RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
सोमलता मेरी बेकरारी समझ के और नखरे कर रही थी. शरारत भरी नजरो से देखते हुए अपने दोनों हाथों से दूध के डब्बों को मसल रही थी. फिर अपने चुचियों को मेरी आँखों के सामने लाकर बोली – “बाबु, मेरी छातियों में बहुत दर्द है. थोड़ा दबा दो ना.” और मेरा दाहिना हाथ अपनी बायीं मम्मे पर रख दी.
मैं पुरी ताकत से उसको दबाने लगा. उसकी चूचियां जरा-भी नरम नहीं थे. सख्त मम्मे को दबाने में ज्यादा ताकत लगाना पड़ रहा था और मेरी ताकत उसकी मुँह से जोर की सिसकारी निकाल रही थी. मैंने उसके कान ने कहा – “रानी गला सुख रहा है. थोड़ा दूध पिलायोगी?”
वह मेरी कान खींचते हुए बोली – “मालकिन को बताऊ की तुम दूसरी औरतों से दूध मागते हो?”
मैंने हँसते हुए कहा – “बाद में बोलना. अभी मेरो प्यास मत बड़ा. जल्दी कर.”
उस ने उंगलियों से दायें मम्मे को दबाकर निप्पल आगे करते हुए मेरे मुँह में मम्मे घुंसा दी जैसे कोई माँ अपनी बच्चे को दूध पिला रही हो. मैं जोर जोर से निप्पल चूसने लगा और दांत से मम्मे को काटने भी लगा. दूसरा हाथ दूसरी मम्मे को ऐसे दबाये जा रहा था जैसे कोई पके आम से रस निकल रहा हो. मेरी इस चूची-क्रिया ने सोमलता को पुरी तरह से उत्तेजित कर दिया. वह आंखे बंद कर “उम्म्म्म, अआह्ह, माई री, उन्ह्ह्हह” कर रही थी. मैं लगभग 5 मिनट तक मम्मे बदल-बदल कर उसको मज़े देता और मज़े लेता रहा. वह मेरी गर्दन जोर से पकडे रही और बीच-बीच में मुझे झंकझोर भी देती.
अब मैं असली मज़े के लिए तैयार था. मेरा 8 महीने का उपवास टूटने वाला था. मैंने मम्मों को छोड़कर उसकी होंठो पर एक ज़ोरदार चुम्मा डालकर बोला – “अब असली खेल शुरू करे रानी?”
उसने सिर्फ हाँ में सर हिलाया और मुझे भी एक रसदार चुम्मा वापस किया. अब वह मेरी कमर से सरककर मेरे घुटनों पर आ गयी. मेरे लिंग को दोनों हथेलियों में लिया और प्यार से सहलाने लगी. मुँह से ढेर सारा थूक हथेली में लेकर लंड को गीला करने लगी. थोड़ा सा थूक अपनी चूत पर भी मलने लगी. उसकी चूत पर झांटो का जंगल था. मुझे चूत की दीवारों, भगनासा, छेद किसी भी चीज का पता नहीं चल रहा था. मैंने उसकी चूत में ऊँगली फिराई. उसकी चूत गीली हो चुकी थी और चिपचिपा रस निकल रहा था. मैं अपनी उँगलियों को सुंघा और मुँह में डालकर उसका स्वाद लिया. मदहोश करने वाली महक थी.
सोमलता ने मेरे माथे पे हलके से मरते हुए डांटा – “छि बाबु, यह भी कोई चाटने वाली चीज है. कितना गन्दा है.”
मैंने दुबारा ऊँगली मुँह में लिया और फिर से उसकी चूत टटोलने लगा. मैं जंगल में गड्ढा खोंज नहीं पा रहा था.
उसने मेरे हाथ को हटाया और कहा – “हटो! तुम तो छेद खोजने में ही दिन निकाल दोगे.” और मेरे लिंग को पकड़ कर चूत पे टिका दी. फिर झांटों को हटाकर लिंग के सुपारे को चूत का दरवाजा दिखा दिया.
मेरा सुपारा फूलकर लाल आलू जैसा हो गया था. उसने मेरे कंधे को पकड़कर एक धक्का दी और फक्क की आवाज का साथ लंड का आधा हिस्सा अन्दर चला गया. “आअह्ह्ह्ह” मैंने आँख बंद कर सिसकारी मारी. उसकी चूत की गर्मी मेरे लंड को पिघला रही थी. थोड़ी देर रूककर फिर से उसने धक्का दिया और इसबार पूरा ला पूरा लंड उसकी बुर में समचुका था.
वह “माई री” की चीख़ के साथ मेरे छाती पर लेट गयी.
मैंने उसकी चेहरे को उठाकर पूछा – “सब ठीक है रानी? तुम कहो तो मैं ऊपर आ जाऊ?”
उसमे मेरे गाल पर एक हल्का चुम्मा देकर कहा – “नहीं बाबु” और फिर से मेरे छाती पर दोनों हाथ टीकाकार धीरे-धीरे ऊपर निचे करने लगी. मेरा लंड जैसे किसी भट्टी में पेल रहा था. मेरे पेट में अजीब-सी हलचल शुरू हो गयी थी और आँख बंद होगयी थी. पूरा कमरा हमारी सिसकारी और चुदाई की आवाज से भर गया था. उसकी आपनी रफ़्तार बढ़ा ली. उसकी आँखें बंद थी, उछालने के साथ-साथ उसकी मम्मे भी उछल रहे थे जो मेरे लंड को और सख्त बना रहे थे. कुछ देर बाद वह जोर से सिसकारी मारी और निढाल होकर मेरी छाती पर गिर गयी. उसका चेहरा पसीने से भींगा और साँस तेज चल रही थी. कुछ देर बाद उसकी चूत में सिकुडन हुई और रस की धारा छुट गई. एक मिनट के बाद दुबारा वह अपनी गांड उछलने लगी और तेज रफ़्तार से.
अब मेरी बारी थी. मेरा लंड फूलने लगा. मैं सोमलता को बताया – “रानी, मैं भी आने वाला हूँ.”
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