घिरनी की तरह नचाते हुए और मैं उसके जबाव में अपेन लंड को बूर में पेल कर धक्के का जबाव दे देता था।
मैं खडा था और मेरी अजनवी डार्लिंग कमर उछाल उछालकर लमें को बर में लील रही थी। इस समय का दृश्य ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों अजन्ता एक्सप्रेस का नकल कर रहे हैं। वह अपनी चुतड़ को घिरनी की तरह नचाती हुई धक्के मार रही थी और मैं भी ऊपर से जोश में आकर उसे चांपे जा रहा था। मेरा अण्डरकोष बुर के होंठ के दीवारों पर ठोकर मार रहा था।
मुझे इस समय औरत को खड़े-खड़े चोदन में बहुत मजा आ रहा था इस स्थिति में मेर लंड को उसकी बर की दीवारें खीचं लेती थी।
हम दोनां आपस में सुध बुध खोकर एक दूसरे के प्रति धक्का मो जा रहे थे। इसी तरह से करीब दस मिनट के उपरान्त उसकी बर से गर्म पानी का श्रोत फुटना शुरू हो गया।
वह झड़ते समय अपनी नाखून को मेर कन्धे पर दबाती चली गई और वह अपने बदन को मेर बदन से पर्ण रूप से चिपका कर लिपट गई।
उसके चिपट कर लिपटने पर उसकी बड़ी-बड़ी एवं भारी चुचियों के बीच कड़ी हो चुकी धुण्डी मेरे छाती में चुभन पैदा करने लगी थी। मेरे लंड पर बूर के पानी का छिड़काव हो रहा था ।
और तभी मैं भी नीचे से अपनी कमरे को उचकाते हुए खलास होन लगा । मैं अपने दानों हाथों से उसके चुतड़ों को पकड़कर अपेन लन्ड पर दवा लिया ।
इस तरह से मेरे लन्ड का गाढ़ा पानी उसकी बूर की तह पर बौछार कर रहा था।

उसकी. बुर की गहराई में मेरा गर्म गर्म वीर्य ढेर मात्रा में गिरा था वह अपनी बुर में लन्ड के गर्म वार्प को महसूस कर सिहरन से भर उठी और इस स्थिति में वह अपनी पसीज रही बूर को मेर लन्ड पर मजबूती से दबोच ली।
उसे अपनी बुर में गर्म वीर्य पाने में अच्छा लग रहा था।
कुछ पल तक मैं खड़े-खड़े अपने हाथों के भार पर उसे उठाया रहा जब हम दोनों पूर्ण रूप से सन्तुष्ट हो गये।
तब मैं उसे अपने हाथों से सहारे लंड पर उतार कर नीचे कर दिया और वह भी अपने बूर से लन्ड को निकलवा कर जमीन पर खड़ी हो गई।
वह एक पल मेरी ओख देखकर एक शोखी भरी मुस्कान फेकी और तब अपने वस्त्रों को पहनने लगी।
वा अपने कपड़े पहनने के बाद अपने पर्स और समान उठाई और दरवाजे की ओर मुड़ी।
तभी मैं उस औरत के पास पहुंचा और अपेन हाथ से उसकी बांह को पकड़ लिया। वह मेरी आंखों में झांकते हुए देखने लगी। उसकी आंखें अन्धकार में चमक रही थी।
मै उसे प्यारे चेहरे का अपने हाथों के नीचे लिया और अपने हाठों से चिपकाकर चुमने लगा । मेरा चुम्बन पाकर वह भी मुझे चुमने लगी और साथ में अपनी जीभ को मेरे मुंह में दबाने लगी।
मैं अपने मुंह को थोड़ा चौड़ा कर दिया और वह अपनी जीभ को मेर मुंह में प्रवेश कर इस तरह से घुमाने लगी ।
जैसे वह अपनी जीभ से मेरे मुंह में कोई चीज खोज रही हो।
करीब एक मिनट बाद में उसे चुमना छोड़कर उसे अपने हाथों के बीच आजाद कर दिया।
औरवह मुझसे विदा लेकर दूकान से बाहर चली गई मैं अपने पेण्ट को पहनकर तैयार हो गया और दूकान बन्द कर दूकान की चाभी मालिक को देकर घर लौटा ।
उस दिन के बाद वह और फिर मेरी दूकान पर नहीं आ रहे ।

उसके द्वारा बिताये गये क्षण मेरे दिमाग में घुमते रहते थे ।
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-10-2021, 12:15 PM

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