RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“क्या ?” - सब-इंस्पेक्टर आशापूर्ण स्वर में बोला ।
“अब मैं क्या बताऊं । आयशा, तू बता ।”
“हां ।” - सतीश ने भी समर्थन किया - “आयशा को बताने दो ।”
राज ने महसूस किया कि जो बात प्रत्यक्षतः शशिबाला और सतीश के जेहन में थी, उससे आयशा ही नहीं, बाकी लड़कियां भी नावाकिफ नहीं थीं लेकिन हर कोई उस बात के जिक्र का जिम्मा अपने सिर लेने से कतराती मालूम हो रही थी इसीलिये हर किसी ने सतीश की बात का पुरजोर समर्थन किया ।
आयशा ने सहमति में सिर हिलाया, एक गहरी सांस ली और फिर कठिन स्वर में बोली - “मिस्टर सतीश की सात साल पहले की वो रीयूनियन पार्टी, जिसमें पायल ने आखिरी बार हमारे साथ शिरकत की थी और जिसकी कि ये चन्द तस्वीरें हैं यहां नहीं हुई थी, वो पणजी से कोई चालीस किलोमीटर दूर डोना पाला बीच के एक उजाड़ हिस्से में बने एक पुर्तगाली महल में हुई थी जिसे कि कोई डेढ सौ साल पहले, जबकि गोवा पुर्तगाल के अधिकार में था, तत्कालीन पुर्तगाली गर्वनर का आवास बताया जाता था । तब पायल की श्याम नाडकर्णी से शादी हुए अभी तीन महीने ही हुए थे इसलिये सात साल पहले की उस रीयूनियन पार्टी में वो अपने पति को साथ लेकर आयी थी । दोनों आपस में इतने खुश थे और अपनी खुशियों में इतनी जल्दी उन्होंने हमें भी शरीक कर लिया था कि एक तरह से उस बार की पार्टी उनके सम्मान में दी गयी पार्टी बन कर रह गयी थी । बहुत अच्छा माहौल रहा था, बहुत एन्जाय किया था, हम सबने, सब कुछ बहुत ही बढिया चला था, सिवाय इसके कि श्याम नाडकर्णी ने बोतल के जरा ज्यादा ही हवाले होना शुरु कर दिया था ।”
“ड्रिंकिंग चौबीस घण्टे का मेला बन गया था तब उसका ।” - शशिबाला बोली - “लंच, ब्रेकफास्ट, डिनर सब विस्की की जुगलबन्दी से ही चलता था ।”
“इसलिये” - आयशा बोली - “उस शाम को भी वो पूरी तरह से टुन्न था जब कि वो.. वो वारदात हुई ।”
“क्या वारदात हुई ?” - सब-इंस्पेक्टर बोला ।
आयशा ने बेचैनी से पहलू बदला और फिर बोली - “उस शाम को वो बहुत पी चुका था और अभी और पी रहा था । जश्न का माहौल था इसलिये किसी ने उसे रोका भी नहीं । काफी देर रात तक उस रोज जाम चले थे । फिर महफिल बर्खास्त होने लगी तो पाया गया कि नाडकर्णी हम लोगों के बीच में नहीं था । तब यही सोचा गया था कि इधर-उधर कहीं होगा, आ जायेगा । लेकिन काफी रात गये तक भी जब वो न लोटा तो पायल का कलेजा मुंह को आने लगा । हम सबने पायल के साथ उसे आसपास तलाश करने की कोशिश की तो वो मिला नहीं । हमने यही सोचा कि नशे में वो बीच पर कहीं निकल गया था और फिर बीच पर ही कहीं उंघ गया था । पायल का फिक्र से बुरा हाल था । हम सबने उसे यही तसल्ली दी कि उसका पति जहां भी था, ठीक था, नशा टूटेगा तो शर्मिन्दा होता अपने आप लौट आयेगा लेकिन वो न लौटा । असल में क्या हुआ था, उसकी खबर तो हमें अगले दिन लगी ।”
“आगे बढिये ।” - आयशा को खामोश होती पाकर सब-इंस्पेक्टर उतावले स्वर में बोला ।
“महल से दो किलोमीटर दूर समुद्र तट पर एक पहाड़ी थी जिसकी चोटी एक बाल्कनी की तरह ऐन समुद्र पर झुकी हुई थी और जिसका ख्याल इत्तफाक से ही हमें आ गया था । असब में वो उस पहाड़ी पर से समुद्र में जा गिरा था और... और...”
आयशा ने बड़े विवादपूर्ण भाव से गरदन हिलायी ।
“ओह !”
“साफ पता लग रहा था कि वो चोटी पर कहां से नीचे गिरा था । गिरने से पहले चोटी के दहाने पर उगी झाड़ियों की कुछ टहनियां उसके हाथ में आ गयी थी लेकिन वो टहनियां इतनी मजबूत न निकलीं कि उसके जिस्म का भार सम्भाल पातीं । नतीजतन टहनियां टूट गयीं और वो नीचे समुद्र में जाकर गिरा । उस रोज समुद्र उफान पर था जो कि लाश को पता नहीं कहां से कहां बहाकर ले गया ।”
“यानी कि लाश बरामद नहीं हुई थी ?”
“न । पुलिस ने, कोस्टल गार्डस ने, मिस्टर सतीश के एंगेज किये दक्ष मछुआरों ने दूर-दूर तक समुद्र को खंगाला था लेकिन लाश बरामद नहीं हुई थी ।”
“आई सी ।”
“सच पूछो तो” - शशिबाला दबे स्वर में बोली - “पायल के पति की जान समुद्र ने नहीं, शराब ने ली थी । वो समुद्र में नहीं, शराब में डूब के मरा था ।”
“उस वारदात का” - सतीश बोला - “पायल के दिल पर बहुत बुरा असर हुआ था । वो जल्दी ही बम्बई वापिस लौट गयी थी और बड़ी तनहा जिदगी गुजारने लगी थी । कोई तीन या चार महीने ही कहते हैं कि वो बम्बई में कफ परेड की एक आलीशान इमारत मे स्थित अपने पति के फ्लैट में रही थी, फिर एक दिन उसने तमाम नौकरों-चाकरों को डिसमिस कर दिया था और खुद भी वहां से कूच कर गयी थी ।”
“कहां ?”
“क्या पता कहां । मैं हर साल उसे रीयूनियन पार्टी के निमंत्रण की टेलीग्राम भेजता था लेकिन उसके जवाब में न कभी वो आयी, न कभी उसका कोई सन्देशा आया । सिवाय इस बार के । कल दोपहर को जब उसका फोन आया था और उसने कहा था कि वो आइलैंड पर पहुंची हुई थी तो यकीन जानो, मैं खुशी से उछल पड़ा था । आखिर साल साल बाद, पूरे सात साल बाद मेरी एक खोई हुई बुलबुल ने मेरे से सम्पर्क किया था । मिस्टर पुलिस आफिसर, मेरी उतावला होने की उम्र नहीं लेकिन मैं बयान नहीं कर सकता कि मैं किस कदर उतावला हो रहा था पायल को देखने को, उससे मिलने को, उसकी अपने गरीबखाने पर मौजूदगी महसूस करने को ।”
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