RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
हमदोनो टेबल पर आमने-सामने बैठे थे. मैं सिर्फ बॉक्सर पहना था और मेरी सोमलता तो टॉवल छाती से लपेटे हुए थी. जब वह बैठ खाना खा रही थी तो टॉवल सिर्फ उसकी कमर को ढक रहा था, उसकी गोरी चिकनी जांघे नंगी थी. उसकी जांघों का मस्त नज़ारा मेरे लंड को बहुत अच्छा लग रहा था जो रह-रहकर बॉक्सर फाड़ने को बेताब हो रहा था. मैं मन में सोचा – “आज इसको चुसाई का मज़ा देना है. लेकिन इससे पहले इसको राज़ी करना पड़ेगा. कल परिवार आ जायेगा तो फिर हमारा यह कार्यक्रम नहीं हो पायेगा.” मेरे दिमाग में एक तरकीब आया. नास्ता ख़त्म करने के बाद, मै उसको अपने कमरे ले ले गया. सारे दरवाजे-खिड़कियाँ बंद करने के बाद उसको एक चेयर पे बैठाया और बोला – “रानी, फिल्म देखोगी?”
वह फ़ौरन हामी भरते हुए बोली – “हाँ, कौन सी फिल्म बाबु?”
मैंने कहा – “देखो मज़ा आएगा” मैं दौड़ कर दो बियर फ्रिज से निकाल लाया और उसके बगल चेयर में बैठ गया. मैंने एक पोर्न विडियो लगाया था जिसमे एक सौतेली माँ बेटे को बताती है की उसकी गर्ल-फ्रेंड को कैसे चूमना है. बात चुम्मी से शुरू होकर चुदाई तक पहुँचती है. वह माँ उससे चूत चुसवाती है फिर उसका लंड चूसती है. दोनों डौगी स्टाइल में चुदाई करते है और आखिर में सौतेली माँ बेटे का मुठ मारती है, सारा बिर्य पि जाती है. यह विडियो धीमा होने के साथ-साथ काफी सेक्सी है. ना जाने मैंने कितनी बार इसको देख मुठ मारा है. विडियो की नायिका की फिगर उसकी उम्र के वावजूद लाजवाब था.
जैसे ही फिल्म शुरू होती है, सोमलता की आँखें बड़ी होनी शुरू होती है. मैं उसकी कुर्सी को अपने पास खिंच लेता हूँ. जब फिल्म का नायक अपनी सौतेली माँ की स्तन को मसलता-चूसता है तो सोमलता अकड़ कर सीधी हो जाती है. उसकी आँखें अब लैपटॉप स्क्रीन पर गड जाती है और उसे अपना ख्याल तक नहीं रहता. फिल्म आगे बढती है. अब नायक अपनी माँ की चूत को चूमना-चाटना शुरू करता है और साथ-साथ उसे अपनी ऊँगली से चोदता भी है. माँ जोर-जोर से सिसकारी लेती है और अपने बदन को उछलती है. यह गर्म दृश्य देखकर सोमलता गर्माने लगती है. उसका हाथ खुद-ब-खुद योंनी पर चला जाता है और उसे रगड़ने लगती है. उसकी चूचियां इतनी कास जाती है की वो जो तोलिया लपेटे हुए थी वह खुल का गिर जाता है. उसकी चूचियां सख्त और निप्पल सीधे खड़े हो जाते है. मैं अपने दायें हाथ से उसकी नंगी मांसल जन्घो को सहलाना शुरू करता हूँ. अब उसके मुँह से सिसिकारी निकलना आरंभ होता है. वह आँखें बंद कर सिसिकारी मारे जा रही है और ऊँगली से अपनी चूत को मसले जा रही है. मैंने उसकी हाथ को रोक अपनी ऊँगली से उसकी चूत के भागनासे को छेड़ना शुरू करता हूँ.
मेरी ऊँगली की हर हरकत पर उसकी आंह निकलती है. “आःह्ह्ह....... माई री......... हाय बाबु........... मै मर जाउंगी मेरे राजा........ सिसिसिसी.........................”
अब यह खेल कुर्सी पर खेलना असंभव था. मैंने उसकी कमर से उठाया और मेरे बिस्तर पर पटक दिया. वह मेरी और प्यासी नज़रो से देख रही थी. मानो वह कई दिनों की प्यासी है और मेरे पास शरबत का गिलास है. मै उसके पास गया और उसकी टांगो के निचे बैठ गया. उसकी दोनों हथेलियों को अपनी हथेलियों में लेकर पुरी बदन को अपने बदन के निचे लाया और उसकी होंठो का रस चूसने लगा. चूसने के दौरान मैं अपनी लिंग को उसकी चूत के ऊपर रगड़ भी रहा था. इसके बाद उसकी चुचियो की बारी थी. उसकी चूचियां इतनी सख्त हो गयी थी की मैं उसे मुँह से पकड़ नहीं पा रहा था. अब मैं उसकी नाभि के पास जीभ से चाटना शुरू करता हूँ. मेरी जीभ उसकी गहरी नाभि में जब-जब घुसती, तब-तब वह पेट तो सिकोड़ देती. अब मैं उसकी चूत के उपरी हिस्से को चाटते हुए उसकी क्लिट को छेड़ना शुरू करता हूँ. उसकी चूत के गुलाबी होंठ फूलकर पावरोटी जैसे हो गए. मैंने जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल दी. वह उछल कर बैठ गयी. मैंने उसको निचे गिराया उसकी चुचियों पर हाथ रखा और फिर से चूत में जीभ डाल दी. वह सर को उठाकर आंहे भरे जा रही थी और उसकी चूत जीभ के लिए और गहरी जगह बानी रही थी. जब मैंने देखा की जीभ आसानी से अन्दर-बाहर हो रही है तो मैंने अपनी बीचवाली ऊँगली चूत में डाल दी. उसकी चूत अन्दर से काफी गर्म था.
उसकी सिसिकारी की आवाज बढती जा रही थी. मैंने ऊँगली को डालना चालू रखा और जीभ से चूत की क्लिट को चाटना भी. 10 मिनट के बाद सोमलता का बदन अकड़ने लगा. वह मेरे बालो को जोर से पकड़कर मेरे माथे को अपनी चूत में दबाने लगी. अब उसकी चूत गीली हो रही थी जो बता रही थी की वह चरम आनंद के पास पहुँच रही है. अब उसकी बदन के निचे का हिस्सा जोर जोर से कांपने लगा. मैंने चुसना और ऊँगली से छेड़ना जरी रखा. अचानक उसकी चूत ने जोर की पिचकारी मारी और मेरा मुँह उसकी योनिरस में भर गया. नमकीन गर्म पानी के स्वाद ने मुझे मदहोश कर दिया. सोमलता की मेरे बालो पर पकड़ ढीली हो गयी और वह ढीली होकर लेती रही. मैं ऊपर आकर उसकी बालो को सहलाने लगा. उसके चेहरे पर संतुष्टि का भाव था. कुछ देर के बाद उसकी बांहों में मुझे जकड़ा और मुझे अपने करीब खिंच लिया. उसकी चूचियां अब भी सख्त थी जो मेरे सीने में गड रही थी. वह मेरे कान के पास आकर धीरे से बोली – “बाबु, किसी ने पहली बार बिने चोदे मुझे इतना सुख दिया. तुम बहुत अच्छे हो.” अब वह मेरे लंड को टटोलने लगी. मुझे लगा की वह भी मुझे मुख-मैथुन का सुख देना चाहती है. लेकिन लगता है वह अभी भी इसके लिए तैयार नहीं थी.
मेरे लंड को पकड़ कर बोली – “बाबु, इसको प्यासा मत रखो. मेरी चूत में तो बारिश हो गयी. इसको भी डूबने का मौका दो.
” “ठीक है. चलो अब घोड़ी बन जाओ” मैंने उसको कमर से पकड़ कर घोड़ी जैसा स्थिति बनाने की कोशिश की. वह थोड़ा असहज महसूस कर रही थी क्योंकि यह उसका पहला बार था.
मैंने बड़ी मुस्किल से उसकी पोजीशन बनायीं और उसकी कमर को बाएं हाथ से कसकर लपेट लिया. उसकी गीली चूत को द्दो-चार बार ऊँगली से मसलने के बाद लंड में सूपड़ा योनी के द्वार पर रख दिया. मैं उसकी कान में बोला – “रानी तैयार हो मेरे लंड राजा के लिए?”
वह थूक निगलते हुए बोली – “हाँ मेरे सैंया राजा, डाल दो अपना डंडा”
मैंने धीरे से धक्का लगाया. लंड आधा जाकर फस गया. चूत की दिवार लंड को कसकर पकडे थी. उसकी गले से एक हल्की चीख निकली. मैंने फिर से ज़ोरदार धक्का लगाया. लंड चूत की दीवारों को फाड़ते हुए सीधे बच्चेदानी से जा टकराया. मेरे इस धक्के ने सोमलता की बदन को हिलाकर रख दिया और मेरा कमर जोर से उसकी गांड से टकराया. उसने बड़ी मुस्किल से अपनी चीख को बाहर आने से रोका. मैं कुछ सेकंड के लिए रुका, उसकी स्थिति को सही किया और धीरे से लंड को बाहर खिंचा. लंड के सुपाड़े को बिना बाहर निकाले फिर से धक्का दिया. अब कुछ कम तकलीफ हुई. अब मैं धीरे-धीरे धक्का लगता रहा. एक हाथ से उसकी चुचियों को बीच-बीच में मसलता भी था. अब मेरा लंड फूलने लगा. मैंने धक्के की रफ़्तार बढ़ाई. मेरा कमर जोर-जोर से उसकी गांड में टकराता गया. वह भी धक्के के ताल पर अपनी गांड को आगे-पीछे करने लगी. 20 थापों के बाद मेरा लंड झड़ गया. मै बिना लंड को निकले उसके ऊपर निढाल हो गया. मेरी सांसे जोर-जोर से चल रही थी. मेरा लंड सिकुड़ने तक उसकी चूत में अटका रहा और बाद में फच्च की आवाज के साथ बाहर निकल गया. हमदोनो लगभग 15 मिनट तक लेते रहे. बाद में वह उठकर बाथरूम में चली गयी और मैं लेटा रहा. मैंने घडी में वक्त देखा, दोपहर के 12 बज रहे थे.
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