RE: kamukta Kaamdev ki Leela
नमिता : साफ होके ऊपर छत के स्टोर रूम में मिल! (उसके कान में फुसफुसाआई) तेरा इंतज़ार करूंगी!
नमिता इतना कहके चल देती है और बरी ठुमक ठुमक के चल रही थी ऊपर के तरफ। राहुल हाथ को टॉवेल से साफ करता हुआ अपने दीदी की मदमस्त मोटी मोटी नितम्ब में खोया हुआ था के अचानक सीढ़ियों पे ही वह रुक गई और पीछे मुड़कर अपने भाई को देखकर मुस्कुराई।
अपने दीदी के उपर चले जाने के बाद राहुल से रहा नहीं गया और झट से ऊपर की तरफ चल परा लेकिन फिर स्टोर रूम के अंदर पहुंचते ही एक खामोशी महसूस होने लगा उसे। यह वहा देखने लगा लेकिन नमिता कहीं नजर नहीं आई। संकोच भरे मन और उभरता हुए लिंग लिए वह यहां वहां देखने लगा। कमरा काफी हरा भरा था, के तभी उसे घुंगरू की आवाज़ आने लगा, सामने एक युवती की मनमोहक पेंटिंग थी, जो गंव की लिबाज़ में थी, हाथ में मटकी और पैरों में पायल थी, और वस्त्र के नाम पे केवल एक सारी लिपटी हुई थी बदन पर!
कुछ थी पेंटिंग में जिसके वजह से राहुल उस चित्र के और करीब जाने लगा। जैसे ही वोह रुका तो पेंटिंग में चेहरा मुर्कुराई और पूरी कमरे में एक तेज़ रोशनी फेल गई। रोशनी धीमे धीमे ख़तम होता गया और राहुल हैरान रह गया सामने का दृश्य देखकर!
सामने खड़ी थी नमिता, बिल्कुल उसी पोषक में जो पेंटिंग में थी। हाथ में मटका लिए बरी अदा से मुस्कुरा रही थी। मज़े की बात थी के उसकी जिस्म बिल्कुल वहीं पेंटिंग वाली की तरह ही हरी भारी थी और केवल साड़ी में लिपटी पपीते बहुत मनमोहक लग रही थी। उसकी होंठों पे काफी लालिमा आ गई थी, मानो चूस जाने को बेताब हो रहे हो। राहुल का सब्र तब टूटा जब अचानक ही उसके दीदी के मुंह से निकाल गई "अये साहब! आइए ना!" और अपनी होंटो की काटने लगी।
राहुल के अंदर हैवानियत जाग उठा और अपने दीदी को अपने बाहों में जकड़ लेता है और उसके प्यासे होठ पर अपने होठ रख दिया और रस भरे अधेरो को जी भर के चूसने लगा। साथ साथ अपने सारे कपड़े उतारे हुए अपने दीदी के लबों का रसपान करने में व्यस्त हो गया एक बेचैन भाई और उसकी प्यारी मनचली दिदी भी उसका साथ दे रही थी।
*पुयुच पूउच एमएमएम प्यूच* की मनमोहक आवाज़ पूरे स्टोर रूम में गूंजने लगी। मज़े की बात यह थी के बिना कोई विरोध के नमिता अपने भाई की वासना को प्रोत्साहित भी कर रही थी और साथ साथ अपने आप को उसके लिए उकसा भी रही थी। रूम में यूं तो खिड़की नहीं थी, लेकिन हल्के हल्के दीवार के वेंटिलेटर में से धीमी रोशनी कमरे को एक अलग ही आकर्षण दे रही थी, जिसका फायदा उठा रहे थे यह दो भाई बहन जी पूरे नंगन अवस्था में अब आ चुके थे अब!
ज़मीन पर कपड़े लेट गए और पास में रखा एक गंदे खटिया पर दोनों भाई बहन आस पास लेट गए, चिपके हुए। राहुल पहले गौर से अपने दीदी कि जिस्म की एक एक हिस्से को देखने में मशरूफ हो गया, उसके पपीते से लेकर उसके गहरी नाभि तक और फिर नीचे उसकी मचलती बलखाती योनि पे। योनि के ऊपर काफी घुंघराले बाल थे, लेकिन जो चीज सबसे ज़्यादा अकर्शित थी वोह थी उसकी योनि लबों के बीच का एक पतली लकिर।
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