Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
10-08-2020, 12:48 PM,
#31
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
दोस्तों, मेरी छुट्टियाँ समाप्त हो चुकी थी और आज रात को मेरी रवानगी थी. छुट्टियों के यह चंद दिन मेरी जिंदगी के सबसे सुनहरे दिन थे. मैं एक साधारण, आज्ञाकारी, सुशील लड़का से सेक्स का पुजारी बन चूका था. हालाँकि सोमलता के साथ 4/5 दिन ही गुजरे थे, लेकिन मेरे जैसे लड़के के लिए किसी जन्नत से कम नहीं थे. सारा दिन सफ़र की तैयारी में ही बीता. दोपहर के बाद मैं विवेक और नेहा से मिलने उनकी पार्लर पर गया. दोनों वहीँ मिल गए, लेकिन मेरा असली मकसद तो सोमा से मिलना था. पार्लर से निकलने वक़्त सोमलता से कुछ बात हुई. हम दोनों ही उदास थे.

मैंने उसको एक मोबाइल देने का प्रस्ताव दिया ताकि हम बीच-बीच में बात कर सके, लेकिन वह साफ़ मन कर दी. यार! औरतों के यह नखरे मुझे समझ में नहीं आते. एक तरफ तो अपनी उम्र से कम लड़के के साथ जिस्मानी सम्बन्ध रखती हो, दिन-रात जानवरों की तरफ सेक्स करती हो, लेकिन एक फ़ोन लेने में दुनिया-भर की दिक्कत आ जाति है. खैर, मैं कुछ तो नहीं कर सकता. मै उसको अपना ख्याल रखने और अगले महीने वापस आने की कह दी और घर आ गया.

शाम को ट्रेन में बैठ मैं सिर्फ सोमलता और उसके साथ गुजरे पल को याद कर रहा था. रात हो गयी और सोमलता के बारे में सोचते-सोचते मैं गहरी नींद में सो गया. देर रात को किसी के कदमो की आवाज़ ने मेरी नींद तोड़ दी. मैंने देखा की एक औरत धीरे कदमो से मेरे पास चली आ रही है. ट्रेन के कमरे में हल्की रौशनी के कारण उसका चेहरा ठीक से समझ में नहीं आ रहा. वह आई और मेरे दोनों टांगो के बीच में बैठ गयी. उसकी हाथ मेरे पैंट पर चलने लगा. अहिस्ते से उसने मेरी पैंट को कमर से निचे खिसका दी. मेरा लिंग अंडरवियर में उछल रहा था.

वह अंडरवियर को भी नीचे खिसका के लंड को हाथ में ले ली. अपनी लाल लपलपाती जीभ निकल मेरे लंड की ओर बढ़ रही थी. मेरा लंड खुद उछल-उछालकर उसकी मुँह में सामना चाहता था. फिर उसकी गर्म जीभ का अहसास हुआ और वह औरत बड़ी बेसब्री से मेरा लिंग चूमने-चूसने लगी. वह लंड ऐसे चूस रही थी जैसे दिन-भर के प्यासे को आइसक्रीम हाथ लग गयी हो. उसकी तूफानी चुसाई के सामने मेरा लंड ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और फव्वारा मरते हुए उसकी मुँह में ढेर हो गया. वह फिर भी मेरा लंड चुसे जा रही थी. मेरा रस उसकी होंठो के किनारे से बह रहा था.

अब मेरा लंड छोड़ वह एक ऊँगली से बाहर रिस रहे बीर्य को वापस मुँह के अन्दर ले रही थी. पूरा मुँह साफ़ हो जाने के बाद वह अनजान औरत मेरे ऊपर आ रही थी जैसे की मुझे चुम्मा देने वाली हो. उसकी होंठ जैसे ही मेरे सामने आये तो मुझे उसका चेहरा साफ़ दिखा. वह सोमलता थी. मुझे झटका सा लगा और मैं उठकर बैठ गया. कमरे में रौशनी हल्की थी लेकिन उस औरत का कहीं पता नहीं था. मैं निचे देखा तो मेरी पैंट जैसे-के-जैसे कमर में थे, लेकिन अंडरवियर गीला-सा लग रहा था. अब मुझे समझ में आया की मैंने सपना देखा था और सपने ने मुझे अंडरवियर में ही झड़ा दिया. मैं मन मसोरकर रह गया और फिर से सोने की कोशिश में लेट गया. सुबह करीब 8 बजे नींद खुली तो गाड़ी मेरे स्टेशन में पहुँचने वाली ही थी. मैं सामान ले उतरने को तैयार था, लेकिन मैं नहीं जनता था की ऑफिस में एक नई मुसीबत मेरे गले पड़ने वाली थी.

मैं रविबार की शाम को पहुंचा. ऑफिस से 8 किमी की दुरी पर पर एक अपार्टमेंट में मैं और मेरा सहकर्मी एक फ्लैट में रहते है. हमदोनो को साथ में रहते करीब ढाई साल हो गए है. हमउम्र और कुंवारा होने के कारण हमारी खूब फबती थी. जैसे ही मैं फ्लैट में दाखिल हुआ, मुकेश उछलते हुए बोला, “भाई तू आ गया? तेरे लिए एक अच्छी और एक बुरी खबर है. बता कौन सा पहले सुनाऊ?”

मेरा मन तो पहले से उखड़ा हुआ था. इस कमीने ने जले पर नमक छिड़क दिया. मैंने बैग पटकते हुए बोला, “जो तेरा दिल करे सुना दे बे”

मुकेश बड़ी बेशर्मी से हँसते हुए बोला, “लगता है बड़ा परेशान है. घर वालों ने कहीं तेरी शादी तो नहीं तय कर दी?”

मैं बैठते हुए कहा, “यार, सफ़र से थका हुए हूँ. क्यों दिमाग की माँ-बहन कर रहा है? बोल ना क्या हुआ?”

उसने पानी की बोतल आगे करते हुए कहा, “भाई, तेरा प्रमोशन हो गया है. नॉएडा के बाहर हमारे एक क्लाइंट की फैक्ट्री में ऑटोमेशन का काम शुरू हुआ है. बॉस ने तुझे सॉफ्टवेयर एनालिस्ट के तौर पर वहां भेजने को बोला है. तू वहां जायेगा और हार्डवेयर वालों के साथ उनलोगों के काम को मॉनिटर करेगा. बढ़िया है साले! हम यहाँ कीबोर्ड और माउस में सर खपायेंगे और तू वहां आराम से छुट्टी मनायेगा.”

अब मेरा सर चकराने लगा. पता नहीं कहाँ रहना पड़ेगा अजनबियों के साथ. हार्डवेयर का डिपार्टमेंट भले अपने ऑफिस का ही है लेकिन हम सॉफ्टवेयर वालों से कोई मतलब ही नहीं है.

मैं पूछा, “सॉफ्टवेयर डिपार्टमेंट से और कौन जा रहा है? कितने दिन का प्रोजेक्ट है?”

मुकेश बोला, “सिर्फ तू अकेला. शायद एक-डेढ़ महीने का प्रोजेक्ट है. ज्यादा भी लग सकता है.”

बॉस ने मेरी पुरी मार ली थी. एक महीने शहर से दूर अनजानी जगह बिना दोस्तों के. यह सोच कर ही मेरा सर चकराने लगा. मैं धड़ाम से बिस्तर पर शहीद हो गया. मुकेश ने चाय बनायीं और हम ऑफिस के बारे में गप्पे मरने लगे. आज पहली बार मुझे इस नौकरी को छोड़ने का मन कर रहा था. खैर तन और मन की थकन से रात तो गुजर गयी. सुबह ऑफिस में सब मुझे प्रमोशन की बधाई दे रहे था, लेकिन मैं ही जनता था की यह मेरे लिए मुसीबत से कम नहीं. मैं प्रोग्रामर ही ठीक था. खैर दो दिन के बाद मुझे रवाना होना था. हार्डवेयर की टीम पहले ही जा चुकी थी. दो हार्डवेयर के बन्दे भी मेरे साथ जाने वाले थे.

अगले शनिवार को हमलोग रवाना होने वाले थे, ताकि रविबार को हमलोग साईट को अच्छी तरह से देख ले. ऑफिस की कार हमे पहुचने वाली थी. तय समय पर हम रवाना हुए. मेरा दिल किसी चीज में नहीं लग रहा था. समझ में नहीं आ रहा था की किस झंझट में आ फंसा. खैर तीन घन्टे के सफ़र के बाद हम फैक्ट्री के जगह पर पहुंचे. फैक्ट्री काफी फैला हुआ था. बड़ी-बड़ी मशीन लगी हुई थी. सब काम पर लगे हुए थे. ऑफिस की बाकी टीम से भी मुलाकात हुई. फिर मैंने जगह का जायजा लेने के लिए काम कर रहे एक आदमी को बुलाया जो वहां का स्थानीय था. उसने बताया की यह जगह 20-25 साल पहले बिल्कुल वीरान था, कुछ गाँव वाले ही रहते थे. बाद में हाईवे के नजदीक होने के कारण यूपी-एमपी के ड्राईवर काफी तादाद में बस गए है. जमीन हालाँकि अभी भी बंजर ही है. खेती-बारी कुछ होती नहीं है. लोग या तो गाड़ी चलाते है या किसी फैक्ट्री में काम करते है. आस-पास कई फैक्ट्री, कारखाने है. इस पिछड़े जगह में एक महीने रहने की बात सोचकर ही मेरा दिल बैठ गया. लेकिन मरता क्या ना करता. अब रहना है तो रहना है.

मैंने अपना बैग रखा और ऑफिस के एक बन्दे को बुलाकर पूछा, “हमलोगों के ठहरने का क्या इन्तेजाम हुआ है?”

वह बंदा थोड़ा घबराया सा लग रहा था. डरते-डरते बोला, “वो सर यहाँ कोई होटल बगैरह तो है नहीं इसलिए क्लाइंट ने ऑफिस के ही उपरी माले हो हमारे रहने के लिए तैयार किया है.”

“सारा इन्तेजाम किया हुआ है ना?” मैंने पूछा.

वह थोड़ी देर मेरी और देखा फिर जबाब दिया, “हाँ सर” जैसे अपनी बात पर खुद को ही भरोसा नहीं है. मै किसी अच्छी खबर का इंतज़ार तो नहीं कर रहा था. जो भी हो, ये एक महीने तो गुजरने ही है.
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RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड - by desiaks - 10-08-2020, 12:48 PM

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