RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
दूसरी मंजिल पर स्थित कमरे में खिड़की की चौखट पर एक पैर टिकाकर विकास ने हाथ में दबे रिवॉल्वर की मूठ का भरपूर वार शीशे पर किया—वातावरण में कांच टूटने और फिर फर्श पर टूटकर खील-खील हो जाने की आवाज गूंजती चली गई।
कांच कमरे के अन्दर फर्श पर गिरा था।
“क...कौन है?” एक स्त्री की हड़बड़ाई-सी आवाज गूंजी।
विकास ने फुर्ती से टूटे हुए कांच वाले स्थान से हाथ अन्दर डाल दिया। कमरे में अंधेरा व्याप्त था। हां—अन्दर हलचल का आभास अवश्य हो रहा था—फिर वातावरण में चिटकनी खुलने की आवाज उभरी।
‘कट’ से लाइट ऑन हुई।
यही वह क्षण था जब विकास खिड़की के पट खोलकर जिन्न की तरह कमरे में कूद पड़ा।
वातावरण एक नारी की चीख से झनझना उठा। यह चीख स्विच बोर्ड के समीप मौजूद करीब पच्चीस वर्षीय महिला के कंठ से विकास को देखकर निकली थी। उसके जिस्म पर नाइट गाउन था और वह खड़ी वह थर-थर कांप रही थी। रिवॉल्वर ताने विकास ने क्रूर अन्दाज में उसे घूरा।
विस्फारित-सी महिला जड़ होकर रह गई, जुबान तालू से जा चिपकी थी— चीख के बाद एक हल्की-सी आवाज भी उसके कंठ से न निकली, विकास उसके अत्यन्त समीप पहुंच गया—नाल उसके मस्तक पर रखकर गुर्राया—“चीखो, मैं कहता हूं जोर से चीखो।”
उसने बड़ी मुश्किल से कहा—“क...कौन हो तुम, क्या चाहते हो?”
“मैं चाहता हूं कि तुम चीखो, जोर से!”
महिला को लगा कि ये लम्बा और क्रूर लड़का उसके मुंह से चीख निकल जाने की वजह से गुस्से में है, कह रहा है कि अब चीखकर देखो, ये गोली तुम्हारा सिर तोड़ देगी, डर की वजह से चीखना तो दूर, वह ‘चूं’ भी न कर सकी, जबकि विकास गुर्राया—“मैं कहता हूं चीखो, अगर चुप रही तो गोली मार दूंगा।”
भिन्नाई हुई-सी महिला लड़के को देखती रही—ऐसा तो वह स्वप्न में भी नहीं सोच सकती थी कि वह वाकई उसे चीखने का हुक्म दे रहा है, जबकि विकास ने उसे चीखती न देखकर रिवॉल्वर के दस्ते का भरपूर वार उसके सिर पर किया और चीखा—“मैं कहता हूं चीखो, जोर से—किसी को मदद के लिए बुलाओ।”
तभी बराबर वाले कमरे से किसी लड़की के चीखने की आवाज ने कोठी को झंझोड़ डाला।
“बचाओ....बचाओ!” महिला भी हलक फाड़कर चिल्ला उठी।
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सेफ के अन्दर खड़ा जेम्स बाण्ड अभी इन चीखों का अर्थ ठीक से समझ भी नहीं पाया था कि चैम्बूर हड़बड़ाकर उठ बैठा, बौखलाए-से स्वर में उसने कहा—“य...ये क्या हो रहा है—ओह, ये चीखें तो जेनिफर और कलिंग की हैं—वे शायद किसी मुसीबत में हैं।”
इतना कहते हुए उन्होंने तकिए के नीचे से रिवॉल्वर निकाला, फुर्ती से दरवाजे की तऱफ लपका कि तभी, बाण्ड ने सेफ से बाहर जम्प लगाते हुए कहा— “अ...आप यहीं ठहरिए मिस्टर चैम्बूर, मैं देखता हूं।”
चैम्बूर ठिठक गया, चीखें अब भी गूंज रही थीं।
हाथ में रिवॉल्वर लिए बाण्ड आंधी-तूफान की तरह दरवाजे पर झपटा, चिटकनी खोलकर गैलरी में पहुंचा और फिर पागलों की तरह जेनिफर तथा कलिंग के कमरों की तरफ भागता चला गया।
हाथ में रिवॉल्वर लिए चैम्बूर दरवाजे के बीचो-बीच किंकर्तव्यविमूढ़-सा खड़ा था, एक मोड़ पर घूमने के बाद बाण्ड उसकी नजरों से ओझल हो गया और यही वह क्षण था जबकि एक थम्ब के पीछे से एक इंसान जिस्म तीर की तरह सनसनाता हुआ उसकी तरफ आया।
अभी वह कुछ समझ भी नहीं पाया था कि एक इंसानी सिर की टक्कर ‘फड़ाक’ से उसकी नाक पर पड़ी—वह बिलबिला उठा, रिवॉल्वर हाथ से निकलकर फर्श पर गिर पड़ा—और फिर हमलावर ने संभलने के लिए उसे एक क्षण भी तो नहीं दिया, चैम्बूर के कंठ से लगातार चीखें उबलने लगीं।
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