RE: kamukta Kaamdev ki Leela
रामधीर हसने लगा अपनी पत्नी की कथन सुनके "अरे फिक्र मत करो! यह मोटी जिस्म का तो राहुल बेटा खुद दीवाना है!!!" इस वाक्य को आशा ने सुन तो ली थी, लेकिन ससुर की आगोश में वोह पहले से ही इतनी मदहोश थी के, कुछ भी सूझ नहीं रही थी। पति के लिंग को जड़करे हुए यशोधा देवी सीधे अपने बहू की मुख्य दुआर पे दस्तक देने लगी, तो आशा की दिल ज़ोर ज़ोर ऐसे धड़क उठी के मानो सीने से निलकर भाग जाएगी!
फिर.....
की
हुआ वोह जिसका आशा और रामधीर, दोनों को इंतज़ार थी! लिंग और योनि का मधुर मिलन हो गया और पहले धक्के से ही आशा ऐसी मस्त हो उठी, के एक लम्बी "उई मा!!!! बाबूजी!!!!" कहकर सिसक उठी और उसकी टांगे रामधीर के गांड़ को कस कर जकड़ लिया! "जय हो कामदेव!!!!! जय हो!" यशोधा मन ही मन बोल परी और आशा की हाथ कस कर थाम ली। आशा अब चुदाई में मगन हो गई और साथ साथ रिमी की भी सिसकियां निकलती गई। कमरे का दृश्य बेहद मनमोहक हो उठा था।
"बहू!!!!! ओह बहू!"
"मत रुकिए बाबूजी!! मत रुकिए! भोगिय मुझे! आप महेश से बरकर है मेरी नज़रों में!!!!"
"अरे में बाप हूं उसका!!! उसने तीन बच्चे पेले है ना अंदर??? मै चार दूंगा तुझे!!!! तेरी पेट फूलाऊंगा में बहू!!!!"
"ओह मा!!! बाबूजी! अब बारे वोह हो!" जिस्म को जिस्म म रगड़ रगड़ कर बिस्तर को हिलाने लगी आशा और यह देख और सुनके रिमी अपनी खुद की जिस्म को यहां वहा, नीचे उपर मसलने लगी। उसकी होश पूर्ण खो गई थी और अब अगर पूरी दुनिया ने उसे इस अवस्था में रंगे हाथ पकड़ ली तो भी कोई हर्ज नहीं थी!
ससुर, बहू सिसकी पे सिसकी देते त रहे, के तभी रामधीर एक ज़ोर का हुंकार मारता है और बंदूक के गोली की भांति मलाई पे मलाई दुआर के अंदर घोलने लगा। दुआर में गरमा गरम पदार्थ के एहसास से आशा एक गहरी सिसकी दे उठी और सास के हाथो को कस के ज जकड़ ली। आंखे नमी थी, और चेहरे पर एक अजीब सी सुकून। उपर रामधीर भी थके बहू से लिपट के सो गए और यशोधा मन ही मन मुस्कुरा उठी "अब हिसाब बराबर हुआ! बेचारे कबसे तरस रहे थे!"
थके चुरे रिमी भी अपने कमरे में भाग गई और यशोधा खड़ी के खड़ी रही, और कुछ पल के बाद जब नज़रे नीचे की तो गौर किया के मोटी मोटी जांघों पे गीलापन फैल चुकी थी और एक मोटी कतरा लटक रही थी योन के दुआर पर। एक मीठी मिठी हसी देती हुई यशोधा उस कतरे को उठाके चूस गई प्यार से।
तस्वीर में से कामदेव खुद मुस्कुरा उठे और अपने पति और बहू के बाहर बहती हुई कुछ रस को अपने हाथ पर इख्ट्रा किय, और अपनी जिस्म में मलने लगी और हस्ते हुए सोचने लगी "गजोधरी की भी जई हों! तुम्हारे इस रिवाज ने मुझे मस्त कर दिया, हाय!"।
एक नज़र अपने बहू के नंगे पेट पर रखी और पति की दावा को याद करके फिर शर्मा गई "उफ़! यह भी ना!"।
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