RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मेरी सिसकारी अब और तेज़ होने लगी. मेरे माथे पर पसीने आने लगे. देवरजी लुंगी गिरा दिया. उसका कच्छा तम्बू बना हुआ था. मैं एकटक उसके कच्छा को देख रही थी. वह यह देखकर मुस्कुराया.
गोपाल को समझ में आ गया था कि मैं पूरी तरह से गरम हो गयी हूँ. उसने ऊँगली से पैंटी के रबड़ को खिंचा, मैंने भी मदद करने के लिए चूतड़ उठा दी ताकि कच्छी आराम से निकल सके. चूत की ढकने वाला हिस्सा भींग चूका था और मेरी रस के महक रहा था. देवरजी ने पैंटी को नाक से सटाकर सूंघने लगा और मेरी ओर कातिल नज़रों से देखना लगा. मैं शरमाकर सर को बगल घुमा ली.
“भाभीजी, तुम्हारी चूत तो बड़ी मस्त महक रही है. लगता है उतनी मजेदार भी होगी.” यह कहकर उसने फिर से नाक से लगा लिया. मैं तो जैसे असमान में तैर रही थी. आगे जो हुआ, वह मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था. उसने पैंटी को दूर फ़ेक मेरे दोनों जांघों के बीच अपने सर को ले आया. इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती गोपाल ने मेरी चूत पर पूरा मुँह लगा दिया.
गोपाल को समझ में आ गया था कि मैं पूरी तरह से गरम हो गयी हूँ. उसने ऊँगली से पैंटी के रबड़ को खिंचा, मैंने भी मदद करने के लिए चूतड़ उठा दी ताकि कच्छी आराम से निकल सके. चूत की ढकने वाला हिस्सा भींग चूका था और मेरी रस के महक रहा था. देवरजी ने पैंटी को नाक से सटाकर सूंघने लगा और मेरी ओर कातिल नज़रों से देखना लगा. मैं शरमाकर सर को बगल घुमा ली.
“भाभीजी, तुम्हारी चूत तो बड़ी मस्त महक रही है. लगता है उतनी मजेदार भी होगी.” यह कहकर उसने फिर से नाक से लगा लिया.
मैं तो जैसे असमान में तैर रही थी. आगे जो हुआ, वह मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था. उसने पैंटी को दूर फ़ेक मेरे दोनों जांघों के बीच अपने सर को ले आया. इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती गोपाल ने मेरी चूत पर पूरा मुँह लगा दिया. जिंदगी में पहली बार किसी ने मेरी चूत पर मुँह रखा था. मेरा मरद थूक लगाकर ऊँगली से मेरी चूत मसलता था चुदाई से पहले. देवर की इस हरकत में मुझे हिलकर रख दिया. मैं एकदम से चिहुँक उठी और जोर से चिल्ला उठी. अगले ही पल मुझे अहसास हुआ की मेरी आवाज इस शांत रात में बहुत दूर जा सकती है. गोपाल भी अब कमर से उठकर मेरी छाती को मसलने लगा और मुझे लम्बी गहरी चुम्मी देने लगा. वह शायद मुझे शांत करना चाहता था. मैं अभी भी जोर-जोर से साँस ले रही थी और मेरी सीत्कार हमदोनो के मुँह में घुटकर रह जा रही थी. लगभग 5 मिनट तक मुझे चूमने के बार वह फिर से मेरी जांघो के बीच आ गया.
मारे शर्म के मेरी आखें बंद थी और सांसे धौकनी जैसी चल रही थी. मैं सर को एक तरफ घुमाकर बैचैनी से आनेवाले तूफान का इंतज़ार कर रही थी. लेकिन गोपाल भी शातिर खिलाडी था. वह खेल को लम्बा खींचने में माहिर था. इतने देर तक वह सिर्फ मेरी चूत को घूरे जा रहा था, कुछ कर नहीं रहा था. इधर मेरी बेसब्री बढ़ती जा रही थी.
आखिर में मुझे ही चुप्पी तोड़नी पड़ी. “देवरजी, आज कुछ करोगे या घूरते ही रहोगे?” मेरी आँख अब भी बंद थी. मेरी आवाज में चुदास थी. मेरा गला सुख रहा था और चूत गीली हो रही थी. अगर मेरे बस में होता तो मैं अपनी चूत को खुद चाट लेती.
गोपाल धीरे-से मेरे कान को चुमते हुए कहा – “भाभी, तुम्हारी चूत इतनी सुन्दर है की देखते रहना चाहता हूँ. गुलाबी बिल्कुल गुलाब के जैसे.”
चूत की बढाई सुनकर तो हर लड़की शरमा जाती है. मेरी गाल भी शर्म से लाल हो गयी. गोपाल मेरी गर्दन चुमते हुए होंठो को चूसने लगा. लेकिन इसबार वह बड़ी बेदर्दी से चूमने लगा. कभी मेरी होंठो को चूमता-कटता, कभी जीभ को चूसता तो कभी मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मेरी जीभ को लपेटता. मैं पागल हुए जा रही थी. मेरे हाथ उसकी पीठ को सहलाते-सहलाते कमर के निचे जा पहुंचा. उसकी गांड के दरार में काफी सारे बाल थे. एक हाथ उसके पेट के निचे जा पहुंचा जहाँ उसका फ़ौलाद तन कर अड़ा था. काफी अरसे के बाद मेरे हाथ को मर्द का लंड नसीब हुआ था. लेकिन उसका लंड लंड नहीं खम्भा था. इतना बड़ा और मोटा लंड मैंने आज तक किसी का नहीं देखा. हालाँकि मैं अभी तक सिर्फ अपने पति और अपने चाचा का लंड देखा था वह भी गलती से.
मुझसे अब रहा नहीं गया. मैं उसके लंड को मसलने लगी. अब देवरजी की हल्की मीठी सिसकारी निकली – “ओह मेरी प्यारी भाभी! करते रहो, बड़ा मज़ा आ रहा है.” मैं भी जोश में आ गयी और गोपाल के लंड को जोर-२ से मसलने लगी. उसका बदन कांप रहा था और मुँह अजीब-अजीब आवाज निकाल रहा था. अचानक उसने मेरे हाथ से लंड को हटा लिया और मेरे ऊपर से हट गया. शायद उसको पता चल गया की और ज्यादा देर तक चलने से वह मेरे हाथों में ही झड जायेगा. मैं उसको ताकती रह गयी. उसने मेरे बदन को खींचते हुए बिस्तर के किनारे ले गया. मेरी टांगो को हवा में रखते हुए अपने कंधो पर डाल लिया और अपने आप को मेरी जांघों के बीच में टिका लिया. अब उसका लंड मेरी चूत के दरवाजे पर था. कमर से पकड़ कर उसने जैसे ही अपनी ओर खिंचा उसका लंड जोर से मेरी मुनिया से टकरा गया.
“ऊऊम्म्म्म्म्म्.........हाययय......”
“सोमा रानी........... तैयार रहो..........” गोपाल ने एक ही धक्के में अपना लोहा मेरे अन्दर डाल दिया.
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