मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
07-22-2021, 12:53 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
" सावधान हर्षपाल !!! तुम्हारी मृत्यु में अभी समय है ! ".

अवंतिका और विजयवर्मन कि गर्दन पर अपनी तलवार से वार करने ही वाले थें हर्षपाल, कि एक अत्यंत आक्रामक आधिकारिक आदेश ने उन्हें ठिठक कर रुकने पर विवश कर दिया. इतने सशक्त स्वर में चेतावनी देने वाले का चेहरा देखने के लिए हर्षपाल ने अपनी गर्दन कक्ष के द्वार कि ओर घुमाई ही थी, कि उन्हें रोकने हेतु किये गये अगले प्रयास के तहत एक तीर तेज़ गति से आकर उनके हाथों में लगा, फलस्वरुप उनके हाथ से उनकी तलवार छिटक कर उनसे दूर नीचे ज़मीन पर जा गिरी.

वाण चलाने वाले ने इतनी निपुणता से वार किया था कि तीर हर्षपाल के दोनों हथेलीयों को भेद कर बीच में ही अटक कर थम गया था, मानो तीरंदाज़ का उद्देश्य ही क्रूर हर्षपाल के दोनों हाथ बांधना हो !

अपने प्राणो कि आहुति देने के लिए बैठे अवंतिका और विजयवर्मन ने अचंभित होकर सिर उठाया और द्वार कि ओर देखने लगें. सामने से किसी अज्ञात स्रोत से छूटते हुये हवा में एक साथ अनगिनत वाण उनकी ओर बढ़ें तो उन्होंने तुरंत अपने सिर नीचे झुका लियें. अपने पीछे खड़े सैनिकों, जिनकी गिरफ्त में वो दोनों अब तक थें, के तलवारों कि खनक और फिर तलवारों के नीचे ज़मीन पर गिरने का स्वर अपने कानों से सुनते ही दोनों समझ गएँ कि वो सारे सैनिक उन तीरों से धराशायी होकर गिर मर चुके हैं !

ऐसा ही कुछ चित्रांगदा को पकड़ रखे सैनिकों के साथ भी हुआ, ज़हरीले तीरों ने पलक झपकते ही उन्हें नर्कलोक में धकेल दिया था. चित्रांगदा अब मुक्त थी !

बंधनमुक्त होते ही चित्रांगदा कक्ष में हो रहे तीरों के बौछार के बीच से भागते हुये अवंतिका और विजयवर्मन के पास पहुँची और उन्हें अपने हाथों का सहारा देकर उठाकर खड़ा किया. तीनों अब तक इतना तो समझ ही चुके थें कि तीरों कि ये बारिश उन्हें नुकसान पहुँचाने के लिए नहीं थी !

बेबस हर्षपाल इधर उधर मुड़कर चारों तरफ अपने आतंकित सैनिकों को उस कक्ष के अंदर ही अपने प्राण बचाने हेतु भागते और फिर विवश होकर मरते हुये देखते रहें !

" कौन है ये दुस्साहसी ??? सामने क्यूँ नहीं आता ??? ". भय मिश्रीत क्रोध से तिलमिलाये हर्षपाल ज़ोर से चिल्लाते हुये बोलें.

कक्ष में ना जाने कहाँ से अज्ञात सैनिकों का एक पूरा गिरोह घुस आया था, किसी के हाथ में तलवार था, तो किसी के हाथ में भाला, और तीर धनुष. हर्षपाल के मरे पड़े सैनिकों के अलावा जितने भी बचे खुचे सैनिक वहाँ मौजूद थें, उस हरेक सैनिक के पीछे करीब दो से तीन ये अज्ञात सैनिक आ धमकें. कक्ष में अभी अभी जो कुछ भी हुआ था, उसके भय और आतंक से ग्रसित हर्षपाल के इन सैनिकों ने मरने से बेहतर अपने हथियार डालने का निर्णय उचित समझा !

" भाग क्यूँ रहे हो मूर्खो ??? शत्रु का सामना करो... ". हर्षपाल फिर से चिल्लाये, और अपने आस पास दौड़ते भागते सैनिकों को जबरन पकड़ पकड़ कर सामने द्वार कि ओर धकेलने लगें जिस ओर से ये अज्ञात मुसीबत आ धमकी थी . परन्तु फिर वो अपने ही ऊपर मानो लज्जित होकर रुक गएँ , क्यूंकि चारों ओर नज़र दौड़ाकर देखने पर उन्हें पता चला कि वहाँ अब उनके ऐसे सैनिक बचे ही नहीं थें जो कि लड़ सकें. उनके सैनिक या तो ज़मीन पर गिरे मरे पड़े थें, या फिर भय से कांपते खड़े हथियार डाले अपने प्राणो कि रक्षा हेतु प्राथना कर रहें थें !

सैनिकों का कोलाहल और वाणों कि वर्षा जब थोड़ी शांत हुई तो अवंतिका, विजयवर्मन और चित्रांगदा ने देखा कि कक्ष में वो अज्ञात सैनिक अब पूरी तरह से भर चुके थें.

क्रोध से आगबबूला हुये हर्षपाल ने अपने दोनों हाथों को इतने ज़ोर से झटका कि हथेलीयों में चुभा हुआ तीर दो टुकड़े होकर नीचे ज़मीन पर छिटककर गिर पड़ा, और उसके दोनों हाथ आज़ाद हो गएँ. वो ज़ोर से गुर्राते हुए उस अज्ञात सैनिकों कि टुकड़ी कि ओर निहत्था ही अकेले लड़ने के लिए दौड़ पड़ा, परन्तु तभी ना जाने कहाँ से सैनिकों कि भीड़ में से एक वाण तीव्र गति से लहराते हुये आकर उसके दाएं जंघा पर लगा, और वो आधे रास्ते ही लड़खड़ाकर अपने घुटनों के बल ज़मीन पर गिरकर पीड़ा से चिल्लाने लगा !!!

अज्ञात सैनिकों का झुंड तुरंत किनारे किनारे होकर सिर झुकाकर खड़ा हो गया और बीच से किसी के आगमन के लिए रास्ता बना दिया !

अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित, हाथ में धनुष थामे, पीठ पर वाणों से लदा तूनीर लटकाये, छाती पर लोहे का कवच और सिर पर राजसी सोने का मुकुट पहने एक वृद्ध, परन्तु ह्रष्ट पुष्ट तथा बलशाली दिखने वाला शख्स सैनिकों के बनाये बीच के मार्ग से अंदर कक्ष में दाखिल हुआ, और अंदर आते ही रुककर सबसे पहले अपनी पैनी नज़र वहाँ मौजूद हरेक व्यक्तिविशेष पर दौड़ाई !!!
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 07-22-2021, 12:53 PM

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