RE: Hindi Antarvasna - Romance आशा (सामाजिक उपन्यास)
इससे पहले कि आशा कोई प्रक्रिया जाहिर कर पाती मुट्ठी खुल गई । हाथ अपने स्थान से हट गया । और फिर जेपी हो हो कर के हंसने लगा ।
आशा ने एक जलती हुई दृष्टि जेपी के लाल सुर्ख चेहरे पर डाली और फिर निगाहें झुका लीं ।
जेपी का भारी हाथ कड़ाक से अशोक की पीठ पर पड़ा और वह ऊंचे स्वर से बोला - “बाई गाड, बेटे, जिन्दगी में यही एक ढंग का काम किया है तूने । मैं तेरी पसन्द की दाद देता हूं । इसका क्या नाम बताया था तुमने ।”
“आशा ।” - अशोक प्रसन्न स्वर से बोला । प्रत्यक्ष था बाप को प्रसन्न देखकर वह भी प्रसन्न था ।
“हां, आशा ।” - जेपी आशा की ओर घूरता हुआ बोला - “देखो आशा, अशोक की मां इसके बचपन में ही मर गई थी । एक जमाने से हम दोनों बाप बेटे तनहा जिन्दगी यूं गुजर रहे हैं । एक जमाने के बाद हमारे दो प्राणियों के परिवार में एक तीसरे प्राणी की वृद्धि होने वाली है । तुम्हारी अशोक से शादी हो जाने के बाद तुम्हारी एक ही ड्यूटी होगी कि तुम हमारे परिवार को इतना बढाकर दो कि बरसों से अकेलेपन का जो अहसास हमारे दिलों में घर बनाये हुए है, वह निकल जाये । शादी के बाद तुमने हर साल परिवार में एक नये सदस्य के आगमन का इन्तजाम करना है ।”
और वह फिर यूं बेहताशा हंसने लगा जैसे उसने भारी मजाक की बात कर दी हो ।
तब तक आस पास खड़े कितने ही लोग जेपी अशोक और आशा की और आकर्षित हो गये थे और केवल इसलिये जेपी से भी ऊंची आवाज में हंस रहे थे क्योंकि जेपी हंस रहा था ।
“लेडीज एण्ड जन्टलमैन” - एकाएक जेपी उच्च स्वर से बोला - “मेरे बेटे की होने वाली पत्नी से मिलिये ।”
“लेकिन साहब, मैं...” - आशा ने कहना चाहा । लेकिन कौन सुनता था । लोग चिल्ला रहे थे, जेपी को बधाई दे रहे थे, तालियां बजा रहे थे, अशोक से जबरदस्ती हाथ मिला रहे थे ।
उसी क्षण किसी ने विस्की का एक गिलास जबरदस्ती आशा के हाथ में थमा दिया ।
“टोस्ट फार दि ब्राइड ।” - कोई उच्च स्वर से बोला । कई गिलास आशा के हाथ गिलास से टकराये । गिलास आशा से छूट छूट गया ।
“पियो ।” - जेपी ने आदेश दिया ।
“म-मैं-मैं ।” - आशा हकलाई । उसकी आंखों में आंसू भर आये ।
“आशा शराब नहीं पीती ।” - अशोक बोला ।
“फिर क्या हुआ ? पहले नहीं पीती, तो अब पीने लगेगी ।” - जेपी लापरवाही से बोला - “बड़े लोगों में रहेगी तो बड़े लोगों जैसे काम भी तो करेगी ।”
उसी क्षण फ्लैश लाइट के तीव्र प्रकाश से आशा की आंखें चौंधिया गई ।
आंखों से चौंधियाहट हटी तो उसे अपेन सामने फिल्मी धमाका का एडीटर देवकुमार दिखाई दिया । उसके गले में कैमरा लटक रहा था और वह आशा को देखकर बड़े अर्थपूर्ण ढंग से मुस्करा रहा था ।
अशोक ने आशा के हाथ से विस्की का गिलास ले लिया और मेज पर रख दिया ।
“मेरी भी तसवीर खींची है क्या, धमाका भाई ?” - जेपी ने देवकुमार से पूछा ।
“आपकी तसवीर ही तो फिल्मी धमाका की रौनक है, बड़े सेठ ।” - देवकुमार अपना चश्मा ठीक करता हुआ बोला - “कल फिल्मी धमाका में ऐसी दुकान फाड़ न्यूज छपने वाली है और साथ में आपकी तसवीर भी होगी । कल फिल्मी धमाका में बैनर हैडलाइन्स में यह न्यूज होगी - फिल्म वर्ल्ड्स ग्रेटैस्ट शो मैन्स ओनली सन ऐन्गेज्ड टु मैरी ए स्टैनो टाइपिस्ट ।”
“स्टेनो टाइपिस्ट !” - कई स्वर एक साथ चिल्ला पड़े ।
“करोड़पति सेठ जेपी की होने वाली बहू” - देवकुमार यूं बोला जैसे अपने अखबार की सुर्खियां पढ रहा हो - “फेमससिने बिल्डिंग में फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर सिन्हा की सैक्रेट्री है ।”
“हां ।” - जेपी गर्जकर बोला - “लेकिन रहेगी नहीं । करोड़पति ही होगी । सिन्हा के दफ्तर में आज आशा का आखरी दिन था । कल आशा नौकरी छोड़ रही है ।”
“नहीं ।” - आशा तीव्र विरोधपूर्ण स्वर से चिल्लाई । लेकिन नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता था ।
“अब आशा चाहेगी तो सिन्हा जैसे लोग उसकी नौकरी करेंगे ।”
और जेपी फिर सोफे पर ढेर हो गया । उसकी गंजी खोपड़ी पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं । किसी ने उसके हाथ में विस्की का नया गिलास थमा दिया ।
“भई, हम तो तुम्हारी पारखी नजर के कायल हो गये आज ।” - कोई अशोक को कह रहा था - “क्या हीरा खोज कर निकाला है । तुम्हारी बीवी बनने के काबिल कोई लड़की बम्बई में है तो यही है । फिल्म उद्योग की सारी नई पुरानी अभिनेत्रियां इसके सामने घसियारने लगती हैं ।”
|