RE: kamukta Kaamdev ki Leela
आहिस्ता आहिस्ता दरवाजा खुला बाथरूम का और धीमे क़दमों से पूरी के पूरी नंगण अवस्था में बाहर निकली नमिता! बाल और जिस्म पूरी के पूरी भीगी हुई, नहीं शॉवर के पानी से नहीं, बल्कि पसीने से! वहीं पसीना जो नित्य के दौरान उसकी जिस्म को प्राप्त हुई थी। अवस्था कुछ ऐसा था के दोनों भाई बहन की नज़रें मिली और राहुल अपने पूर्ण नंगा बहन को देखकर पागल हो गया। सामने अपने भाई को देखकर नमिता की मधोशी टूटी और शराम से लाल हो गई, लेकिन ताजुब की बात थी के उसने अपने जिस्म को धकने की जरूरत नहीं समझी ।
वहा दूसरे और रिमी माइक लिए बरी उत्तेजना में बोल परी "अब बारी है एक सरप्राइज परफॉर्मेंस की! वैल! मुझे खुद नहीं मालूम क्या है!" इतना कहके वोह हट जाती है और सारे लाइट्स ऑफ़!
एक धीमी रोशनी कहीं से जल उठी और टेप पर एक मधुर गीत शुरू हो गई :
"लग जा गले की फिर यह हसीन रात होना हो"
सब के नज़रें टिक गई एक सफेद और लाल बॉर्डर की सरी पहनी हुई, सर में पल्लू ओढ़े हुए एक लड़की या औरत सामने से आ रही थी। उसकी चाल तो ऐसे थे मानो मर्दों को पागल कर देने वाला हो। उसकी ठुमक गीत की हर एक बोल के साथ अमल कर रही थी। आशा धीरे से रमोला के साथ गप्पे लादाने लगी।
आशा : वैसे रेवती साड़ी में तो गजब लग रही है देवरानिजी!
रमोला : (कुछ हैरान होती हुई) दीदी! में खुद हैरान हू! रेवा तो आज तक कभी भी सारी नहीं पहनी! यह जीन्स और टॉप वाली लड़की साड़ी कब से पहनने लगी!
दोनों धीरे से हंस दिए और सामने देखने लगे। उस लड़की की हर एक चाल देखकर रामधीर तो पागल हो ही रहा था, साथ में माहेश और उसका भाई भी कुछ सिसक रहे थे पागल मर्दों की तरह। मानो कोठे पे गए हो किसी आयटम को देखने!
वहा दूसरे और नमिता और राहुल शर्मा के मारे नज़रें चुरा लिए दूसरे से, अपनी दीदी की बदन की पसीने की भीनी भीनी गंध राहुल के नक से गुजरता हुआ उसके दिल दिमाग में हावी हो रहा था।
आश्चर्य की बात यह थी के नमिता को कुछ शाराम या हाया नहीं आ रही थी अपने भाई के सामने! बल्कि वोह बरी प्यार से इतराते हुए अपनी पपीते जैसे स्तन पर कोहनी टीका के राहुल को देखने लगी। राहुल बेचारा अब तक यह वहा देख रहा था, इतनी आसानी से अपने ही बहन कि नग्न जिस्म देखे भी तो कैसे भला!
नमिता : तुझे मेरे पसीने का गंध कैसे लगा भाई?
राहुल हैरान रह गया, फिर भी नजर से नजर मिलने का जुर्रत नहीं कर पाया। यह कैसे अनाब शनाब पूछ रही थी दीदी! क्या हो रहा था इस कमरे में अचानक! सब उलट पल्ट लगने लगा राहुल को।
नमिता अब की बार कोहनी को और दबा दी अपने पपीते पर और पूछने लगी "मैंने कुछ पूछा तुझसे!" आवाज़ में मदहोशी से ही ज़्यादा एक घुस्सा थी, मानो अपने भाई से पूछ रही हो के उसने कॉलेज में पढ़ाई की या नहीं। राहुल अभी भी बौखला हुए वहीं सामने खड़ा था। चेहरा कुछ भी बोल, लेकिन नीचे पैंट में छिपे लंद महाशय को झूठ बोलना नही आता था, वोह अपने निश्चित रूप पे प्रकट हो गया।
राहुल के खामोशी को देखकर नमिता घुस्से से पागल हो उठी और खुद ही अपने भाई को नीचे बिस्तर पर पटक के उसके ऊपर सवार हो गई। जुल्फों में से एक एक पसीने की बूंद राहुल अपने चेहरे पर गिरते हुए महसूस करने लगा। घिन्न भी आ रही थी लेकिन एक बेचैनी जिस्म में पैदा हो रहा था साथ साथ।
नमिता के नमकीन पानी से गद गद मोटे मोटे स्तन अब राहुल के टीशर्ट से धके छाती पे धास गए।
ना जाने क्या होने चला था!
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