Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
10-18-2020, 06:31 PM,
#22
RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
तभी राज ने अपने पहलू में हरकत महसूस की । उसने उधर सिर उठाकर देखा तो पाया कि डॉली कि आंखें बन्द थीं, उसके चेहरे की रंगत उड़ी हुई थी और उसका शरीर एकाएक धनुष की तरह तन गया था ।
क्या माजरा था ? - राज ने मन-ही-मन सोचा - ये लड़की ‘खास खबर’ से खौफजदा थी या पायल से इसे इतनी नफरत थी कि इसे उसकी आमद गवारा नहीं थी ?
एकाएक डॉली एक झटके से उसके पहलू से उठी और लम्बे डग भरती हुई बार की तरफ बढ चली । वहां पहुंचकर उसने विस्की की एक बोतल उठाई और उससे एक गिलास तीन चौथाई भर लिया । बाकी की खाली की जगह को उसने बर्फ से भरा और गिलास को अपनो होंठों से लगाया । फिर कुछ सोचकर बिना चुस्की मारे ही उसने गिलास को वापिस काउन्टर पर रख दिया । फिर वो लम्बे डग भरती हुई अर्धवृताकार सीढियों की ओर बढी और ऊपर कहीं जाकर निगाहों से ओझल हो गयी ।
किसी की उसकी तरफ तवज्जो नहीं थी ।
फिर लाउन्ज में धीरे-धीरे वातावरण शान्त होने लगा । बुलबुलें खास खबर के जलाल से उबरने लगीं ।
“अब ये तो बताओ” - शशिबाला बोली - “तुम्हें खास खबर की खबर कैसे है ? कैसे मालूम है कि रानी मक्खी आ रही है ?”
“उसने खुद खबर की है ।” - सतीश बोला - “आज दोपहर को उसने खुद मुझे पायर के पब्लिक टेलीफोन से फोन किया था ।”
“यानी कि” - फौजिया बोली - “वो आइलैंड पर पहुंच भी चुकी है ?”
“हां । लेकिन उसे ईस्ट एण्ड पर कोई इन्तहाई जरूरी काम था जिसकी वजह से वो फौरन यहां नहीं आ सकती थी । कहती थी वो अपने उस काम से आधी रात से पहले फारिग नहीं होने वाली थी ।”
“उसे यहां आइलैंड पर काम था ।” - आलोका हैरानी से बोली - “यानी कि उसे तुम्हारी पार्टी का दावतनाम यहां नहीं लाया था ?”
“वो भी लाया था लेकिन उसे कोई और भी निहायत जरूरी काम यहां था ।”
“दैट्स ऐग्जैक्टली लाइक अवर गुड ओल्ड पायल पाटिल ।” - ज्योति तनिक तल्खी से बोली - “हमेशा एक पंथ दो काज की फिराक में रहने की उसकी आदत लगता है आज भी नहीं बदली ।”
“उसकी कोई भी आदत नहीं बदली ।” - सतीश बोला - “वही बात करने का तुनकमिजाज अन्दाज । वही घण्टी-सी बजाती खनकती आवाज । वही मेरी बला से एण्ड हैल विद एवरीबाडी वाला रवैया । सब कुछ वही । कहती थी सात साल में उसकी सूरत-शक्ल तक में कोई तब्दीली नहीं आयी ।”
“लक्की बिच !” - आयशा ईर्ष्यापूर्ण स्वर में होंठों में बुदबुदाई ।
“पायल कहती थी” - सतीश बोला - “कि वो अपने जरूरी काम से आधी रात के बात किसी वक्त फारिग होगी लेकिन रात दो बजे वो निश्चित रूप से पायर के बुकिंग आफिस के सामने मौजूद होगी जहां से कि मेरी हाउसकीपर वसुन्धरा उसे लिवा लायेगी ।”
“फिर तो” - ज्योति बोली - “रात ढाई बजे से पहले तो वो क्या यहां पहुचंगी ?”
“तभी तो बोला कि तुम लोगों से उसकी मुलाकात कल सुबह ब्रेकफास्ट पर ही हो पायेगी ।”
“जब आ ही रही है” - आयशा लापरवाही से बोली - “तो मुलाकात की जल्दी क्या है । भले ही वो ब्रेकफास्ट की जगह लंच पर हो या डिनर पर हो ।”
“वो कहती है वो यहां रुक नहीं सकती, दोपहर तक उसने वापिस लौट जाना है ।”
“कमाल है !” - शशिबाला बोली - “इतनी बिजी कैसे हो गयी हमारी पायल, जो घण्टों में अप्वायन्टमैंट देने लगी ।”
“घन्टों में कहां” - ज्योति बोली - “मिनटों में ।”
“यानी कि वो बुलबुलों की अपनी पुरानी टोली से मिलने नहीं” - फौजिया बोली - “हमें अपने दर्शनों से कृतार्थ करने आ रही है ।”
“अवर ओन क्वीन विक्टोरिया ।” - आलोका बोली ।
“वो हमारे साथ ऐसे पेश नहीं आ सकती ।” - सतीश बोला - “जरूर सच में ही उसकी कोई प्राब्लम होगी जिसकी बाबत कल ब्रेकफास्ट पर हम उससे पूछेंगे ।”
“यानी कि” - आयाशा बोली - “रात को जागकर उसका कोई इन्तजार नहीं करेगा ?”
“वो किसलिये ?” - सतीश बोला ।
“उसकी आरती उतारने के लिये ।”
“ख्याल बुरा नहीं ।” - ज्योति बोली - “अब क्योंकि सुझाव तुम्हारा है इसलिये तुम्हीं आरती लेकर तैयार रहना रात ढाई बजे ।”
“उहूं ।” - आयशा ने उपेक्षा से मुंह बिचकाया ।
“कोई और वालंटियर बुलबुल” - सतीश उपहासपूर्ण स्वर में बोला - “जो इस सर्विस के लिये खुद को आफर करना चाहती हो ?”
किसी ने जवाब न दिया ।
“नैवर माइन्ड ।” - सतीश हंसता हुआ बोला - “मेरी नाजुक बदन बुलबुलें कितनी आरामतलब हैं, मैं क्या जानता नहीं ! बहरहाल स्वागत की तमाम औपचारिकतायें अपनी वसुन्धरा बखूबी निभा लेगी ।”
सब ने चैन की सांस ली ।
“अब मैं अपने स्पैशल गैस्ट मिस्टर राज माथुर की बाबत भी आपका सस्पेंस दूर कर देना चाहता हूं ।”
“उसमें क्या सस्पेंस है, सतीश !” - ज्योति बोली - “तुमने बताया तो था कि मिस्टर माथुर वकील हैं ।”
“हां । लेकिन ये नहीं बताया था कि वो यहां क्यों आये हैं ? माई स्वीट हार्ट्स, तुम लोगों की जानकारी के लिये मिस्टर माथुर सालीसिटर्स की उस फर्म के प्रतिनिधि हैं जो कि दिवगंत श्याम नाडकर्णी की एस्टेट के ट्रस्टी हैं ।”
“तो ?”
“तो ये कि इन पर पायल को ढाई करोड़ रुपये की ट्रस्ट की रकम सौंपने की जिम्मेदारी है ।”
फौजिया के मुंह से सीटी निकल गयी, फिर वो नेत्र फैलाकर बोली - “सात साल में ट्रस्ट की रकम बढ़कर ढाई करोड़ हो गयी है ?”
“हां ।”
“ये रकम” - आलोका हैरानी से बोली - “मिस्टर माथुर साथ लाये हैं ?”
“साथ नहीं लाये” - सतीश बोला - “लेकिन पायल को मिस्टर माथुर वो रकम इनके बम्बई में स्थित आफिस में आकर कलैक्ट करने की पेशकश करेंगे ।”
तभी जैसे जादू के जोर से एकाएक तेज हवायें चलने लगीं और बरसात होने लगी ।
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RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली - by desiaks - 10-18-2020, 06:31 PM

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