RE: kamukta Kaamdev ki Leela
सुबह सुबह चिड़िया चेहेक उठी और खिड़की से तेज़ रोशनी सीधे राहुल के बिस्तर पर आ परी, जिस वजह से एक तेज़ उबासी लेती हुई उठ गई रिमी और सबसे पहले जो उसने की वोह यह थी के अपनी इर्द गिर्द नाजर घुमाई और जैसे ही नज़र अपनी भाई की हाथ पर आ परी, तो उसकी आंखे शर्म से नम हो गई। राहुल का हाथ उसकी स्तन के ऊपर जमाए बैठे हुए थे जैसे कि बहुत नॉरमल बात हो। क्योंकि दोनों के निचले हिस्से चद्दर से ढके हुए थे, अपनी भाई की लिंग की दर्शन ना हो पाई उससे।
रात की दास्तां याद करके रिमी की आंखें नम हो गई और वोह अपनी भइया का हाथ को साइड में धकेलती हुई फौरन राहुल का ही एक ट शर्ट घुटनों तक पहनती हुई तुरंत छत की ओर भाग गई। आंखें नम थी और आंसू बेहने के कगार पे थी। उपर पहुंचने के बाद वोह रेलिंग को जकड़ लेती है और अपनी किए गए हरकत पर फुट फुट के रोने लगी।
नहीं यह बात नहीं थी के उसे मज़ा नहीं मिली थी, यह नमी तो इस बात की थी के यह सब कुछ इतना जल्दी हो गया और ऊपर से अपनी ही भइया के द्वारा अपनी ही योनि की सील तोड़नी उसे बेहद अंदर ही अंदर परेशान करने लगी। प्राकृतिक तौर से कोई कितना भी खुश रहे लेकिन संसक्रिती में ऐसे लम्हे कभी कभी बहुत दुविधाएं खड़े कर दे सकते थे।
जहां एक तरफ मीठी मीठी दर्द थे, वहा दूसरे और पछतावा और घिनन भी थी। अपनी उलझन में वोह लटी हुई थी के तभी उसकी कंधे पे किसी के हाथ आ रुकी। रिमी सेहमी सी, तुरंत पीछे मुड़के देखती है उसकी दीदी नमिता थी। आश्चर्यजनक उसकी चेहरे पे मुस्कुराहट बरकरार थी, जैसे देख रिमी हैरान होने लगी।
नमिता : मत रो मेरी बहन! (गाल को सहलाके आंसू पोचती हुई) मुझे! मुझे सब मालूम है!
रिमी : (हैरानी से) किस बात का दीदी??
नमिता : अब मेरी प्यारी प्यारी भोली बेहना! इतना भी मत नखरे कर! (उसकी पेट पे हाथ फिरती) तू अपनी प्यारे प्यारे भइया का ले चुकी है अंदर!
इस वाक्य से रिमी की पूरी जिस्म में एक ४४० वोल्ट का करंट दौड़ गई और आंखे और नम हो गई। उसकी दीदी उसकी इस गलती को उकसाने में लगी हुई थी जैसे की बहुत साधारण सी बात हो! वोह केवल हैरानी से अपनी दीदी की तरफ देखने लगी। उसकी भोली सूरत देखकर नमिता हंस परी।
नमिता : (गाल को चूमती हुई) कल रात मैंने सब कुछ देख ली थी। सच कहूं तो मै नाराज़ नहीं हूं!
रिमी : यह क्या कह रही हो दीदी????
नमिता : में चाहती हूं तू कैसी से मिले! रुक! (यहां वहा देखती हुई, फिर हाथों से इशारा करती हुई) आयिए देविजी!
रिमी हैरान होकर सामने देखी तो उसकी आंखें कौतोहल और आचार्य से एक पुराणिक अप्सराओं की लिबाज़ में एक मनमोहक और आकर्षित औरत खड़ी थी। चेहरे पे मुस्कुराहट बरकाकर थी और वोह और कोई नहीं बल्कि खुद गाजोधरी थी! वोह दोनों बहनों के निकट आ गई और प्यार से दोनों के लंबे और घने जुल्फों को सीहलाई।
गाजोधरी : तुम दोनों इस प्रेम मिलाप में अब बांध गए हो! और इसका सबसे बड़ा सबूत तुम्हारी कोको में पल रहे तुम्हारे अपने भाई के बीज है! अब पीछे जाना ठीक नहीं होगा पुत्रियों! इस मिलाप का पूरा सईयोग दो और कामदेव के चरण स्पर्श करो!
रिमी : (दीदी की और देखकर) दीदी!!!!! यह सब क्या है???? कौन है यह औरत?? व्हाट्स गोइंग ऑन?? (सर पे हाथ रखती हुई)
नमिता फिर से अपनी बहन कि गालों को चूम लेती है और उसके कान को हल्के से चूम ली "तुझे वोह मीठी दर्द पसंद अाई है ना?" जवाब में रिमी की जिस्म में एक सिहरन दौड़ गई और आखिरकर उसकी चेहरे पे एक धुंधली सी मुस्कुराहट फैल गई "दीदी, धुत्त!!! नहीं मालूम मुझे!"
गाजोधरी उन दिनों के मुस्कुराहट और खिलखिलाना देखकर खुद बहुत प्रसन्न हो गई और दोनों को एक एक गुलाब देने लगी। गुलाब को लेती हुई दोनों एक दूसरे को देखने लगी आश्चर्य से और फिर गाजोधरी के तरफ।
गाजोधरी : इस का असर तुम दोनों को समय समय पे होता रहेगा, और हा! इस फूल के मुरझा जाने से पहले अगर तुमने कामदेव को खुश नहीं किया तो बरी कठिनाई आ सकती है तुम्हारे जीवन में!
रिमी और नमिता एक साथ : खुश कैसे करेंगे?
गाजोधरी : तुम दोनों को इस फूल के मुरझा जाने से पहले ही अपनी अपनी कोक में बीज डालने वाले के साथ विया रचानी होंगी! ना तुम इस कोक की वरदान को नश्ट कर सकती हो और नहीं तुम विवाह से विवाह से भाग सकती हो!
इस कथन सुनने के बाद दोनों बहने की आंखे चौड़ी हो गई और सासें मानो तेज़ तेज चल रही हो। गाजोधरी दोनों को देखकर आशीर्वाद देने लगी और वायु की भांति गायब हो गई वहा से। नमिता और रिमी केवल एक दूसरे को देखते रहे।
......
वहा नीचे रमोला अपनी कमरे में आराम कर रही थी के अचानक से अजय उसके नज़रों के सामने अागाया। अपने बेटे के चिंतित भाव को देखकर एक मा भला कैसे चैन से भला बैठ सकती है, वोह सीधे अपने बेटे के पास आके बैठ गई।
अजय : मा! काफी अर्सा हो गया आप के गोद में सर रखे आप से बात किए हुए!
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