RE: kamukta Kaamdev ki Leela
अगले दिन भी कुछ यू हुआ के राहुल के सीने से अब रमोला जान बूझ कर टकड़ा गई और बड़ी अदा के साथ दोनों एक दूसरे को देखने लगे। "लगता तो ऐसे है के मानो कोई किसी पे मर मिटा हो! यू नज़रे ना चुराओ हमसे! हम भी आंखो को खोज ही लेते है!" कहके राहुल एक बार फिर रमोला को कस के अपने बाहों में ले लिया। "उफ़, तू नहीं सुधरेगा! लगता है अब आशा दीदी से शिकायत करनी ही पड़ेगी!" एक कामुक अंदाज़ में रमोला बोल परी और राहुल ने भी मु तोड़ जवाब दिया "क्यों नहीं चाची! बिल्कुल ही थिक है यह! मा को बता ही दो के कैसे में सांड बने तुम्हारे पीछे पीछे पड़ा हुआ हू! चलिए में आप के साथ ही आता हूं!" राहुल के दीवानगी भरी अंदाज़ देखकर रमोला को शक सा होने लगी के कहीं आशा को भी ना यह सब पता है!
रमोला अब और कामुक होके अपनी बाहें उसके बाहों में थाम ली "वैसे जनाब को अपने मा से डर नहीं लगता है क्या?"। राहुल भी अपने छाती को उसकी छाती से धस के बोल परा "यह तो पता नहीं! लेकिन सच कहूं चाची! तो मा और तुम, दोनों मुझे प्यारे हो!" इतना कहना था के राहुल ने हल्के से पप्पी लेली अपने चाची के रस भरे होंठो का। इस हरकत से रमोला सिहर उठी और एक प्यार भरे थपकी लगा दी उसके गालों पे "बदमाश! हट यहां से! जाने दे मुझे! वरना तेरी दादी को भी खबर कर दूंगी!" यह कथन रमोला की समाप्त ही हुई थी के एक मीठी हंसी की आवाज़ आने लगी उन दोनों के कानो पे।
यह मधुर सी आवाज़ थी यशोधा देवी की, जो कुछ ही दूरी से चलती आ रही थीं "क्या चल रहा है चाची भतीजे में? ज़रा में भी तो सूनू!" इतना कहना था के वोह उनके और नज़दीक आके खड़ी हो गई, जिससे रमोला थोड़ी घबरा गई "वोह माजी! वोह दरअसल.…."। *अरे बहू! अब ऐसी भी क्या झिझक? अगर तुम्हे छेर रहा था, तो साफ साफ बोल दो! वैसे तुम हो भी उस लायक!" इतना कहकर यशोधा हस परी और रमोला बुरी तरह शरमा गई "माजी धत! क्या आप भी! राहुल के सामने यह सब!"।
यशोधा : (एक पान हाथ में लिए, अपनी मूह में घुसेड़ दी) अरे क्या में नहीं जानती मेरा बेटा कितना निकम्मा है इस मामले में! तभी तो यह बेचारा तेरे आग को ठंडा करने के कोशिश कर रहा है!
रमोला : (हैरानी से) क्या बोल रहे हो आप यह सब???? आप ठीक तो है ना??
राहुल दो दो गड्राए महिलाओं के बीच खड़ा, यह सब सुन रहा था और मुस्कुराने लगा। अब बेचारी रमोला को क्या पता के उसकी सास भी भोग चुकी थी उस नटखट बालक से!
यशोधा : (अंगराई लेती हुई) हाय! लगता है मुझे अपनी दास्तां सुननी ही पड़ेगी! क्यों राहुल! सुना दू?
राहुल कुछ बोला नहीं, धीरे से आगे गया और अपने दादी पे पीछे जैसे खड़ा हुआ, रमोला की आंखे चौड़ी हो गई और वोह सास थामे आगे आगे देखती गई। राहुल ने अब अपने हाथो को अपने दादी के मोटी सुडौल कमर पर थामा और उसे हल्का हल्का दबा ने लगा "चाची तो नाराज़ है मुझसे!"। यशोधा भी सिसकियां देने लगी इस दबाव से "अरे होगी ही तो! उसने अमृत जो नहीं चखी अब तक!"। रमोला को कुछ समझ नहीं आ रही थी, एक अजीब कामुक दृश्य सामने दिख रही थी, जिसे वोह खुद हजम नहीं कर पा रही थीं, बस केवल खड़ी रह गई।
अब राहुल कमर को सहलाते सहलाते अपने दादी के गेसुओं पे हवा फूंकने लगा, जिससे यशोधा और सिसक उठी, और सीधे नज़रे मिला दी रमोला से, जो लम्बी लंबी सास ले रही थी, बस। उसे यकीन करना मुश्किल लग रही थीं जो कुछ भी उसके सामने हो चली थी। सच में राहुल आज कल चौंका रहा था। इससे पहले वोह कुछ बोल पाती, तुरंत ही राहुल और उसके दादी अपने होंठ एक कर लेते है वहीं के वहीं। यह दृश्य देख रमोला की पैरो तले जमीन खिसक जाती हैं "माजी???"
यशोधा और राहुल कुछ प पल तक बेतहाशा चूमने के बाद, अलग अलग होके बेचारी रमोला की और देखने लगी, जो स्नन होके खड़ी थी, ना कोई आवाज़ और ना कोइ हरकते! केवल आंखे चौड़ी बनें एक दादी और पोते को एक कामुक स्तिथि में देख रही थी। दोनों यशोधा और राहुल उसे देख मुस्कुरा उठे और इस बार यशोधा खुद अपने बहू के पास जाके उसकी हाथ कस के थाम की, फिर अपने पोते की और देखने लगी "आं इधर! थाम ले इसकी हाथ!" रमोला की अब पूरी के पूरी बदन पसीने से भर ने लगी और जैसे ही राहुल आगे आके उसके हाथ को जकड़ लिया, उसी दौरान एक लम्बी सिसकी निकल गई उसकी मुंह से, जिसे सुन राहुल अब कस के अपनी xhachi को जकड़ लेती है "चाची! ओह चाची!!"।
रमोला भी क्या करती, बेचैन होके, वापस राहुल को जकड़ ली बाहों में "राहुल!"
यशोधा : (रमोला को देखकर) याद है! तुझे एक बार वोह सपने के बारे में बताई थी!
रमोला : (राहुल के छाती से लिपटे) हा माजी!
यशोधा : वोह सपना नहीं थी मेरी बहू! हकीकत थी!!! (शर्माती) हाय! वोह मुआ यह कमबख्त ही तो था!! (राहुल की और देखकर)
इतना सुनने के बाद रमोला की सास और तेज़ी से दौड़ने लगी, और फिर राहुल ने वोह किया को रमोला ने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी! उसे सीधे अपने बाहों में ही लिए उपर उठता हुए राहुल अब अपने कमरे की और जाने लगा। यशोधा यह दृश्य देख खुश होकर अपने पति के तस्वीर की और देखने लगी "हाय! आपका पोता तो आप पर ही गया है एकदम! खैर, उसको जी भर के आशीर्वाद कीजिए!" इतनी सी बात कहके, वोह गुनगुनाती हुई अपने कमरे की और चल दी।
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अब राहुल के कमरे का दृश्य बहुत ही मनमोहक था। रमोला अपने सारी से आजाद हो चुकी थी और केवल ब्लाउस में थी राहुल के सामने, जो खुद ऊपर से पूरा नग्न था, अपने सारे टीशर्ट और बनियान उतार कर। धीरे धीरे उसके हाथ अपने चाची के गालों से होता हुआ नीचे बड़े बड़े स्तन की और जाने लगा और अब हल्का हल्का दबा ने लग गया। इस अजब एहसास से रमोला अपनी आंखे मूंद लेती है और उसकी सिसकियां शुरू हो जाती है।
राहुल प्यार और नम्रता से मोटे मोटे पपीतों को सहलाता गया और चाची के होंठों के करीब आने लगा।
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