RE: kamukta Kaamdev ki Leela
शाम का वक्त हो गया और यशोधा देवी अपने हाथों से सब के लिए खीर बनती हैं। फंक्शन का आयोजन हुए और सारे बच्चे मिलके बरो का मनोरंजन करने लगे। रिमी अहाई सब के बीच में और एक स्प्रय की बॉटल को माइक बनाएं इतराने लगी। हॉल में सभी मौजूद थे सिवाय अजय के।
रिमी : पेश है सिंह परिवार की एक बहुत की खास उत्सव पर! आज जैसे की आप लोग जानते है के हमारी घर की सबसे खास और प्यारी सदस्य, हमारी ददिमा यशोधा देवी की जन्मदिन है! हम इन्हें खुश करने के लिए कुछ रोमांचक आइटम्स पेश करेंगे!
रिमी के माइक रखते ही आती है नमिता, एक पुराने क्लासिकल गाने पे नित्य करने लगी। उसकी पोषक भी एकदम बढ़िया थी, सफेद सलवार सूट और लाल दुपट्टा अपनी मस्त कमर पर बांधे बढ़िया नित्यकार दिख रही थी। ना जाने क्यों बार बार राहुल की नज़रें अपने बहन के एक एक अंग पर टिका हुआ था, अक्सर उसके नज़रें नमिता के मस्त नितम्ब पर टिक जाते जो कि बहुत ही गजब लग रही थी सूट में! दोनों गाल हर धुन पर जैसे ऊपर नीचे थिरकने लगे।
अब नज़ारा यह था तो परिणाम कुछ ऐसा हुआ के उसका लुनद खड़ा होने लगा पैंट के अंदर, जो सीधा तम्बू बने आशा की गर्दन के पीछे दस्तक दे रहा था। दरअसल आशा सोफे पर बैठी हुई थी और राहुल बिल्कुल सोफे के पीछे खड़ा हुआ था, और हालात ऐसे हो गया के तम्बू के एहसास से आशा को अजीब तो लगा, लेकिन उसका ध्यान प्रोग्राम पे ज़्यादा थी। वहा दूसरे और रामधीर अपने पोती की परफॉर्मेंस से बहुत प्रसन्न हुआ, ना जाने क्यों उसकी जवानी देखकर, उन्हें यशोधा की जवानी की याद आगई। नित्य का तो उसे भी शौक थी पहले, और कमर के लचकने का देखने का शौक तो रामधीर को बहुत पहले से ही था।
नित्य ख़तम होने के बाद नमिता पसीने से भरी हुई, नीचे झुक के सलाम की अनारकली के स्टाइल में और फ्रेश होने के लिए अपने कमरे में घुस गई। राहुल से रहा नहीं गया और अचानक फैसला किया अपने दीदी कि और चलने कि। अगला आइटम रमोला की थी, उसने एक पुरानी गीत सुनाई जो सब के मन को भा गई।
वहा कमरे के बाथरूम में नमिता अपने पसीने में भीगे सुडौल बदन पर साबुन लगाने ही वाली थी के बाथरूम के आइने पे एक तेज़ रोशनी सी छाने लगी, जिसे देख नमिता दर गई और खौफ के मारे टॉवेल हैंडल को जकड़ के खड़ी रही। रोशनी धीरे धीरे कम होता गया और आइने में एक औरत की प्रतिबिंब नजर अयाई। उसे देख नमिता आश्चर्य और शरम के मारे अपनी गुलाबी रंग की टॉवेल को अपनी जिस्म पर कस लेती है।
आइने में वह औरत और कोई नहीं बल्कि खुद गाजोधरी थी। उसके पोशाक वहीं अप्सराओं वाली और बालों पे एक कमल का फूल बांधे अपनी हसीन चेहरे पे एक कातिलाना मुस्कान लिए खड़ी रही आइने के उस पार। उसे देख नमिता थोड़ी हैरान, नहीं नहीं बहुत ज़्यादा हैरान थी। ऐसा इफेक्ट तो उसने बस फिल्मों में देखी थी।
नमिता : (घबराकर) क्क कौन हो तुम?????
गजोधारी : पुत्री! घबराओ मत। में तुम्हारी अभिलाषा हूं! तुम्हारी मन में छिपी एक मीठी से इच्छा हूं! देखो घबराओ मत, मुझे अपना ही दोस्त समझो!
नमिता : म मुझे (लम्बी सांस लेते हुए) कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है!
गाजोधारी एक चुटकी बजाती है जिससे कुछ तितलियां उड़ने लगी पूरी बाथरूम में, उनमें से कुछ तितलियां अपनी पंखों से नमिता को यहां वहां सेहलाने लगी जिससे एक मदहोशी का सुरूर उसकी आंखों में समा जाती है और हाथ में से अपनी टॉवेल गोरा देती हे। अगले चुटकी पे वह धीरे धीरे आइने के सामने आने लगी, ऐसे मानो वह गजोधरी की इशारे पे चल रही हो।
गजोधरी (आइने के बाहर अपनी हाथ लाती हुई नमिता की जुल्फों को सहलाने लगी) : तुम्हारी पसीने की गंध बहुत मीठी हे! क्या इसका ज़िक्र किसी ने किया तुमसे? किया किसी ने इनकी गंध की तारीफ की? बताओ पुत्री।
नमिता : (मदहोशी में) नहीं। मालूम नहीं! लेकिन इनमें क्या बात है?
गजोधरी : यह तो तुम्हे तब पता चलेगा जब तुम इन्हें अपने साबुन या नहा के नष्ट नहीं करोगी! (मुस्कुराके)
नमिता की जिस्म मानो कांप उठी उस औरत की बातों से। लेकिन यह सब सुनना नॉरमल क्यों लग रही थी उसे? कितनी अजीब वर्तलब थी, फिर भी उसे लगा के शायद बात में कोई सच्चाई हो, क्या पता! गजिधरी कुछ देर और उसकी जुल्फों को सहला के आइने में से हंसती हुई गायब हो गई। पूरा माहौल नॉरमल हो चुका था। दूसरे और बाहर खड़ा राहुल यह सोच रहा था कि दीदी भला किस्से बात कर रही थी।
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