RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
“दारा खुद कत्ल करे, यह बात मेरे गले से नहीं उतरती। वह इतना बड़ा गैगस्टर है। वह किसी से भी पायल का कत्ल करा सकता था।”
“यह एक खूबसूरत औरत के कत्ल का मामला है, सर। ऐसी औरत के कत्ल का मामला है जो कि उसकी रखैल थी। हो सकता हैं उसका कत्ल का कोई इरादा न रहा हो लेकिन किसी वक्ती जुनून के काबू में आकर उसने ऐसा कर डाला हो।”
“हूं।”
“सर, चतुर्वेदी बोला—“आपने उससे मेरे इलाके वाली वारदात से ताल्लुक रखता तो कोई सवाल पूछा ही नहीं।”
“मैने जान-बूझकर नहीं पूछा।”—भजनलाल बोला—“उसकी सूटकेस वाली कहानी ने ही मुझे इस बारे में खामोश रहने पर मजबूर कर दिया था। वह कहता है कि सूटकेस चोरी हो गया है लेकिन मेरा खयाल है कि उस सूटकेस में कामिनी देवी के यहां से लुटा माल है जो उसने कहीं छुपाया है। हो सकता है कि वह उस सूटकेस को क्लॉकरूम में जमा कराने की नीयत से ही स्टेशन पर गया हो। हो सकता है कि वह सूटकेस इस क्षण भी पुरानी दिल्ली स्टेशन के क्लॉकरूम में मौजूद हो। उसने सूटकेस का हुलिया बयान किया है। कल की तारीख में वहां जमा करवाए गये वैसे सूटकेस कोई सौ-पचास तो नहीं होंगे!”
“यस, सर।”
“अगर सूटकेस स्टेशन पर न हुआ तो कौशल हमें उस तक पहुंचाएगा। हम उसके पीछे लगे रहकर सूटकेस तक पहुंच सकते हैं।”
“लेकिन, सर, हमारे पास क्या सबूत है कि कौशल का आसिफ अली रोड वाली चोरी से कोई रिश्ता है? सिर्फ दारा ने एक हीरे की अंगूठी का जिक्र किया है लेकिन, वह खुद कहता है कि, वह अंगूठी उसने अपनी आंखों से कौशल के पास नहीं देखी थी। क्या पता ऐसी कोई अंगूठी कौशल के पास रही ही न हो, रही हो तो हीरे की न हो, हीरे की हो तो कामिनी देवी की न हो।”
“इन्स्पेक्टर, कौशल का अपना घर छोड़कर एकाएक यहां से कूच कर जाने का इरादा रखना बिना वजह नहीं हो सकता। जरूर वह चोरी के माल के साथ यहां अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहा था। जरूर उसके मन में यह डर पैदा हो गया था कि यहां वह माल उससे छीना जा सकता था। वह दारा का इलाका है। अगर दारा का बयान सच माना जाए तो वह कौशल के पास एक हीरे की अंगूठी की मौजूदगी से वाकिफ था। वह आसिफ अली रोड से चोरी गए जवाहरात से भी नावाकिफ नहीं हो सकता। क्या वह दो जमा दो जोड़कर चार जवाब नहीं निकाल सकता? क्या वह कौशल से माल झपटने की कोशिश नहीं कर सकता?”
“आपका कहना है कि कौशल को ऐसे किसी खतरे की भनक पड़ गई और उसने माल के साथ अपना ठिकाना छोड़ जाने में ही अपना कल्याण समझा!”
“हां। और अगर वह स्टेशन पर गया था तो जरूर माल वाला सूटकेस क्लॉकरूम में जमा करवाने ही गया था। ऐसा माल छुपाकर रखने के लिए स्टेशन के क्लॉकरूम से ज्यादा सुरक्षित और फौरन बड़ी सहूलियत से हासिल हो जाने वाली और कौन-सी जगह हो सकती है!”
“लेकिन अगर इसने सूटकेस क्लॉकरूम में रखा है तो इसकी जेब से क्लॉकरूम की रसीद भी बरामद होनी चाहिए थी जो कि नहीं हुई है।”
“वह इसने या तो कहीं छुपा दी होगी और या उसे अपने किसी दोस्त के पते पर अपने ही नाम मेल कर दिया होगा।”
चतुर्वेदी एक क्षण खामोश रहा और फिर बोला—“सर, हमें उस पर दवाव डालना चाहिए।”
“कोई फायदा नहीं होगा। वह आसिफ अली रोड की चोरी के बारे में हारगिज कुछ बक के नहीं देगा। वह सिर्फ चोरी का नहीं, एक कत्ल का भी केस है। उससे ताल्लुक रखती हामी भरने से वह बहुत लम्बा नप सकता है। और फिर वह चोरी इस अकेले आदमी का काम नहीं हो सकता। जरूर उस चोरी में उसके कोई साथी भी थे। अपनी जुबान खोलकर वह अपने साथियों के अपने पर विश्वास की हत्या नहीं कर सकता।”
“लेकिन उसने दारा पर आक्रमण किया है, वह बात उससे कुबूलावाई जा सकती है। उस आक्रमण के सबूत के तौर पर हमारे पास उसका पीतल का मुक्का और नोटों का पुलंदा जो हैं। अगर वह दारा पर आक्रमण किया होना कबूल कर ले तो वह यह बयान भी दे सकता है कि दारा के इमारत से निकलकर कार के पास पहुंचने के बाद जब उसने उस पर आक्रमण किया था, उस वक्त दारा के चेहरे पर खरोंच पहले से मौजूद थीं। यह बात दारा को निर्विवाद रूप से हत्यारा सिद्ध कर देगी।”
“और साथ ही कौशल को कत्ल के इलजाम से बरी भी करा देगी।”
“तो करा दे। हम उसे पकड़कर वैसे भी नहीं रखना चाहते। वह आजाद घूमेगा तभी तो वह हमें सूटकेस तक पहुंचाएगा!”
“अगर वह फरार हो गया तो?”
“तो यह हमारी कमजोरी होगी। यह हमारे महकमे के लिए शर्म की बात होगी कि हमने उसे फरार हो जाने दिया।”
इन्स्पेक्टर खामोश रहा।
तभी एक हवलदार ने भीतर कदम रखा।
“झंडेवालान से रिपोर्ट आई है, सर।”—वह बड़े अदब से एक लिफाफा भजनलाल के सामने रखता हुआ बोला।
झंडेवालान में पुलिस की फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री थी।
भजनलाल ने लिफाफा खोलकर रिपोर्ट पढ़ी।
“रिपोर्ट कहती है”—फिर उसने अपने साथियों को बताया—“कि पायल के नाखूनों के नीचे से बरामद खून के सूखे कण तथा दारा का खून एक ही ब्लड ग्रुप का है।”
“यह रिपोर्ट तो”—भूपसिंह बोला—“दारा के खिलाफ मेरे केस को और भी पुख्ता कर देती है।”
भजनलाल ने सहमति में सिर हिलाया। फिर उसने हवलदार को आदेश दिया—“उस छोकरे को वापिस लाओ।”
हवलदार चला गया।
कौशल को फिर वहां पेश किया गया।
“देखो”—भजनलाल कठोर स्वर में बोला—“हम तुम्हारी कहानी से सन्तुष्ट नहीं। तुम सच नहीं बोल रहे हो। सच बोल रहे हो तो मुकम्मल तौर से सच नहीं बोल रहे हो। जितनी तुम पायल से अपनी रिश्तेदारी कबूल कर रहे हो, जरूर उससे कहीं आगे की रिश्तेदारी थी तुम्हारी उसके साथ। तभी तो जब तुम्हें यह पता लगा था कि वह मोरी गेट वाला अपना घर छोड़ गई थी और जाकर कर्जन रोड पर रहने लगी थी तो तुमसे सब्र नहीं हुआ था और तुम फौरन दौड़े-दौड़े कर्जन रोड पहुंच गए थे।”
“साहब, मैं इस बात से इनकार नहीं करता।”—कौशल बड़े विनीत भाव से बोला—“कि मैं उस लड़की पर दिल रखता था। यह भी सच है कि मैं दौड़ा दौड़ा उसके पीछे कर्जन रोड पहुंच गया था। लेकिन जब मुझे यह पता लगा था कि मेरे प्यार की रत्ती भर भी कद्र किए बिना वह किसी पैसे वाले आदमी की रखैल बन गई थी तो मेरे लिए यह कहानी उसी घड़ी खत्म हो गई थी। मैने दो चार सख्त लफ्जों में उसे उसकी औकात जतानी चाही थी तो उसने मुझे बेइज्जत करके अपने फ्लैट से बाहर निकाल दिया था।”
“और इसी बेइज्जती का बदला लेने के लिए तुमने उसका कत्ल कर दिया।”
“मैंने उसका कत्ल नहीं किया, साहब। तब मेरा तो ऐसा दिल टूटा या कि मुझे तो उस पर दोबारा निगाह डालना भी गवारा नहीं रहा था।”
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