RE: Mastaram Kahani कत्ल की पहेली
“हां ।”
“और आप कहते हैं कि अभी जब वो आपको सिनेमा के करीब मिला था तो जब वो मिस डॉली टर्नर के साथ घुट-घुट के बातें कर रहा था ?”
“हां ।”
“और वो कहती है कि वो वो आदमी नहीं हो सकता था जिसके कि आप पीछे भागे थे या जो होटल से पायल की बाबत पूछताछ कर रहा था जो आपको मिस्टर सतीश की एस्टेट के बाहर इस बहाने के साथ मिला था कि वो कुक का इन्तजार कर रहा था ?”
“हां ।”
“वो लड़की झूठ बोलती हो सकती है । वो जानबूझकर आपको ये पट्टी पढाने की कोशिश कर रही हो सकती है कि धर्मेन्द्र अधिकारी वो आदमी नहीं था जिसकी कि आपको तलाश थी ।”
“क्यों ?” - राज हैरानी से बोला ।
“वो शख्स उस लड़की का पुराना, बहुत पुराना, वाकिफ था । आपकी उससे मुश्किल से चौबीस घण्टे की वाकफियत है । ऐसे में वो आपकी तरफदारी करती या उसकी ?”
“तरफदारी ! कैसी तरफदारी ?”
“डॉली ने उसे बताया हो सकता है कि आप जान चुके थे कि उसका कुक रोजमेरी से कुछ लेना-देना नहीं था, आप जान चुके थे कि उसने झूठ बोला था कि वो रोजमेरी का ब्वाय फ्रेंड था और उसी की इन्तजार में कल मिस्टर सतीश की एस्टेट के करीब मौजूद था । आगे आप ये भी जान चुके थे कि वो ईस्टएण्ड पर पायल की तलाश में उसके बारे में पूछताछ करता फिर रहा था ।”
“डॉली ने ऐसा किया होगा ?”
“न सिर्फ ये, उसने उसकी आपके हाथों में पड़ने से बेचने में भी मदद पहुंचाई हो सकती है ।”
“जब... जब वो भागा था तो डॉली ने मुझे उसके पीछे भागने से तो रोका था । उसने मुझे ये... ये तो कहा था कि वो इतनी भीड़ में मेरे हाथ नहीं आने वाला था ।”
“सो, देअर यू आर ।”
“लेकिन इसका... इसका मतलब क्या हुआ ?”
“आप बताइये ।”
“मेरी निगाह में तो कोई मतलब न हुआ । सिवाय इसके कि उसने अपने चौबीस घण्टे के वाकिफ के मुकाबले में अपने पुराने वाकिफकार के लिये ज्यादा जिम्मेदारी दिखाई । सिर्फ इतने से ये मतलब तो नहीं निकाला जा सकता था कि डॉली उसके किसी गुनाह में शरीक थी, अगर वो कातिल था तो डॉली कातिल की मददगार थी !”
“अच्छा ! नहीं निकाला जा सकता ?”
राज कुछ क्षण सोचता रहा, फिर दृढ स्वर में बोला - “नहीं । नहीं निकला जा सकता ।”
“लड़की की ऐसी हिमायत आप उस पर लट्टू होकर तो नहीं कर रहे हैं ?”
राज से जवाब देते न बना ।
“कल शाम से आप उसकी सोहबत में हैं । उसके व्यवहार में तब से आप ने ऐसी कोई बात नहीं देखी, या महसूस की, जो कि खटकने वाली हो ?”
राज और भी खामोश हो गया और सोचने लगा कि क्या वो उस पुलिस इंस्पेक्टर को बताये कि कल शाम पायल के आगमन की बाबत सुनकर डॉली के छक्के छूट गये थे, उसने तत्काल ड्रिंक्स से हाथ खींच लिया था और रात को पायल के सतीश के यहां पहुंच जाने के बाद वो चोरों की तरह अपने कमरे से बाहर निकली थी और उसमें एकाएक आमना-सामना हो जाने पर उसने टुन्न होने का बहाना किया था !
उसकी आंखों के सामने डॉली की हसीन सूरत घूम गयी थी ।
उसने फिलहाल खामोश रहने का ही फैसला किया ।
“नहीं” ¬ एकाएक वो उठता हुआ बोला ¬ “मैंने उसके व्यवहार में खटकने वाली कोई बात नोट नहीं की थी ।”
“पक्की बात ?”
“जी हां । मैं...मैं चलता हूं ।”
भारी कदमों से राज वहां से बाहर निकला ।
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