RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
और जब मेरे बॉस बातें करने लगे मुझे यह समझने में देर नहीं लगी की मेरे बॉस दीपा पर फ़िदा थे और दीपा पर लाइन मार रहे थे। इसके दो कारण थे। पहला यह की मौका मिलते ही बॉस भी दीपा का हाथ थाम लेते थे। पर दीपा का बॉस का हाथ थामना और बॉस का दीपा का हाथ थामने में फर्क होता था। दीपा तो हाथ पकड़ कर छोड़ देती थी। पर बॉस दीपा का हाथ थामे रखते थे जब तक दीपा उसे अपने हाथों से छुड़ा ना लेती थी। मुझे लगा की शायद दीपा ने भी यह महसूस किया था। पर उसने उसको नजरअंदाज कर दिया। और दुसरा कारण यह था की मैंने बॉस की नजरें देखि थीं जो दीपा के सुआकार कूल्हों पर और दीपा की उभरी हुई छाती पर अक्सर अटक जाती थीं।
दीपा कुछ भी ना समझते हुए बातों पर बातें करे जा रही थी। कुछ देर बाद जब बॉस की बीबी आयी और उसने देखा की उस के पति दीपा से कुछ ज्यादा ही बात करने में जुटे हुए थे। तब उसने सब को खाने के लिए डाइनिंगरूम में आने को कहा। तब कहीं जा कर उनकी बातों का दौर खत्म हुआ। खैर दीपा के बातूनीपन से मुझे यह फायदा हुआ की मैं बॉस का और भी पसंदीदा बन गया। मुझे बॉस से कुछ ज्यादा ही मदद मिलने लगी। बॉस जब भी मुझे मिलते दीपा के बारे में जरूर पूछते।
एक बार जब बॉस की पत्नी और बच्चे बाहर गए हुए थे तो हमने बॉस को हमारे घर खाने पर बुलाया। बॉस ने जब हमारे घर की सजावट देखि और दीपा के हाथ का खाना खाया तो वह दीपा के कायल ही हो गए और दीपा की बड़ी तारीफ़ करने लगे। उस शाम दीपा और बॉस करीब दो घंटे तक बातें करते रहे। जब दीपा रसोई में कुछ बनाने जाती थी तो बॉस भी वहाँ चले जाते और खड़े खड़े दीपा को देखते हुए दीपा से इधर उधर की बातें करते रहते थे। मुझे पक्का यकीन था की दीपा जब रसोई में व्यस्त होती थी तो बॉस रसोई में दीपा की पीछे कुछ दूर खड़े हुए दीपा से इधर उधर की बातें करते करते दीपा की सुआकार गाँड़ को देख कर अपनी आँखों को सेक रहे होंगे।
उन दिनों दीपा के पिता को अचानक ह्रदय की बिमारी के कारण हॉस्पिटल में दाखिला हुआ और उसके लिए दीपा की फॅमिली को अतिरिक्त तीन लाख रुपये की जरुरत पड़ी। मेरे पास एक लाख की डिपाजिट बैंक में थी वह मैंने निकाल कर दी, पर दो लाख रुपये और चाहिए थे। जब मेरी दीपा से बातचीत हुई तो मैंने कहा एक ही आदमी हमारी मदद कर सकता है और वह है बॉस। पर मुझे बॉस से पैसे मांगने में हिचकिचाहट हो रही थी। दीपा ने कहा की वह मेरे बॉस से बातचीत करेगी।
दूसरे दिन दीपा मेरे ऑफिस में आयी और बॉस की केबिन में जा कर उसने बॉस से बात की। दीपा की बात सुन कर बॉस का दिल पसीज गया और बॉस दो लाख रुपये देने के लिए राजी हो गये। दीपा ने जब पूछा की उन्हें वापस कैसे करने होंगें, तब बॉस ने कहा, वह पैसे वापस देने की जरुरत नहीं होगी, क्यूंकि बॉस मेरे परफॉरमेंस इन्सेंटिव (कार्यक्षमता आधारित अधिकृत बोनस) में से ही यह पैसे वसूल कर लेंगे। उन्हें पक्का भरोसा था की इतना अधिक सेल तो मैं कर ही लूंगा। दीपा बॉस की इस उदारता से इतनी गदगद हो गयी की उस की आँखों में आँसूं भर आये और दीपा ने बॉस के दोनों हाथ पकड़ कर बहुत शुक्रिया अदा किया। बॉस ने फ़ौरन अपने खाते में से दो लाख रूपये निकाल कर दिए। दीपा मेरे बॉस की ऋणी हो गयी।
हमने वह पैसे तो वापस कर दिए पर दीपा मेरे बॉस की ऐसी ऋणी हो गयी की समय समय पर वह उन्हें कोई ना कोई गिफ्ट भेजती और जब बॉस की बीबी नहीं होती तो उन्हें खाना खाने के लिए बुलाती या खाना भिजवाती। बॉस भी मौक़ा मिलते ही दीपा को मिलने आ जाते या जन्म दिवस या शादी की सालगिराह पर आ जाते और महंगे तोहफे देते। ऐसे मुझे लगा की बॉस और दीपा के बिच में कुछ ना कुछ आकर्षण की बात बन रही थी।
मैंने दीपा को भी कहा की बॉस उसके ऊपर लट्टू हो गए थे। दीपा मेरी बात सुनकर शर्मायी और फिर हंसने लगी। उसने कहा, "क्यों? जलन हो रही है क्या? तुम्हारे बॉस है ही इतने अच्छे। स्मार्ट हैं, यंग हैं, भले आदमी हैं। अगर वह मुझे पसंद करते हैं तो यह अच्छी बात है।"
मुझे उस रात को सपना आया की जब मैं टूर पर गया था तो बॉस मेरे घर आये और दीपा और बॉस दोनों ने मिलकर जमकर चुदाई की। मैं इस सपने को देख कर इतना उत्तेजित हो गया की रात को नींद में मेरे पाजामे में ही मेरा छूट गया।
पहली बार मैंने महसूस किया की मैं भी एक तरह से ककोल्ड हूँ। ककोल्ड का मतलब है अपनी पत्नी को किसी गैर मर्द से चुदाई करवाने के लिए लालायित मर्द। शायद उसी दिन से मेरी बीबी को किसी गैर मर्द से चुदते हुए देखने की एक ललक मेरे मन में घर कर गयी।
हमारी शादी को सात साल हो चुके थे और कहते है की सात साल के बाद एक तरह की खुजली होती है जिसे कहते है सातवें साल की खुजली (seven year itch)। तब अजीब ख्याल आते है और सेक्स में कुछ नयापन लाने की प्रबल इच्छा होती है।
शादी के कुछ सालों तक तो हमारी सेक्स लाइफ बड़ी गर्मजोश हुआ करतीथी। हम २४ घंटों में पहले तो तीन तीन बार, फिर दो बार, फिर एक बार ओर जिस समय की मैं बात कर रहा हूँ उनदिनों में तो बस कभी कभी सेक्स करते थे। शादी के सात सालों के बाद बहुत कुछ बदल जाता है। पति पत्नी के बिच कोई नवीनता नहीं रहती। एक दूसरे की कमियां और विपरीत विचारों के कारण वैमनस्य पारस्परिक मधुरता पर हावी होने लगता है। और वैसे ही पति पत्नी एक दूसरे को "घर की मुर्गी दाल बराबर" समझने लगते हैं। उपरसे बच्चों की, नौकरी की, घर की, समाज की, भाई बहनों की, माँ बाप की, बगैरह जिम्मेदारी इतनी बढ़ जाती है की सेक्स के बारे में सोचने का समय बहुत कम मिलता है।
सामान्यतः मध्यम वर्ग की पत्नियों पर बोझ ज्यादा रहता है। इस कारण वह शाम होते होते शारीरिक एवं मानसिक रूपसे थक जाती है। वह अपने पति के क्रीड़ा केलि आलाप की ठीकठाक प्रतिक्रया देने में अपने को असमर्थ पाती है। उस समय पारस्परिक आकर्षण कम हो जाता है। अक्सर दीपा थक जाने की शिकायत करती और जल्दी सो जाती। गरम होने पर भी मुझे मन मसोस कर सो जाना पड़ता था। इस कारण धीरे धीरे मेरे मनमे एक शंका ने घर कर लिया की शायद वह मेरी सेक्स करने की क्षमता से संतुष्ट नहीं है। बात भी कुछ हद तक गलत नहीं थी। जब वह गरम हो जाती थी तब कई बार उस से पहले ही मैं मेरा वीर्य उसके अंदर छोड़ देता था। तब मेरी पत्नी शायद अपना मन मसोस कर रह जाती होगी। हालांकि दीपा ने मुझे कभी भी इस बारें में अपनी कोई शिकायत नहीं की।
मेरी बीबी को सेक्स मैं ज्यादा रस नहीं रहा था। जब मैं सेक्स के लिए ज्यादा तड़पता था और उसे आग्रह करता था, तो वह अपनी पैंटी निकाल कर, अपना घाघरा ऊपर करके, अपनी टाँगे खोलकर निष्क्रिय पड़ी रहती थी जब मैं उसे चोदता था। मुझे उसके यह वर्ताव से दुःख होता था, पर क्या करता?
पर कभी कबार अगर जब कोई कारण वश दीपा गरम हो जाती थी तो फिर खुब जोश से चुदाई करवाती थी। जब वह गरम होती थी तो उससे सेक्स करने का मज़ा ही कुछ और होता था। इसी लिए मैं ऐसे कारण ढूंढ़ता था जिससे वह गरम हो जाए।
मेरी पत्नी को घूमने फिरनेका और सांस्कृतिक अथवा मनोरंजन के कार्यक्रमों, जैसे संगीत, कवी सम्मलेन, नाटकों, फिल्मों, पार्टियों, पिकनिक इत्यादि में जानेका बड़ा शौक था। ऐसे मौके पर वह एकदम बनठन कर तैयार हो जाती थी। और अगर उसको वह प्रोग्राम में मझा आया तो वह बड़े चाव से उसके बारे में देर रात तक मेरे साथ बैडरूम में बात करने लगती।
मैं उसीकी ही बात को दुहराते हुए उसके कपडे धीरे धीरे निकालता, उसके मम्मों को सहलाता और उसकी चूत के उभार पर हलके से मसाज करता, झुक कर उसके रसीले होँठों और बॉल को किस करता और निप्पलों को अपने दाँतों में दबा कर धीरे से काटता, फिर उसके पेट, नाभि और चूत को चाटता और उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे गरम करता। उस समय बाते करते हुए वह भी गरम हो जाती और बड़े आनंद से मेरा साथ देती और मुझसे अच्छी तरह चुदवाती। पर ऐसा मौक़ा ज्यादा नहीं मिलता था।
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