RE: kamukta Kaamdev ki Leela
रिमी अब एक हल्की नींद लेने लग गई और राहुल अपने कमरे में से बाहर निकल ही रहा था के, अचानक उसका सेल बज उठा और वोह तुरंत अपने कमरे में वापसी करने लगा और फिर बिस्तर को टटोलता हुआ, सेल को हाथ में लिए कमरे से बाहर निकल जाता है। स्क्रीन में मीनल की पीक देखकर उसका दिल पिघल गया और फौरन उठा देता है "कैसी हो बेबी??"
मीनल : सोचा थोड़ी खबर ले लिया जाए जनाब का!
राहुल : ऐसा मत कहो! तुम ही तुम हो सोच में हर वक्त!
मीनल : राहुल! मै जानती हूं तुम मुझसे नाराज़ हो! इट्स ओके!
राहुल : किस बात पे? ओह! समझ गया! अभी तक होंठो के स्पर्श से हम आगे नहीं गए इसलिए ना??
मीनल : चुप रहो! मै ........ मै हमारी शादी की बात कर रही हूं!
राहुल : शादी?? इतनी जल्दी?
मीनल : मोम और डैड को तुम्हारे बारे में सब मालूम है! सच पूछो तो! यह रिश्ता ज़रूर मंज़ूर होका उन्हें!
राहुल : मीनल! शादी का खुआब तो मै खुद देख रहा हूं! इस बार केवल चूमूंगा नहीं! बल्कि बहुत कुछ करने का इरादा है!
मीनल (शर्मा के) : हट! बस भी करो! मोम पास में ही है! खैर! तुमने वोह चिट्ठी देखी??
राहुल : चिट्ठी कौन सी???
मीनल : लग ता है जनाब अपने पैंट के पॉकेट नहीं चेक करते! खैर मैं रखती हू अब! टाइम मिले तो पड़ लेना! बाई।
दो, दो झटके खाकर राहुल वहीं खड़ा रहा। पहले तो वोह शादी वाली बात, जो मीनल की ज़हन में चल रही थीं, और दूसरी वोह चिट्ठी! बिना विलंब किए वोह अपने कमरे में भागकर सारे के सारे पेंट्स और ट्राउजर्स तेटोलने लगा और फिर अपनी जबान बाहर निकाल दी जब खयाल आया के आखिर बार जिस पैंट को पहने वोह मीनल से मिला था, वह तो वाश बेसिन में रखा हुआ था। फटक से वोह बरामदे पे पहुंच गया।
टांगे हुए कपड़ों को टटोलने लगा, तो खयाल आया के ट्राउजर धूल चुकी थी और चिट्ठी गायब! सोच में पड़कर रहुल बरामदे में से निकल गया और सोचने लगा के चिट्ठी किस के हाथ लग चुकी थी। "कहीं मा......?" धड़कते दिल के साथ राहुल फौरन आशा के कमरे की और जाने लगा। चौखट तक पहुंच ही चुका था के आशा तभी के तभी निकलती है और उसकी मोटी सी स्तन राहुल के छाती से धस जाती है "ओह बेटा! आराम से!"। "सोरी मा! वोह में....."। आशा, जो रात के चुदाई के बाद एकदम तरो ताज़ा हो चुकी थी और चेहरे पर भी एक उत्तेजित सा मुस्कान थी। मा को इतना पॉजिटिव देखें राहुल भी खुश हुआ।
खैर, इस वक्त आशा कुछ और है खयाल बुन रही थी मन में। राहुल की और, वोह एक चंचल मुस्कुराहट के साथ देख रही थी "तू तो सच में शितान निकला!"।
राहुल : क्या कह रही हो मा???
आशा (हाथ में वहीं मीनल वाली चिट्ठी थामकर) : यह क्या है मेरे लाल?
राहुल : ओह नो! तो आपके हाथो लग गई!! ओह!
आशा : (रात के दास्तां के बाद और ज़्यादा नटखट हो चुकी थी) : तो मेरे बेटे को प्रेम पत्र लिखा जा रहा है! हम... और यह मीनल कौन है?
राहुल : मा! वोह.....
तभी रमोला की आवाज़ आती है "अरे यह बताओ कि कब मिलवा रहा है उसे!" अपनी जेठानी का पूरा साथ देने लगी और दोनों महिलाएं अब रव राहुल को घूरने लगे। "वैसे दीदी, यह आपका लाडला तो गबरू हो गया है एकदम से!" एक नजर राहुल के उपर नीचे तरती हुई रमोला बोल परी। आशा एक थपकी लगा देती है रमोला को पीठ पर "चुप भी हो जा! नज़र मत डाल!" फिर राहुल की और गौर से देखने लगी, चिट्ठी हाथ में बरकरार "अब तू चाहता क्या है! ठीक से बता"।
राहुल : वोह दरअसल मा! मीनल और मै अब साल भार साथ साथ है और....
आशा : तुम दोनों शादी के लिए भी राजी हो, है ना?
राहुल : वोह...... आप.......ऐसा कह सकते है!
रमोला भी एक थपकी देने लगी राहुल के पीठ पर "बदमाश! खुले आम शादी की बातें कर रहा है मा के सामने!"। रमोला के मुंह से बदमाश सुनते ही आशा खुद हंस परी "बदमाश तो हमारे ससुरजी के खुद भी है रमोला! कल रात काश तूने मुझे उनके साथ देखी होती! हाय!" राहुल शर्म के मारे वोह चिट्ठी लिए वहा से रफू चक्कर हो जाता है और तभी आशा भी जाने ही लगी के रमोला उसे टोक देती है "वैसे दीदी! आपकी चाल कुछ बलखाती हुई नजर आ रही है!"। आशा को यह सुनना लाजमी थी, क्योंकि उसकी कूल्हे कुछ ज़्यादा ही मटक रही थी। "वोह दरअसल रमोला! बात यह है के थोड़ी मोच आहाई थी कमर पर! और मुव का ट्यूब तो कमरे में थी नहीं! तो..."।
रमोला भी कम नहीं थी, अपने दीदी कि बाजुओं को मसाज करती हुई बोल परी "अब रहने भी दो दीदी! महेश भाई साहब का सब किया धरा है!"। आशा और वोह दोनों खिलखिला उठे और आशा अपनी जिस्म को मटकाए रसोई की और जाने लगी। उसकी ऐसे बलखाती चाल को देखकर रिमोला खुद जल उठी "गौरव के साथ तो आजकल मज़े भी नहीं मिल रहे है, और वहा दीदी अपनी कूल्हे और कमर कस रही है हर रात को!" मुंह मोड़ती हुई वोह भी मटक के चल देती है रसोई की और।
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