RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
लेकिन वह मुझे इतनी आसानी से छोड़नेवाली नहीं थी. मेरे सामने खड़ी कुसुम की नज़र मेरे बॉक्सर के उभरे हिस्से पर थी. साड़ी के पल्लू को चढ़ाते हुए बोली, “बातचीत तो ठीक है साहब लेकिन अकेले में कसकर पकड़ना तो कुछ और बात है. कल तो दीदी आपके लंड की मालिश कर रही थी”
यह औरत अब बिल्कुल नंगेपन पर उतर आई थी. मै टालने के इरादे से बोला, “तो तुमको क्या? तुम आपना काम करो समझी?” मेरी आवाज में गुस्सा तो था लेकिन दिल में डर भी था अगर ये हवेली में हल्ला मचा दे तो मेरा रहना मुश्किल हो जायेगा और अगर ऑफिस में बात पंहुच गई तो हद से ज्यादा बदनामी होगी.
मेरे तेवर देख कुसुम थोड़ा सहम गयी. अपने हाथो को मलते हुए बोली, “मैं कहाँ किसी को बोलने जा रही हूँ. आप तो बेकार में नाराज़ हो रहे है”
मुझे समझ में नहीं आ रहा कि आखिर ये औरत चाहती क्या है. मै पूछा, “तुम आखिर चाहती क्या हो?”
अब कुसुम की हिम्मत बढ़ गयी. मेरे इतने करीब आ गयी कि उसकी छाती मेरे सीने से चिपक गई. मेरी नंगी पीठ को सहलाते हुए बोली, “साहब आप जो प्रसाद लाली दीदी को देते हो उसका कुछ हिस्सा मुझे भी दिया करो ना. वैसे कितनी बार आपने दीदी की ली है?”
अब मैं भी खुल गया, बोला, “कहाँ कुसुम, सिर्फ एक बार लाली ने मेरा मुठ मारा था जो तुमको पता है.”
यह सुनकर वह जोरसे ठहाके मार हंसने लगी. “इसका मतलब है की आपने सिर्फ रसगुल्ला को देखा, ना तो उसे दबाया, ना ही चूसा और ना ही खाया!”
उसकी हंसी से मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था. यहाँ सब चूत खोल के बैठी है और मैं लंड पकड़ के बैठा हूँ. सच में बहुत बड़ा चुतिया हूँ.
अपनी हंसी को रोकने के बाद कुसुम बोली, “साहब दिल छोटा क्यों करते हो? चलो आज मैं तुमको रसगुल्ला के साथ गुलाब जामुन भी खिलाऊँगी. पहले मैं देख तो लूँ कि मेरे साहब का खीरा कैसा है” वह मेरा बॉक्सर उतारने लगी.
लेकिन तभी मुझे लाली की बात याद आ गयी, कहीं यह औरत मुझे बाद में ब्लैकमेल तो नहीं करेगी? मैंने कुसुम की हाथ को पकड़ रोक दिया.
वह मुझे अचरज से देखने लगी. मैं बोला, “आखिर तुम चाहती क्या हो? यह सब से तुम्हे क्या मिलेगा?”
वह बॉक्सर के ऊपर से ही लंड को मसले जा रही थी. उसकी आँखों में चुदास थी. गहरी आवाज में बोली, “साहब तुम खाना क्यों खाते हो?” अब ये ‘आप’ से ‘तुम’ पर आ गयी थी.
मैंने कहा, “भूख मिटाने के लिए”.
कुसुम होंठो को मेरे करीब लाते हुए बोली, “मैं भी अपने बदन की भूख मिटाने के लिए यह सब कर रही हूँ. मुझे जोरो की भूख लगी है.”
मैं खामोश रहा. कुसुम मेरे सर को पकड़ कर झुका दी ताकि उसके करीब आ सकूँ और मेरे होंठो को अपने होंठो से चिपका दी. कुछ देर वह मेरे होंठो को ऊपर से ही चूसने लगी फिर जैसे ही मैंने मुँह खोला, वह मेरे मुँह के अन्दर जीभ डाल दी. मैं उसकी जीभ को लोल्लिपोप की तरह चूसने लगा. हम दोनो के लार आपस में घुलकर एक नया स्वाद पैदा कर रहा था. कुसुम मेरी नंगी पीठ को कसकर पकडे थी और मैं उसकी गांड का दोनों हाथो से जायजा ले रहा था. उसकी गांड इतनी नरम थी की मेरी उँगलियाँ उसमे धंसने लगी.
तभी मेरा ध्यान दरवाजे की तरफ गया, जो खुला था. बाहर जोर से बारिश हो रही थी, जैसे आज ही सारा पानी बरसने वाला है.कुसुम मुझे बेतहासा चूमे जा रही थी. मैंने उसे अलग किया हो मेरी ओर देखने लगी. मैंने कहा, “पहले दरवाजा तो बंद कर ले”.
वह मुझे वापस बाँहों में जकड़ बोली, “छोडो ना साहब, इतनी बारिश में यहाँ कौन आएगा? यहाँ तो आप अकेले रहते हो.”
बात तो सही है लेकिन फिर भी मुझे अजीब लग रहा था इस तरह दरवाजा खोल कर सेक्स करना!
हम दोनों के बदन आपस में उलझ गये. मेरा लंड बॉक्सर में तना हुआ था और कुसुम के मम्मे उसकी ब्लाउज में तने हुए थे. लेकिन हमारे होंठ चिपके रहे. लगभग दस मिनट तक चुम्मा-चाटी के बाद कुसुम ने मुझे धकेल दिया मेरे छोटे बिस्तर पर. मेरा बिस्तर एक पलंग पर बिछा था जो सिर्फ एक इंसान के सोने के लिए था. बिस्तर पर पड़ा मैं कुसुम को हैवानियत भरी नज़रों से देख रहा था. कुसुम ने अपनी साड़ी उतार दी और मेरे पैरों के पास आ खड़ी हो गयी. ख़ुदा कसम क्या कयामत लग रही थी! काले रंग के ब्लाउज में कसा गोरा बदन बड़े बड़े संतो का दिमाग घुमा दे, मैं तो फिर भी आम इन्सान हूँ.
उसका पेटीकोट छोटा था जो सिर्फ घुटनों के कुछ इंच नीचे तक ही आता था. कुसुम एक बार दरवाजे की ओर देखी फिर मेरे पैरों के पास बैठ गयी. मैं प्यास भरी नज़रों से उसको देखने लगा. मेरा बॉक्सर अब तम्बू में तब्दील हो चूका था. वह दायें हाथ से लंड को सहलाने लगी और बाएं हाथ से मेरी जांघ को. जीभ से अपने होंठो को चाटते हुए बोली, “साहब, अब तुम्हारा हथियार देख लूँ. औरतों के लायक है या बच्चियों के खेलने के” और एक ही झटके में बॉक्सर उतार दी.
मेरा लिंग किसी ताड़ के पेड़ की तरह सर उठाये खड़ा था. मैंने उसको छेड़ने के इरादे से कहा, “क्यों रानी, कैसा है मेरा हथियार?”
कुसुम बिना कुछ बोले मेरे अन्डो को सहलाने लगी. बीच-बीच में वह अण्डों को जोर से दबा देती थी और मेरी सिसकारी निकल जाती. मेरे ऊपर झुकते हुए कुसुम बोली, “तुमने किसी औरत की चूत पर मुँह मारा है?”
मेरी नज़र तो ब्लाउज से झाकते मम्मो पर थी. मैने हाँ में सर हिलाया.
अचानक वह उठ खड़ी हुई और बाथरूम के अन्दर चली गयी. मैं नंगा खड़े लंड लिए बिस्तर पे पड़ा सोचने लगा कि आखिर यह हुआ क्या? लगभग पांच मिनट के बाद कुसुम बाथरूम से बाहर आई तो मैं हैरान था. वह बिना पेटीकोट के थी. चौड़ी नितम्बों के बीच में झांटो से ढकी चूत से पानी टपक रहा था. मेरे सवालिया नज़रों से घूरने पर थोड़ा शरमाते हुए बोली, “वो क्या है ना साहब, आज तक किसी ने मेरी चूत पे मुँह नहीं मारा. मेरी बड़ी इच्छा है की कोई मेरी चूत को चुसे चाटे. इसलिए इसको धोने गयी थी.”
मेरी हंसी निकल गयी. एक कुसुम है जो मुझे धोकर चूत परोस रही है और एक सोमलता है जो पेशाब करने के बाद सीधे मेरे मुँह पर बैठ जाती है. मैं खड़ा हो गया और कुसुम को बाँहों में जकड़ने के बाद उसके होंठो को चूमने लगा. साथ ही साथ उसकी चूत को मसलने भी लगा. कुसुम अब मेरी बाँहों में छटपटाने लगी. मैंने उसको बिस्तर पर लेटाया और उसकी टांगो के बीच बैठ गया. उसकी चूत की फांको को अलग कर जीभ डाल दी.
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