RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
अचानक उसका शरीर ऐंठ गया और बुरी तरह कांपने लगा, फिर शांत हो गया. मेरे लंड पर रस की बारिश कर वह तो झड़ गयी लेकिन मेरा अभी तक खड़ा था. कुछ और धक्को के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया और उसके उपर निढाल हो गया. कुसुम का बदन बिल्कुल शांत था जैसे की उसमे जान ही नहीं हो. मैं उसको तंग करना ठीक नहीं समझा और उसकी ओर करवट ले सो गया. थकान और मस्त चुदाई के कारण जल्द ही गहरी नींद में चला गया.
पक्षियों की चहचहाहट ने मेरी नींद तोड़ दी. बिस्तर पर मैं अकेला था, पता नहीं कुसुम कब उठी और चली गयी. घड़ी की सुइयां सुबह के छह बजा रही थी. बारिश थम गयी थी लेकिन आसमान में अभी भी घना बदल था. कल रात हमने दरवाजा बंद नहीं किया था. अचानक बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आई. कुछ देर बाद कुसुम बाथरूम से निकली. उसकी बदन पर कोई कपड़ा नहीं था. मुझे अपनी और घूरते देख सकपका गयी. मारे शर्म के अपनी मम्मों और चुत को दोनों हाथों से छिपाने की कोशिश की.
मैं उसको देख मुस्कुराते हुए बोला, “रात को नींद अच्छी हुई?”
कुसुम बाहर की और देखते हुए बोली, “साहब, दरवाजा बंद कर दो ना. सुबह हो गयी है”
मैं भी नंगा ही था. उठकर दरवाजा बंद किया, तब तक कुसुम पेटीकोट पहन ली. मैं उसके सामने खड़ा हो गया और उसकी कमर को पकड़ अपने करीब खींच लिया. कसमसाते हुए खुद को मुझसे अलग करना चाहती तो थी लेकिन मेरी पकड़ के आगे हारकर बोली, “साहब, ऐसा मत करो ना, जाने दो मुझे. सुबह हो गयी है. मेरी बहन परेशां होगी घर पर”
उसकी गर्दन को चुमते हुए मैं बोला, “तुम्हारी बहन ठीक होगी. तुम चिंता मत करो. कल रात को ठीक से तुम्हे देखा नहीं था. आज तो देखने दो.”
मेरी बात सुन कुसुम शर्म से लाल हो गयी. रात की बात अलग है, लेकिन दिन के उजाले में अपनी जिस्म की नुमाइश करने मैं हर औरत थोड़ी-बहुत तो जरूर शर्माएगी. मैं पीछे हट कर उसको घूरने लगा. बेचारी कुसुम शर्म से जमीन में गड़े जा रही थी. सर की झुकाकर बेचारी नाख़ून से फर्श को खरोंचने लगी.
मैं धीरे धीरे उसके पास गया और दोनों कन्धो से पकड़ अपने करीब खींच लिया. कुसुम की निगाहें अभी भी जमीन पर गड़ी थी. मरे शर्म के मुझसे नज़र नहीं मिला पा रही थी. एक बार मेरी और देखने के बाद फिर से नज़र झुकाकर उसने पेटीकोट को ऊपर खिसकाकर छाती के ऊपर बांध ली. मैंने कुसुम को बाँहों में जकड़कर उसकी गर्दन और कान को चूमने लगा. धीरे-धीरे कुसुम भी गर्माने लगी.
मुझे जकड कर मेरी छाती में मुंह गड़ा “ऊन्ह्ह्ह.....हम्म्म्म....उन्ह्ह्हूँ” की आवाज निकलने लगी.
मेरा लिंग जो वैसे ही सुबह-सवेरे खून से भरा था और चूत के अन्दर जाने को बेताब था. और ज्यादा देर करना बिल्कुल गलत था इसलिए मैं कुसुम को पलट कर दीवाल के सहारे खड़ा कर दिया और पेटीकोट ऊपर उठा उसकी चूत के मुंह पर लिंग को रख कर एक हल्का धक्का मारा. कुसुम के मुंह से “इस्सस्स्स” की एक तेज़ आवाज के साथ पूरा जिस्म थरथरा गया.
मैं कुछ सेकंड के लिए रुक गया और उसकी चुचियों का मर्दन के साथ-साथ उसकी गर्दन और पीठ को चूमने लगा.
अबकी बार कुसुम के मुंह से सिसिकारी के आलावा भी कुछ निकला. मेरी और घूमकर बोली, “साहब, आप एकदम फ़िल्मी हीरो जैसे प्यार करते है”
मेरी हंसी निकल गयी. दोनों के होंठ मिल गये और हम जीभ से एक दुसरे के हलक की गहराई मापने लगे. दोनों के लार आपस में घुलकर बड़ा मजेदार स्वाद दे रहा था.
कुसुम पेटीकोट को छोड़ दोनों हाथों से दीवार पकड़ ली. उसकी चूचियां सुबह की ठण्ड की वजह से सख्त हो गयी थी. मैंने चुमना जारी रखते हुए एक बांह से कसकर उसकी कमर को लपेट लिया और दूसरी हाथ से उसकी चुचियों को मसलने लगा.
चुचियों के निप्पल को दो उँगलियों के बीच फँसाकर मरोड़ा था कि कुसुम की साँस अटक गयी. होंठों को मुझसे अलग कर जोर जोर से हिचकी लेने लगी. मैं चोदना छोड़ कुसुम की पीठ को सहलाने लगा लेकिन उसकी हिचकी है कि थम ही नहीं रही. हारकर मैं उसको पकड़ कर बिस्तर पर बैठाया और पानी पीने को दिया. पानी पीने के बाद वह सहज हुई और शर्माती हुई मुझे देखने लगी मानो खुद से कोई शर्मिंदगी का काम हो गया हो.
मैं जैसे उसके करीब गया, उसकी आँखें बंद और होंठ खुल गये जैसे मुझे आमंत्रण दे रही हो कि आओ और मेरे होंठो का रस चखो. कुसुम को कन्धों से पकड़ कर उसकी खुली होंठो को अपनी होंठो से लगा उसकी रसदार जीभ को चूसने लगा. बिना होंठो को अलग किये धीरे से उसको बिस्तर पे लिटा कर मैं उसके ऊपर आ गया. कुछ सेकंड की चुम्मी के बाद मैंने पाया कि कुसुम मेरे लंड को सहला रही है, जो उसकी मुलायम हाथ के प्यार पा और ज्यादा अकड़ गया था.
मैं कुसुम के हाथ से लंड ले उसकी चूत के मुहाने पर लगाकर आगे-पीछे रगड़ने लगा. वह बेकरारी के मारे कमर को आगे पीछे करने लगी.
समझदार को इशारा काफी है. मैंने अपने शरीर का पूरा वजन अपने लंड पर दाल दिया और मेरा लंड सरसराते हुए उसकी चूत के अन्दर तक चला गया. इसके साथ-साथ मेरे टट्टे उसकी गांड से चिपक गये. उसकी कमर को पकड़ कर मैं जोर-जोर से झटके देने लगा जिसने उसकी जिस्म को झकझोर कर रख दिया.
हमारे चुम्मी की लय टूट गयी और कुसुम अब जोर जोर से सीत्कार करने लगी. उसकी बदन के रोंये कांटे के जैसे खड़े थे और कांप रहे थे. मैं समझ गया कि यह अब जल्द ही झड़ने वाली है. मैंने उसकी दोनों टांगो को अपने कंधे के सहारे सीधा कर कमर पकड़ जोरदार धक्का मरना चालू किया.
मेरे धक्को के जोर से बिस्तर बुरी तरह से हिल रही थी. कुसुम अपने सर को जोर से पटक रही थी और उसकी सीत्कार अब चीत्कार में बदल गयी थी, “हैईईईईई.... माई रीईईईईई.... फट गयी रे ऐ... हाय रेरेरे.....”
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