मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-11-2021, 12:15 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
जीजू मेरे ऊपर से धीरे से हट गये और बिस्तर पर ही बैठ गये। जीजू का कड़क लण्ड पजामें में से तम्बू की तरह खड़ा हुआ था। मुझे बहुत खराब लगा, सारी मस्ती चूर चूर हो गई थी। उनके खड़े हुये लण्ड से चुदने को पूरी तैयार थी। उनके इस तरह से हट जाने से मैं परेशान सी हो गई। पर मुझे क्या पता था कि आगे के कार्यक्रम क्या है।

मैंने अपनी शमीज ठीक की पर वो छोटी बहुत थी।

'जीजू, मुझे वो अपना...दिखाओ ना !' मैंने तिरछी निगाह से जीजू के लण्ड की ओर देखा।

'क्या लण्ड देखोगी?' जीजू ने मुझे फिर भड़काया, दिल तेजी से धाड़ धाड़ करने लगा

'हाय कैसे बोलते हो...हाँ वही ...' मेरा तो जिस्म ही कांपने लगा था।

'पकड़ोगी मेरा लण्ड...?' उन्होंने फिर मुझे शर्म से लाल कर दिया। मैंने शरमाते हुये हाँ कह दिया।

'चूसोगी...?' वो फिर मुझे बोल बोल कर दिल तक को हिलाते रहे।

'धत्त...इसे कौन चूसता है?' मेरी शर्म से भीगी आवाज निकली।

जीजू ने अपना लण्ड बाहर निकाल दिया। आह्ह्ह ! सच में उसका लण्ड बहुत ही सुन्दर, गोरा और बलिष्ठ लग रहा था। उसकी नसें उभरी हुई लाल सुर्ख सुपाड़ा बहुत ही अद्भुत और चमकदार था। मैंने शरमाते हुये किसी मर्द का लाल सुर्ख लण्ड पहली बार बार थामा।

'लण्ड थामा है तो साथ निभाना !'

'धत्त, ऐसे क्या कहते हो?'

मैंने जीजू का लण्ड दबाना और मसलना शुरू कर दिया। जीजू आहें भरने लगे। बहुत कड़क लण्ड था।

अचानक जीजू ने मेरे बाल पकड़े और मेरे सर को अपने लण्ड पर ले आये।

'नेहा चूस ले रे मेरे लौड़े को...स्स्स्सी सीईईइ चूस ले यार...' जीजू ने अपना मोटा लण्ड मेरे गाल पर रगड़ दिया। फिर उसका गुदगुदा चमकता हुआ लाल सुपाड़ा मेरे मुख में समा गया। फिर वो अपने कूल्हे हिला हिला कर मेरे मुख को जैसे चोदने लगा।

फिर मैंने उसे पूछा- इसमें बहुत मजा आता है क्या...?

मैंने धीरे से पूछ लिया।

'मेरी नेहा, बस पूछो मत...चल अब लेट जा...अपनी टांग उठा ले...चुदा ले अब !' उफ़्फ़्फ़ जीजू कैसे बोलते है हाय रे।

मैंने अपनी दोनों टांगे चौड़ी करके ऊपर उठा ली। जीजू मेरी टांगों के बीच में फ़िट हो गये और अपने हाथों से मेरी भीगी हुई नंगी चूत में लण्ड को जमाने लगे। मुझे उनका भारी सा लण्ड का नरम सा अहसास लगा। फिर मेरी छोटी सी तंग चूत में उसका लण्ड घुसने सा लगा। मुझे लगा ओह्ह मेरी चूत तो अपना मुँह खोलती ही जा रही है। जाने कितनी चौड़ी हो जायेगी ये...मुझे तेज मीठा सा आनन्द आया।

तभी जीजू ने मेरे होंठों को अपने होंठों पर रख कर उसे चूसने लगे और साथ ही कमर उठा कर अपने चूतड़ों से जोर लगा कर लण्ड को जोर से घुसड़ने लगे। मैंने भी तड़प कर जीजू को जोर से बाहों में दबा लिया और लण्ड को भीतर घुसेड़ने का सम्पूर्ण यत्न करने लगी। कितना कसता सा अन्दर जा रहा था। तेज आनन्द भरी खुजली, बहुत मजा आ रहा था।

'मेरे जीजू...जरा कस कर...बहुत मजा आ रहा है।' मेरे मुख से आखिर निकल ही गया।

'बहुत कसी है नेहा जानम !' जीजू ने मेरी तंग चूत पर जोर लगाते हुये कहा।

'उह्ह्ह्ह...बस चोद दो अब...हाय रे, मर जाऊँगी राम...और जोर से दम लगाओ ना !'

जीजू ने धीरे धीरे जोर लगा कर लण्ड को बच्चेदानी के मुख तक पहुँचा दिया। उसका लण्ड का योनि में इतना टाईट फ़िट होने से मुझे बहुत आनन्द आने लगा था। हम दोनो के शरीर एक हो चुके थे, लण्ड से जुड़ चुके थे। अब जीजू धीरे से धीरे मेरी चूत पर अपना लण्ड घिस रहे थे। मुझे बहुत तेज उत्तेजना लग रही थी।

अब जीजू थोड़े से ऊपर उठ गये थे और अपने शरीर को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया था। अब वो लण्ड अन्दर-बाहर करके मुझे चोद रहे थे। लण्ड और चूत दोनो ही चूत के पानी से सरोबार हो चुके थे और थप थप की आवाजें आने लगी थी। उनके इन्हीं प्यारे धक्कों से मुझे मस्ती का ज्वार चढ़ने लगा था और मैं अपनी चूत उछल उछल कर चुदाने लगी।

मस्ती भरी चुदाई, मस्त नशा...मस्त खुमार...इतना चढ़ा कि नहीं चाहते हुये भी मेरी चूत ने रस की धारा छोड़ दी। मेरी चूत जोर जोर से अन्दर बाहर होकर मचक मचक करने लगी और अपना काम रस धीरे धीरे छोड़ने लगी।

जीजू कुछ कुछ हांफ़ते हुये दो मिनट के लिये रुक गये। मैंने भी झड़ने के बाद करवट ले ली और थोड़ी सी उल्टी हो कर लेट कर आनन्द के क्षण को महसूस करते हुये मुस्कराने लगी।

उससे जीजू पर उल्टा ही असर हुआ। उन्होंने मेरे मस्त चूतड़ों को थपथापाया और मेरी गाण्ड के पटों को चीर दिया। भीतर से मेरी कई बार की चुदी हुई गाण्ड मुस्कराने लगी। जीजू ने उसे और खींच कर खोला और अपना लण्ड गाण्ड की छेद पर रख दिया और अपना सम्पूर्ण भार डालते हुये मुझ पर झुक गये।

उसका लण्ड मेरी गाण्ड के भीतर सहजता से उतर गया। मैंने भी पेट के बल लेट कर अपनी पोजीशन ठीक कर ली और गाण्ड की ढीली करके लण्ड को उसमें घुसाने में सहायता की।

जीजू के दोनों हाथ मेरी पीठ से सरकते हुये मेरे सीने पर आ कर जम गये। मेरी गेंद जैसी चूचियों को मसलने लगे।

पहले तो मुझे तेज मीठी सी जलन सी हुई, फिर तेज मीठी सी कसक तन में भरती चली गई। मजा बहुत आने लगा था। मेरी चूचियों पर जीजू का हाथ भारी पड़ रहा था। जीजू ने अपना पूरा जोर लगा दिया और उनका कठोर लण्ड मेरी गाण्ड में घुसता चला गया। गाण्ड मराई में इतना मजा आता है मैंने तो कभी सोच ही ना था। ये तो जीजू के मोटे लण्ड का कमाल था।

'साली की माँ चोद दूँगा, साली चिकनी...गाण्ड मार कर फ़लूदा बना दूँगा।'

'ओह्ह, मीठी मीठी गालियाँ...अच्छी लग रही हैं जीजू...मार दे मेरी गाण्ड ! हाय रे जीजू ! जोर से, मार दे यार !'

'ले छिनाल...चुद ले अब तू भी...याद करेगी कि तुझे तेरे जीजू ने चोदा था।'

'दीदी की तरह चोदो ना।'

'ओह तो तुम सब देखती हो...'

यह कह कर वो जोर जोर से मेरी गाण्ड मारने लगा। इतनी देर में मेरी चूत फिर से उत्तेजित हो चुकी थी, मुझे उसी वजह से बहुत मजा आने लगा था। मैं अपनी टांगे बिस्तर पर फ़ैलाये उल्टी लेटी गाण्ड चुदवा रही थी। हाय राम ! जीजू कितने अच्छे हैं, मुझे कितना सुख दे रहे हैं.. यह सोचते हुये मैं चुद रही थी कि जीजू ने जोर हुंकार भरी और अपना लण्ड मेरी गाण्ड से बाहर निकाल लिया। मैंने सीधे होकर उनका लण्ड अपने हाथ में ले लिया और जोर जोर से मुठ्ठ मारने लगी। तभी उसके लण्ड के सुपाड़े के बीच में से जोर की धार निकल पड़ी। मैं उस धार को ध्यान से देखती रही...कैसा रुक रुक कर वो दूध छोड़ रहा था। मेरी छातियों पर, पेट पर और कुछ बूंदें मेरे मुख पर भी बरस रही थी।

'अरे रे...छिः छिः ये क्या कर दिया...मुझे तो गीली कर दिया।'

'नेहा रानी...जरा चख कर तो देखो !'

'क्या...?'

ये देखो...! ' उन्होंने अपनी एक अंगुली से अपना वीर्य उठा कर चूस लिया।

मैंने उसे आश्चर्य से देखा। फिर उसी अंगली से थोड़ा सा वीर्य और उठाया और मेरे मुँह में अंगुली डाल दी। उसे बताने के लिये तो मैंने उसे ऐसे जताया कि जैसे वो बहुत स्वादिष्ट हो।

फिर मैं उठी और बाथरूम में चली आई। मैंने झांक कर देखा वो बिस्तर पर लेटा हुआ सुस्ता रहा था। मैंने अन्दर जाकर मेरी छाती पर पड़ा हुआ वीर्य फिर से चखा, फिर और चखा...फिर पूरा ही चाट लिया...उह, कोई खास तो नहीं...बस यूँ ही चिकना सा, फ़ीका फ़ीका सा...पर शायद मर्द इसी बात से खुश होते होंगे।
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-11-2021, 12:15 PM

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