RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
मैं चुप रहा। मुझे नींद नहीं आ रही थी। जैसे तैसे मैं कुछ देर सोया पर मुझसे रहा नहीं गया। आखिर में रात को करीब दो बजे मैं उठा और दीपा के पास जा कर सो गया। दीपा को अपनी बाँहों में लेकर मैंने उसे पूछ ही डाला, "डार्लिंग बताओ ना क्या तरुण आया था? क्या हुआ?"
दीपा थकी हुई थी। वह बात करने के मूड में नहीं थी। मैं अपने आपको रोक नहीं पाया। मैंने उसके गाउन में हाथ डाल कर उसकी चूँचियों को मसलते हुए उसे फिरसे पूछा, "डार्लिंग बताओ ना क्या हुआ?"
दीपा अपनी आँखें मसलते हुए बोली, "क्या होना था? जो तुम सोच रहे हो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अब सो जाओ।"
मैंने जिद करते हुए पूछा, "नहीं डार्लिंग बताओ ना, क्या हुआ?"
जब दीपा को लगा की मैं उसे छोडूंगा नहीं, तब वह मेरी बात सुनकर थोडी सी गंभीर हो गयी और बोली, "तुम उस दिन तरुण के बारे में मुझे खरी खोटी सूना रहे थे न? तो सुनो, तरुण निहायत ही शरीफ इंसान है। तुम्हारे कहने पर मैं जब तरुण के सामने तौलिया पहन के आयी तो पता है क्या हुआ? पहले तो मैं हैरान रह गयी जब मैंने पाया की तरुण घर के अंदर है। मेरी समझ में यह नहीं आया की मैंने तो दरवाजा बंद किया था, पर पता नहीं वह खुल कैसे गया?
मैंने तो चिटकनी लगाई थी। शायद मेरी गलती हुई की आननफानन में मैंने दरवाजा ठीक से बंद नहीं किया होगा। जब मैं तौलिया पहन के बाहर निकली तो तरुण तो ड्राइंग रूम में ही बैठा था। उसे वहाँ बैठे हुए देख कर मेरी तो हालत ही खराब हो गयी। मुझे समझ में नहीं आया की मैं क्या करूँ? तरुण भी मुझे तौलिये में आधी नंगी देख कर बौखला सा गया। उसका चेहरा तो देखते ही बनता था। मुझे उस हालत में देखकर उसका क्या हाल हुआ, यह मैं बयान नहीं कर सकती। पर तरुण ने मुझे उस हालत में देख कर भी अपने आप पर बड़ा ही संयम रखा। वह चाहता तो सब कुछ कर सकता था। मैं भी उसे शायद रोक नहीं पाती। हम एक दूसरे के इतने करीब खड़े थे। तब भी उसने कुछ नहीं किया।"
इतना कह कर मेरी प्यारी दीपा कुछ सहम सी गयी। आगे कुछ कहना चाहती थी पर समझ नहीं पा रही थी की कैसे कहे। फिर कुछ देर थम कर उसने धीरे से कहा, "अब मैं क्या कहूं? तुमने तो मुझे मरवा ही देना था। तौलिये में से मेरे बूब्स आधे तो बाहर निकले थे। तौलिया मेरी जाँघों को भी कवर नहीं कर पा रहा था। आज तरुण की जगह कोई और होता तो मुझे चोद ही देता। जब मैं तरुण के सामने आधी नंगी गयी तो क्या होना था? इतना संयम रखते हुए भी, आखिर तो वह भी एक जवाँमर्द तो है ही ना? तुम ही कहते हो की वह वैसे ही मुझे पर कुछ ज्यादा ही फ़िदा है। मुझे सिर्फ तौलिये में आधी से ज्यादा नंगी देखकर कुछ तो होना ही था। वह थोड़ा सा डगमगा जरूर गया। मुझे तौलिये में लिपटी देखकर वह थोड़ा उत्तेजित हो गया और उसने मुझे खिंच कर बाहों में भी ले लिया। पर अपना तौलिया कस के पकड़ कर मैंने उसे जोर से धक्का दिया और मैं फिर बैडरूम की और भाग निकली। तरुण लड़खड़ा गया और घबरा कर मुझे चुपचाप खड़ा देखता ही रहा। हफडाताफड़ी में मैं पीछे बैडरूम का दरवाजा बंद करना भी भूल गयी।
पर देखो, वह मेरे पीछे भाग कर आ सकता था। पर नहीं आया। मानलो की अगर उसने मुझे अपनी बाहों में से छोड़ा नहीं होता, मुझे अगर पकड़ कर के ही रखा होता, और एक झटके में मेरा तौलिया उतार देता तो मैं क्या करती? मैं तो अंदर से बिलकुल नंगी थी। अगर वह चाहता तो उस दिन मेरे साथ सब कुछ कर सकता था। भला उसकी ताकत के सामने मैं कहाँ टिक पाती? पर उसने कुछ नहीं किया।"
यह कहते हुए दीपा की आँखों में आँसूं आ गए। दीपा प्यार भरे गुस्सेसे मेरी छाती पर अपने हाथों से मुझे हलके से पीटते रोते हुए बोलने लगी, "मैंने आज तय किया था की मैं तुमसे बिलकुल बात नहीं करुँगी। अगर तरुण मेरे साथ जबर्दस्ती करता और जबरदस्ती मेरा तौलिया खोल कर फेंक कर एक ही झटके में मुझे नंगी कर देता तो फिर तो हो जाता ना मेरा कल्याण? अगर मैं थोड़ी सी भी असावध रहती तो वह मुझे छोड़ता नहीं। हम अकेले ही थे। शायद मुझे वहीँ पकड़ कर नंगी ही उठाकर बैडरूम में ले जाता और मुझे पलंग पर पटक कर वहाँ मेरे साथ सब कुछ कर डालता।"
मैंने पूछा, "तुम इतनी बहादुर हो कर इतनी डर क्यों रही हो? आखिर क्या कर डालता तरुण?"
दीपा ने मेरी और गुस्से से देखा और बोली, "तुम पूछ रहे हो तरुण मेरे साथ क्या करता? क्या तुम तुम्हारे दोस्त को जानते नहीं? आखिर वह भी तो एक मर्द है। और तुम तो उसे बहोत अच्छी तरह जानते हो। बड़ा वीर्य वाला मर्द है। उस समय उसका लण्ड उसकी पतलून में फुंफकार रहा था। मैंने देखा की उसकी टांगों के बिच उसका लण्ड तो बड़ा तम्बू बना कर खड़ा हो गया था। अरे मौक़ा मिलते ही वह सब कुछ कर डालता। कुछ भी बाकी नहीं छोड़ता। वह तो मुझे किस करने के लिए बेताब था। वह किस करता, मेरे बूब्स मसलता, मेरी गाँड़ सहलाता, पता नहीं और क्या क्या करता? उस नंगी हालत में मुझको देख कर क्या वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता क्या? यार उस हालत में तुम भी किसी औरत के साथ होते तो तुम क्या करते? सच बताओ. और तब मैं क्या करती?"
मेरी बीबी ने एकदम गुस्से में मुझे झकझोरते हुए पूछा, "बोलो? मैं क्या करती? मैं चिल्ला भी तो नहीं सकती थी, वरना आसपास वाले सब इकट्ठे हो जाते और बदनामी तो मेरी ही होती न? मैं नंगी, अकेली उसकी ताकत के सामने क्या कर पाती? अगर आज वह मुझे पलंग पर लिटा कर ऊपर चढ़कर अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ देता तो फिर क्या मैं उसे रोक पाती? आज मुझे तरुण चोद ही देता, क्यूंकि तुम तो जानते हो की वह हाथ धो कर मेरे पीछे पड़ा हुआ है। आज उसे मौक़ा मिला था। वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता ही नहीं, तब मैं क्या करती? और कोई भी मर्द उसकी जगह होता तो वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता क्या?"
दीपा ने मेरी और ताकते हुए पूछा, "बताओ, मैं ठीक कह रही हूँ की नहीं?"
जिस तरह से मेरी बीबी ने मुझे तरुण क्या क्या कर सकता था यह इतने विस्तार से बताया तब मुझे शक हुआ की कहीं उसको अफ़सोस तो नहीं हुआ की तरुण ने ऐसा कुछ नहीं किया? या फिर कहीं ऐसा तो नहीं की मेरी गैर हाजरी में सब कुछ हो चुका था, और मेरी बीबी उसे छुपा रही थी?
जब मैं चुप रहा तो दीपा बोली, "पर देखो यह सच है की तरुण ने ऐसा कुछ नहीं किया। वह मेरे पीछे पीछे बैडरूम में नहीं आया। मैं जब चेंज कर फिर वापस बाहर आयी तो तुरंत उसने मुझसे माफ़ी भी मांगी। तब उसने मुझे छुआ तक नहीं। यह सब जो हुआ इसके लिए मैं तुम्हें जिम्मेवार मानती हूँ। तुम मुझसे ऐसे गलत सलत काम क्यों करवा रहे हो? देखो इसका अंजाम ठीक नहीं होगा। अगर आज मैं थोड़ी सी भी कमजोरी या असहायता दिखा देती तो बापरे तरुण ने मुझसे सब कुछ कर लिया होता और मैं तुम्हें मुंह दिखाने के लायक भी नहीं रहती। पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया और मुझे एक बड़ी शर्मिंदगी से बचा लिया।"
एक तरफ मेरी बीबी यह कह रही थी की तरुण ने उसे छुआ भी नहीं पर साथ ही साथ मैं उसने यह भी कह दिया की तरुण ने उसे अपनी बाहों में ले लिया था और मौक़ा मिलता तो तरुण उसे चोद भी डालता। मैं समझ गया की दीपा की समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या कहे? मुझे समझ में नहीं आया की मेरी बीबी तरुण की तारीफ़ कर रही थी या शिकायत? जब तरुण ने मेरी बीबी को खिंच कर अपनी बाँहों में ले लिया तो क्या उसे डर था की तरुण उसे कहीं चोद ना डाले? या क्या उसे उम्मीद थी की तरुण उस पर जबरदस्ती कर उसे चोद ही डाले?
दीपा मेरे पास आयी और मुझे अपने हाथों से मेरी छाती पर पिटनेका नाटक करती हुई बोली, "यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है । न तुम मुझे तरुण को उकसाने के लिए कहते और न यह सब होता। मुझे आज इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही है। तरुण ने कुछ नहीं किया पर आज उसने मुझे आधी नंगी तो देख ही लिया। और कहीं न कहीं उसके मन में तुमने मुझे चोदने का आईडिया तो आज डाल ही दिया। यह तुमने अच्छा नहीं किया डार्लिंग।" यह बोलते हुए भी मेरी बीबी का मुंह शर्म से जैसे लाल हो गया।
तब मैंने अपनी बीबी के गाल चूमकर कहा, "जानू, देखो, तुम इतनी परेशान न हो। तरुण ने आज तुम्हें सिर्फ आधा नंगा ही देखा ना? उसने तुम्हें पूरा नंगा तो नहीं देखा ना? स्विमिंग पूल बगैरह में आजकल महिलायें आधी नंगीं क्या, लगभग नंगी ही सबके सामने नहाती भी हैं और घूमती भी हैं। वह ऐसा पहनावा पहनतीं हैं की उनकी चूत की झाँट साफ़ ना हो तो उनके बाल भी दीखते है। और इंटरनेट पर तो पूरी नंगी लडकियां दिखती हैं। कोई रोकटोक नहीं। उनको तो कोई कुछ नहीं कहता? तुमने तो फिर भी तौलिया पहन रखा था।
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