RE: kamukta Kaamdev ki Leela
मन के तसव्वुर में नमिता उसे उकसाने लगी "और तेज़ मेरे भाई! और करो!" इस कथन से राहुल के हाथो के गति और बड़ गई और अब तो हाथ ट्राउजर के अंदर धस चुके थे। और रहा नहीं गया तो ट्राउजर निकाल कर फेंक दिया और अंडरवेयर घर पर पहनने की उसे खास आदत नहीं था।
अपने नग्न लिंग को सिचता गया, मसलता गया, सहलाता गया। मन में दीदी उसकी उसे उकसाए जा रही थी और तभी हुआ कुछ ऐसा के उसके तसव्वुर में नमिता अपनी रस भरे लबों को दांत से कटी और बस, "आह आह दीदी!!!!!!!" सब्र का पुल टूट गया और सुपाड़े में से ताजी ताजी मलाई छिरक के सीधा दरवाज़े की और लपका जहा इत्तेफाक से रिमी खड़ी हुई थी।
बस! फिर होना क्या था। रिमी की टीशर्ट, नाक और गले पर मलाई फैल गई और यह दृश्य देख रिमी की जिस्म में सिहरन दौड़ गई और राहुल घबराकर झट से बिस्तर के चादर अपने आप पर लपका देता है। शर्मिंदगी की हद पार ही गई थी आज तो। "शिट!!! दमनिट!! रिमी!!! यहां क्या कर रही है तू????? शीट!!!" राहुल का वासना भरा मन क्रोध में तब्दील हो गया। लेकिन रिमी थी जी बस अपनी भईया की सूखी मलाई को परखने लगी, पहले तो अपनी नाक में से, फिर गले पर से।
उंगलियों की दरमियान चिपचिपी पद्र्थ को तोलती हुई वोह कुछ ऐसा कर बैठी के राहुल हक्का बक्का रह गया!
मीठी नमकीन पदार्थ को अपनी लबों तक ले गई और प्यार से उंगलियों को एक एक चूसने लगी। चूसते हुए उसकी नज़रें अपनी राहुल भइया से मिली और एक प्यारी मुस्कान देके बोली "काफी मीठी है भइया! दीदी को यही खिला रहे थे कल क्या?? नॉटी बोई!" फिर एक बार और चूसी और कमरे में से चली गई।
राहुल का उभर अब दुगने साइज में चलने की फिराक में था। यह सब कुछ कैसे और इतनी जल्दी हो रहा था उसके साथ के इस बात का एहसास भी नहीं हो राहा था उसे के एक साथ दो दी लड़कियों के पीछे वोह वासना लिए दौड़ पड़ा था और वह दोनों उसके अपनी ही सही बहने थी। मानो कुछ ऐसा हो गया था के कामदेव को दो दो रती मिल गई थी। फर्क यह था के एक का उद्घाटन हो चुका था तो दूसरे अब तक केवल मटके कमर में लिए केवल टीज कर रही थी।
"उसका भी मटका फोरूंगा! रिमी!!!! तूने मेरे कमरे में आके ठीक नहीं की!" कहके वापस अपने झड़े हुए लिंग को टटोलने लगा। लिंग महाराज भी ऊपर देखते हुए सोचता होगा के अपने मालिक की मन एक बार में भर नहीं सकती। और भला ऐसा क्यों ना हो! इंसंसी फितरत ही यही था के कितना भी खाना दिया जाए, भूख तो नहीं मिटने वाली थी।
अब राहुल को बस रात का इटेंजार था! मन ही मन उसके तसव्वुर में अब नमिता दीदी और रिमी दोनों बस गए थे। उसके मन में एक प्लान जागृत होने लगा।
वहा दूसरे और अपनी कमरे में रिमी झट से नहाने चली गई और बार बार पानी के सहायता से अपनी नई नई और उभारों को बार बार मसल रही थी। उफ्फ कितना मज़ा आ रहा इस कार्य में! कितनी मीठी मीठी एहसास हो रही थी उसे! अपनी निप्पलों पर पे उंगलियां फिरती हुई वोह केवल यही सोच रही थी के अगर इन माध्यम उभारों को मसलने में इतनी मज़ा आ रही है तो उसकी दीदी को नहाते वक्त कितना मज़ा अति होगी!
क्या नमिता दीदी भी अपनी पपीतों को मसलते होंगे?? धीरे धीर घर की सारी औरतो का भी तुलना उसके मन में होने लगी, अपनी दूसरे दीदी रेवती से लेके उसकी मा रमोला और फिर अपनी मा आशा से लेके अपनी दादी यशोधा देवी तक।
उफ्फ, यह क्या क्या सोच रही थी वोह आज! लेकिन स्तन तुलना में उसे बहुत मज़ा आ रही थी। उसके मन में मीठी मीठी एहसास होने लगी केवल इस बात से के क्या घर की सभी औरतें भी अपनी अपनी उभारों को ऐसे ही मसलते होंगे? उफ्फ!! उसकी बर इतनी गीली पहले कभी नहीं हुई थी! कितनी गंदी सोच थी, लेकिन कितनी कामुक भी थी!
ऐसे ही अंग अंग मसलती हुई वोह शॉवर का मज़ा लेती रही।
अब इन सब के दौरान आप लोग यह सोच रहे होंगे के नमिता की कहीं अता पता क्यों नहीं थी! तो दोस्तों, बात यह थी के नमिता टैरेस पर एक हल्की फुल्की वॉक ले रही थी। अपनी चेहरे और काफी रौनक महसूस कर रही थी और अंग अंग भी खिली खिली लग रही थी। राहुल के साथ एक एक लम्हे को याद करती हुई उसकी नैनो से अमृत टपक परी। बहुत मीठी सी एहसास हो रही थी उसकी जिस्म और मन दोनों को।
अब नाखून में खून लग चुका था! एक संभोग से मन भरना मुश्किल दिख रही थी नमिता को।
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