RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
हालांकि ऐसा कह कर मेरी बीबी ने मेरे लिए उसको तरुण से चुदवाने की उम्मीद का दरवाजा बंद करने की भरसक कोशिश की, पर मैं जानता था की भारतीय नारी कभी भी ऐसे मामलों में "हाँ" तो कभी कहती ही नहीं है। अगर उसे "हाँ" कहना हो तो वह कहेगी, "ठीक है, मैं सोचूंगी" और अगर वह "ना" कहे तो शायद कुछ उम्मीद है। अगर दीपा को तरुण से चुदवाने में कोई गंभीर आपत्ति होती तो तरुण से चुदवाने की मेरी बात सुनते ही वह ऐसा बवाल मचा देती और मेरा ऐसा बैंड बजा देती की आगे से मैं ऐसी बात करने की हिम्मत ही ना करूँ।
मेरी ज़िन्दगी में बहार सी आ गयीथी। अब मैं पहले से कई गुना खुश था। दूसरी और तरुण भी अपने सपनों में था। उस दिन जब रसोई में और बाद में बाथरूम में वह दीपा के इतने करीब आ पाया था, यह सोचने से ही उत्तेजित हो रहा था। वह इस बात से बड़ा प्रोत्साहित हुआ की बाथरूम में दीपा को इतना छेड़ने के बावजूद और दीपा ने उसे इतने गुस्से में "गेट आउट" और "मैं तुम्हारी शकल भी देखना नहीं चाहती" कहने के बाद भी माफ़ कर दिया था। कहीं ना कहीं तरुण के मन में यह बात घर कर गयी की शायद दीपा भी तरुण के साथ लुकाछुप्पी का खेल खेल रही थी, और इसी लिए शायद सम्बन्ध तोड़ने के बजाय वह पहले की ही तरह फिर से तरुण से बात करने के लिए तैयार थी। शायद दीपा भी चाहती थी की तरुण उसे छेड़े और यह कहानी आगे बढे।
तरुण से अब रहा नहीं जा रहा था। पहले उसने जब दीपा को देखा था तो वह उसे एक मात्र सपनों में आनेवाली नायिका के सामान लग रही थी। वह नायिका जो मात्र सपनों में आती है और जिसके छूने कि कल्पना मात्र करने से पुरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। वह वास्तव में भी कभी इतने करीब आएगी यह सोचने से ही उसके बदन में एक आग सी फ़ैली जा रही थी। अब वह दीपा को चोदने के सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध था।
एकदिन शाम को हम दोनों दोस्त एक क्लब में जा बैठे। तरुण उसी दिन अपने टूर से वापस आया था। मैं वास्तव में बहुत खुश था। पिछली रात को दीपा ने मुझे गले लगा कर इतना प्यार कियाथा की मैं उसके नशे में तब तक झूम रहा था। तरुण ने मुझे इतने खुश होने का कारण पूछा।
मैंने उसे कहा "यार इसका कारण तुम खुद ही हो।"
तरुण एकदम अचम्भे में पड़ गया। उस ने पूछा, "वह कैसे?"
मैंने कहा, "तुम जब दीपा को छेड़ते हो ना, तब तो वह तुम पर और कभी कभी मुझ पर भी गुस्से हो जाती है, पर पता नहीं उसके बाद रात को वह इतनी गरम हो जाती है और मुझे इतनी खुश कर देती है की बस क्या कहूं?"
तरुण ने तब कहा, "यह तो बड़ी ही ख़ुशी की खबर है। मुझे लगता है, जल्द ही हमारा मकसद कामयाब हो जाएगा। खैर, मुझे यह बताओ की मेरे घरमें तुम्हारी विजिट कैसी रही? टीना ने मुझे कहा की उसने एक बार तुम्हे रात को घर बुलाया था।"
मैंने फिर वही सारी कहानी पूरी सच्ची तरुण को सुनाई। जब तरुण ने सुना की टीना मुझसे लिपट गयी थी तो वह जोर से हंस पड़ा और बोला, "देखा, मेरी बीबी ने भी यह बात मुझसे छुपाई थी। पर तुमने मुझसे नहीं छुपाई। अरे यार, तुम तो बड़े सच्चे और कच्चे निकले। तुम्हारी जगह अगर मैं होता न तो मैं तो टीना की बजा ही देता।"
मैंने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा, "यार, मैं कोई साधू नहीं। पर तू मेरा पक्का दोस्त है। देख मैंने भी बड़ी मुस्श्किल से संयम रखा था। मन तो मेरा भी उछल रहा था। पर मैं तुम्हें आहत करना नहीं चाहता था।"
तरुण ने तब मुझे एक बात कही। उसने कहा, "यार, तू क्या समझता है? मैं क्या अपनी बीबी को तेरे बारे में बताता नहीं हूँ? मैं टीना को दिन रात तेरे बारे में बताता हूँ। मैंने तो मेरी बीबी से यहां तक कह दिया है, की यदि दीपक तुमसे थोड़ी बहुत छेड़खानी भी करे तो बुरा मत मानना। वैसे सच बताओ यार, तुम्हे मेरी बीबी कैसी लगी?"
मैं यह सुनकर हक्काबक्का सा रह गया। तब फिर मेरी झिझक थोड़ी कम हुई। मैंने तरुण से पास जाते हुए कहां, "तरुण, सच कहूं। जब टीना भाभी मेरे इतनी करीब बैठी ना तो मेरे तो छक्के छूट गए। मैं तो पसीना पसीना हो गया। बाई गॉड यार, भाभी तो कमाल है।"
तरुण ने मुझे एक धक्का मारते हुए कहा, "यह क्यों नहीं कहते की वह माल है। यार वह है ही ऐसी। कॉलेज मैं हम सब उस पे मरते थे। सब लड़के उसे देख कर सिटी बजाते थे। पर आखिर में बाजी तो मैंने ही मार ली। बेटा तू आगे बढ़ मैं तेरे साथ हूँ।"
मैंने भी अपनी झिझक को बाहर निकाल फेंका और बोला, "एक बात कहूं? मैं और दीपा भी तुम्हारे बारेमें बहुत बातें करते हैं। मैं उसे तेरे करीब लाने की कोशिश करता हूँ। वह भी तुझे अच्छा मानती तो है, पर उससे आगे कुछ भी बात नहीं करना चाहती।"
तरुण ने तब मेरा कन्धा थपथपाते हुए कहा, "दोस्त, अब हम एक दूसरे के सामने जूठा ढ़ोंग ना करें। सच बात तो यह है की हम दोनों एक दूसरे की बीवी से सेक्स करना चाहते हैं। शायद बीबियों को भी हम पसंद है। पर वह अपनी कामना जाहिर नहीं कर सकती और चुप रह जाती है। हमारी बीबियाँ एक असमंजस मैं है। तूने जो अब तक किया वही बहुत है। अब इसके आगे मुझे कुछ करने दे। बस मुझे तेरी इजाजत और सपोर्ट चाहिए।"
मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, "मैं तेरे साथ हूँ। अब तो आगे बढ़ना ही है। "
पर इस बातचित के बाद काफी समय तक हम एक दूसरे से मिल नहीं पाए, हालांकि हमारी फ़ोन पर बात होती रहती थी। तरुण और मैं अपने ऑफिस के काम में व्यस्त हो गए और एक दूसरे के घर आना जाना हुआ नहीं। कई बार दीपा तरुण के बारेमें पूछ लेती थी, तब मैं मेरी तरुण से हुयी टेलीफोन पर बातचीत का ब्यौरा दे देता था। शायद दीपा के मन में यह पश्चाताप उसे खाये जा रहा था की उस सुबह दीपा ने तरुण को बहुत ही ज्यादा फटकार दिया था। तरुण हमेशा दीपा के बारे में पूछता रहता था। तरुण को भी दुःख हो रहा था की उसने दीपा का दिल दुखा दिया था।
एक दिन जब तरुण का फ़ोन आया और वह मुझे पूछने लगा की कैसा चल रहा है?
मैंने कहा, "यार सब कुछ ठीक है। पर यह बता तुझे तेरी गर्ल फ्रेंड (मतलब मेरी बीबी दीपा) को छेड़ने का मन नहीं हो रहा क्या?"
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