RE: kamukta Kaamdev ki Leela
अजय अपनी नाक को अपने मा के इर्द गिर्द करता रहा और जब उसके गाल पर एक खीच कर चपेट लगती है रमोला, तो तब जाके होश ठिकाने आया।
रमोला : जा यहां से!!! बदतमीज!
अजय : तुम गलत समझ रही हो मोम! दरअसल मुझे डैड के जिस्म को खुशबू महसूस हुई आप में! (शर्मिंदा होते हुए) माफ करना मुझे मोम! लेकिन अब खुद को बदलना भी उतना आसान नहीं होगा! और वैसे भी समलैंगिक भावनाए बुरा तो नहीं है! क्यों मोम???
अजय उदास होके कमरे में से निकल गया और रमोला के मानो पैरो तले जमीन खिसक गई। उसे आभास तो थी के अजय के रास्ते अलग है, लेकिन इतना आगे उसके भावनाए बेह जाएंगे, यह उसे मालूम नहीं थी। पलके जब मूंद ली तो अपने बेटे के सारी में लिपटी हुई तस्वीर झलकने लगी और ना चाहते हुए भी उसकी हाथ अपनी ही जांघ को कस लेती है सारी के उपर से ही।
उफ़, यह एहसास कुछ अजीब थी, लेकिन कामुक भी थी, खुद पर शर्म करके वोह पल्लू अपनी मूह की और रखकर तुरंत नहाने चली गई। शॉवर के नीचे खड़ी होकर "राम राम" के रट लगाए वोह अपनी नंगी जिस्म को यह वहा मसलने लगी के तभी उसके पीछे एक दूसरे जिस्म की स्पर्श होने लगती है। घबराकर वोह पीछे देखती है और हैरान रह जाती है एक सम्पूर्ण अनजाने से एक और औरत को देखकर, जो खुद भी पूर्ण नग्न अवस्था में थी।
वोह औरत थी गजोधरी!
इससे पहले रमोला कुछ बोल पाती या चिल्लाती, उसकी मुंह की और हाथ रखकर गजोधरी उसकी कंधो को सहलाने लगी और बड़ी प्यार से सामने रेक पर रखे साबुन को उठाए उसकी कंधो को मलने लगी। गजोधरी के नरम और निर्मल एहसास से अचानक रमोला को एक धुंड सा नजर आती है चारो और, मानो कोई धुंधली सी जगह पर को गई हो।
अब कंधे से नीचे आते आते गजोधरी की हाथ पर पकड़े साबुन रमोला की मोटे मोटे पपीते पर आने लगी और उसपे मलने लगी। देखते देखते उसकी परी जिस्म की उपरी भाग झाग में धक गई थी। ऐसी निर्मल एहसास हो रही थी रमोला को, के शब्दो ने बयान करना मुश्किल थी। कुछ ऐसा हुआ तभी के गजोधरी अपनी हाथ उसकी जिस्म में से हटा देती है के तभी रमोला उसकी हाथ को पकड़े वापस अपनी झागदार जिस्म पर वापस रख देती है।
दोनों में से कोई कुछ नहीं बोल रहे थे, लेकिन रमोला की आंखे यह बयां कर रही थी के वोह केवल गजोधरी की हाथों से नहाना चाहती थी।
गजोधरी : (साबुन मालती हुई) तुम्हे अपनी बेटे पे नाराज़ नहीं होनी चाहिए!
रमोला : (गहरी सांस लेकर साबुन स्पर्श की आनंद लेती हुई) नहीं होंगी! फ़िर कभिं नहीं होंगी!
गजोधरी : (अब एक उंगली को उसकी लबों फिराके) तुम बहुत अच्छी मा हो!
रमोला सिसक सिसक के गजोधरी की हाथों पे अपनी हाथ रखकर अपनी जिस्म की इर्द गिर्द साबुन फिराने लगी और फिर दोनों औरतें आपस में बिना कोई झिझक के अपने अपने होंठ मिला देते है। एक अद्भुत आनंद का सामना करती है रमोला और फिर अचानक ही पलके झपकते ही गजोधरी गायब!
शॉवर में अपनी हाथ में साबुन थामे रमोला यहां वहा देखने लगी और फिर ना जाने क्यों खुद पर मुस्कुरा उठी और नहाने में मगन हो गई।
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