RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
रंगीला ने आगे बढ़ कर उससे वह चाकू छीन लिया जो कि उसने कौशल पर चलाने की कोशिश की थी। चाकू उसने सड़क और किले की दीवार के बीच बनी खाई में फेंक दिया।
“अभी आंखें निकाल दी होतीं तो मेरी हरामजादे ने।”—कौशल आतंकित स्वर में बोला। साथ ही उसने एक जोरदार घूंसा उसके पेट में रसीद किया। उसके मुंह से यूं आवाज निकली जैसे एकाएक गैस के गुब्बारे का मुंह खुल गया हो। उसके बाद उसने हाथ-पांव पटकने की कोशिश नहीं की। उसने अपना शरीर राजन और रंगीला की गिरफ्त में ढीला छोड़ दिया। उसे अहसास हो चुका था कि वह तीन जनों से नहीं लड़ सकता था।
“कौन हो तुम?”—रंगीला ने पूछा।
उत्तर न मिला।
रंगीला ने एक करारा घूंसा उसकी पसलियों में जमाया और कहरभरे स्वर में बोला—“अपना नाम बोल, हरामजादे।”
“जुम्मन।”—वह कठिन स्वर में बोला।
“कहां रहते हो?”
“अन्धा मुगल।”
“काम क्या करते हो?”
“कुछ नहीं। बेकार हूं।”
“हमारे साथी के पीछे क्यों लगे हुए थे?”
“मैं किसी के पीछे नहीं लगा हुआ था।”
“अन्धेरे में इधर कहां जा रहे थे?”
“लाल किले।”
“क्या करने?”
“अपने एक यार से मिलने।”
“यार का नाम बोलो।”
“जवाहरलाल नेहरू।”
रंगीला ने एक इतनी जोर का झांपड़ उसके चेहरे पर रसीद किया कि उसका निचला होंठ कट गया और उसमें से खून रिसने लगा।
“हरामजादे!”—रंगीला दांत पीस कर बोला—“मसखरी करता है।”
“तुम पछताओगे।”—जुम्मन सांप की तरह फुंफकारा।
“अच्छा!”—रंगीला व्यंगपूर्ण स्वर में बोला।
“तुम जानते नहीं हो मैं किसका आदमी हूं।”
“अब जान लेते हैं।”
“मैं दारा का आदमी हूं।”—वह बड़े रौब से बोला—“तुम लोग अपनी खैरियत चाहते हो तो मुझे छोड़ दो।”
“नहीं छोड़ेंगे तो तुम्हारी हिफाजत के लिए क्या करेगा तुम्हारा बाप? मिलिट्री भेज देगा?”
वह खामोश रहा।
“स्साले! यह दारा का इलाका नहीं है। यहां दारा की धौंस नहीं चलती। यह हमारा इलाका है। यहां हमारी धौंस चलती है। बता देना अपने बाप को।”
“मैं जरूर बताऊंगा।”
“जरूर बताना। अब बोलो। उसने तुम्हें हमारे साथी के पीछे क्यों लगाया था?”
“मैंने कब कहा कि मुझे उसने किसी के पीछे लगाया था?”
“उसने न सही, तुम खुद ही हमारे साथी के पीछे क्यों लगे हुए थे?”
“मैं किसी के पीछे नहीं लगा हुआ था।”
रंगीला ने उसकी छाती पर एक घूंसा जमाया और फिर अपना सवाल दोहराया।
उसने उत्तर नहीं दिया।
“हमने खुद तुझे अपने साथी के पीछे लगे देखा था, उल्लू के पट्ठे।”—रंगीला गरजा—“साफ-साफ बोल, क्या बात है वर्ना ऐसी मार मारेंगे कि नानी याद आ जाएगी।”
लेकिन जुम्मन साफ-साफ तो क्या, कैसा भी न बोला।
फिर रंगीला के संकेत पर तीनों ने मिलकर जुम्मन की इतनी धुनाई की कि वह बेहोश हो गया।
उसकी यूं धुनाई करके रंगीला दारा के लिए यह स्थापित करना चाहता था कि उसके इलाके से बाहर कोई दूसरा शक्तिशाली गैंग भी सक्रिय था। इस प्रकार जिस माल पानी की नुमायश कौशल करता रहा था, उसे गैंग का सदस्य होने के नाते उसकी उजरत माना जा सकता था, यानी कि दारा को यह सोचने पर मजबूर किया जा सकता था कि कौशल के पास जो रकम थी, वह जरूरी नहीं था कि आसिफ अली रोड वाली चोरी का हिस्सा होती।
ऐसा रंगीला ने इसलिए सोचा था कि क्योंकि उसे हीरे की उस अंगूठी की खबर नहीं थी जो कौशल ने लूट के माल में से चुपचाप मार ली हुई थी। उसे वह बात मालूम होती और यह मालूम होता कि कौशल ने पायल के सामने वह अंगूठी भी पेश की थी तो जुम्मन की धुनाई करना उसे कतई बेमानी लगता।
“इसकी जेबें टटोलें?”—राजन बोला।
“छोड़ो, कोई फायदा नहीं होगा।”—रंगीला बोला—“यह हम जानते ही हैं कि यह दारा का आदमी है। और दारा कौशल की फिराक में कैसे पड़ गया, यह हमें इसकी जेबें टटोलने से मालूम नहीं होने वाला। अब चलो यहां से।”
तीनों वापिस लौट चले।
कौशल का दिमाग तेजी से ऐसी कोई तरकीब सोच रहा था जिससे सन्देह का रुख उसकी तरफ से फिर सकता।
“गुरु।”—एकाएक वह बोला—“शायद सफदर हुसैन सुनार ने कोई घपला किया हो! सुबह जब मैं उसके पास सोना और प्लैटीनम बेचने गया था, तब शायद उसने मुझे पहचान लिया हो और उसने दारा को खबर कर दी हो! आखिर दरीबा भी तो दारा का ही इलाका है।”
“न।”—रंगीला इन्कार में सिर हिलाता बोला—“सफदर हुसैन ऐसा नहीं कर सकता। अगर वह मुकम्मल तौर पर भरोसे का आदमी न होता तो सलमान अली हमें कभी उसके पास न भेजता।”
“ओह!”
“कौशल, तुम सच कह रहे हो कि आज तुम पायल से नहीं मिले?”
“जिसकी मर्जी कसम उठावा लो, गुरु, मैं नहीं मिला। मैं क्या इतनी सी बात के लिए तुमसे झूठ बोलूंगा?”
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