RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
पिछली रात रहमान साहब देर तक जागते रहे….थकान की वजह से उन्होने ऑफीस जाने का इरादा तर्क कर दिया
और फोन पर एक डेप्युटी-डाइरेक्टर को इततेला दे दी कि वो ऑफीस नही आ सकेंगे….उन्होने सुबह के अख़बारात देखे जिनमे मलइक़ा वाले केस की रिपोर्टिंग उसी तरह की गयी थी जिस तरह उन्होने चाहा….उस रिपोर्ट की रोशनी में हंस और उसकी बेटी फिलहाल शक के दायरे से बाहर हो गये थे….
लेकिन साथ ही इमरान का ये रिमार्क भी जहन में खटक रहा था कि लड़की की गाड़ी निस्संदेह मर्सिडीस थी….
लेकिन
वो गाड़ी नही थी जिस पर मलइक़ा ले जाई गयी थी
आख़िर
इमरान ने किस बिना पर ये बात कही थी जिस पर लड़की कींस्टॉन थाने तक पहुँची थी….क्या रेजिस्ट्रेशन नंबर में फ़र्क़ था….ऐसी सूरत में इमरान को चाहिए था कि उन्हे उस गाड़ी के रेजिस्ट्रेशन नंबर से भी आगाह कर देना….इसी उलझन में दोपहर के खाने का वक़्त हो गया….!
खाने की मेज़ पर सुरैया के अलावा उनकी दोनो भतीजियँ भी थी….बेगम साहिबा कभी मेज़ पर नही खाती थी….इसलिए उनकी गैर मौजूदगी मामूली थी….!
रहमान साहब ने जैसे ही अपने सामने वाली क़ाब का ढक्कन उठाया वो उछल पढ़े….ये किस की बदतमीज़ी है….वो दहाडे
लड़कियाँ भी उठ खड़ी हुई….
और हैरत से क़ाब की तरफ देखने लगी….!
कोई मुर्दा परींदा परों समेत क़ाब में रखा हुआ था….गौर से देखने पर तीतर नज़र आया….
”आधा तीतर”
टाँगों के पास से आधा गायब….!
किस ने मेज़ लगाई थी….? वो फिर दहाड़े
खानसामा (कुक) ने….या शायद मजीद ने….सुरैया सहेम कर बोली
बुलवाओ दोनो को….
एक भतीजी दौड़ गयी….
ये आख़िर है क्या बला….? सुरैया ने चुटकी से तीतर की चोंच पकड़ कर उसे क़ाब से उठाते हुए कहा….
और
रहमान साहब की नज़रें उस छोटे से लिफाफे पर पड़ी जो तीतर के नीचे रखा हुआ था….
इतने में खानसामा (कुक) आ गया….रहमान साहब ने लिफ़ाफ़ा उठा कर जेब में डाल लिया
सुरैया ने तीतर को फिर क़ाब में डाल दिया….
और
खानसामा (कुक) की तरफ देखने लगी
ये क्या है….? रहमान साहब क़ाब की तरफ इशारा कर के दहाड़े
ये….सा….साहब….खानसामा (कुक) हकलाया….उसकी आँखें हैरत और ख़ौफ़ से फैली गयी थी
ये क्या बेहूदगी है….?
माँ….मैं नही जानता साहब….मैने तो दो बने हुए तीतर रखे थे….तीसरा तो कोई था भी नही
तो फिर….ये कहाँ से आ गया….
मैं….मैं क्या बताऊ जनाब-ए-आली
जाओ मालूम करो….रहमान साहब मेज़ पर हाथ मार कर चीखे
और
उठ कर अपने कमरे में चले गये
जेब से लिफ़ाफ़ा निकाल कर चैक किया….अँग्रेज़ी में टाइप किया हुआ छोटा सा लेख बरामद हुआ….
जिस आसानी से ये आधा तीतर तुम्हारे खाने की मेज़ पर पहुँच सकता है….उसी तरह तुम्हारे बेटे को भी गोली मारी जा सकती है….!
रहमान साहब का चेहरा उतर गया….ख़ासी देर तक वो बेहिसस-ओ-हरकत खड़े रहे….
फिर
ये मालूम करने निकल गये कि आख़िर वो तीतर उस क़ाब में कैसे पहुँचा
तीतर सिर्फ़ उन्हे ही पसंद थे….
और
खुसुसियत से उन्ही के सामने रखे जाते थे….
सारे मुलाज़िम ने ला-इलमी (अग्यान्ता) ज़ाहिर की….उनकी समझ में सुबह से अब तक कोई अजनबी भी कोठी के कॉंपाउंड में दाखिल नही हुआ था….सभी मुलाज़िम पुराने थे….!
सुरैया और भतीजियों को ये नही मालूम हो सका कि तीतर के नीचे से बरामद होने वाला लिफ़ाफ़ा कैसा था….!
रहमान साहब ने इमरान से फोन पर संपर्क करना चाहा….
लेकिन
फ्लॅट से जवाब मिला कि वो रात 8 बजे से गायब है….अभी तक नही आया
उनकी झुनझूलहट बढ़ती रही….
फिर
उन्होने कॅप्टन फायज़ को तलब कर लिया….!
फायज़ सख्ती से दाँत पर दाँत जमाए सब कुछ सुनता रहा….कुछ बोला नही
अब वो ना जाने कहाँ है….रहमान साहब ने आख़िर में कहा
और ना जाने क्या करते फिर रहा है….उसे तलाश करो….!
कोशिश करूँगा जनाब….
लेकिन ये मेरे लिए आसान काम ना होगा….
वैसे अगवा का केस मामूली नही मालूम होता….!
मैं टिप्पणी नही चाहता….रहमान साहब गुर्राए….जाओ उसे तलाश करो
फायज़ चला गया….!
रहमान साहब बेचैनी से टहलते रहे….
अचानक
फोन की घंटी बजी….
और
रहमान साहब ने रिसीवर उठा लिया
दूसरी तरफ से इमरान की आवाज़ आई….
तुम कहाँ हो….?
एक रेस्टोरेंट में….दोपहर के खाने से फारिग हुआ हूँ….गाड़ी बाहर खड़ी है….
और
दो गाड़ियाँ और भी है जो मेरी गाड़ी का पीछा कर रही है….
लिहाज़ा
मैं बाथरूम के रास्ते से पैदल ही फरार हो जाउन्गा….!
क्या बकवास है….
ये मामला बहुत उलझा हुआ है डॅडी….
लेकिन
आप इतमीनान रखे
और
सिर्फ़ उसी वक़्त तक इतमीनान रखिए जब तक आप का माहेक्मा दखल अंदाज़ी नही करता….!
अपनी बकवास बंद करो….
और
मेरी सुनो….
जी….जी हाँ….
रहमान साहब ने तीतर वाला वाक़या बयान करते हुए कहा….फ़ौरन मेरे पास पहुँचो
तब तो फ़ौरन ही तीतर की तरह मार दिया जाउन्गा….अब मेरी भी सुन ली जिए मलइक़ा जिस गाड़ी पर ले जाई गयी थी….उसका रेजिस्ट्रेशन नंबर….एक्सवाईजेड 311 था….और किसी विदेशी डेविड हॅमिल्टन के नाम पर रिजिस्टर हुई है….
6 माह पहले वो शाहेरा की शाम बिल्डिंग के 7वे फ्लॅट में रहता था….आप ये मालूमात किंग्सटन के थाने इंचार्ज को भिजवा दी जिए….
और
फिलहाल उसी को तफ़तीश करने दी जिए….!
लेकिन….अब उससे क्या फ़ायदा….वो जानते है कि तुम इस मामले में कूद पड़े हो….और….फिर उन्होने सीधे-सीधे चॅलेंज किया है
झाली दे रहे है….जासूसी नोवलों जैसा किस्सा बनाया जा रहा है….भला आधा तीतर….वाह….बेचारे बेरहम को खाबर में पसीने आ गये होंगे….
वैसे
डॅडी ये मामला है भी कुछ आधा तीतर और बटेर किस्म का….!
फ़िज़ूल बातें ना करो….यहाँ चले आओ….रहमान साहब ने गुस्सैले लहजे में कहा
देखिए डॅडी….
अगर आप का माहेक्मा हरकत में आया तो मैं सच-मूच मार दिया जाउन्गा….वो करेंगे बाज़ाबता (अफीशियल) करवाही….
और उन लोगों ने बिल्कुल जासूसी फिल्मों जैसी धमा-चौकड़ी मच्चाई है….हमें बिल्कुल अहमाक़ समझते है….
लिहाज़ा मेरी बेज़ाबतगी (अनियम्ता, इरेग्युलॅरिटी) बर्दाश्त की जिए….!
क्या पीछा करने वाले रेस्तरो में दाखिल नही हुए….?
रेस्तरो तो मैने शर्मा-हुज़ूरी में कह दिया था….
दरअसल
ईरानी होटेल है…
और
वो सफेद फाम लड़की है….इसलिए बाहर ही इंतेज़ार कर रही है….अल्लाह हाफ़िज़
रहमान साहब सिलसिला कट हो जाने की आवाज़ सुन कर दाँत पीसते रहे गये….
इमरान सच-मूच बाथरूम के ही रास्ते फरार हो कर दूसरी सड़क पर जा निकला….उसे इत्तेला मिल चुकी थी कि सफदार और चौहान दो अलग-अलग गाड़ियों में उनका पीछा शुरू कर चुके है….
अब यहाँ से तो उसे सीधे सेइको मॅन्षन ही पहुँचना था….वहीं से इंपाला का अभी इंतेज़ाम हो सकता था….जिसे ईरानी के होटेल के सामने पार्क कर आया….
और दोनो मातहतों की रिपोर्टिंग भी वहीं मिली…!
ख़ासा हाशाश-बाशाश सेइको मॅन्षन में दाखिल हुआ….
और सीधे जुलीना फिट्ज़वॉटर के कमरे में जा पहुचा….!
फरमाइए….जूलीया बद-मिज़ाज मुर्गी की तरह कुढकूधाई
ज़रूरी नही कि कुछ अर्ज़ ही करने के लिए हाज़री दूं….
फिर….आने का मक़सद….?
चुप-चाप तुम्हारी शक्ल देखता रहूँगा….
सफदार ने इततेला दी है कि इंपाला में तुम ही थे….
दो बंदर पीछे लग गये थे….
लिहाज़ा
मजबूरन चीफ को इत्तेला देनी पड़ी….!
आहा….चीफ को चीफ कब से कहने लगे….
चूहा उस वक़्त कहता हूँ जब वो मेरे कमिशन में कटोतियाँ करने लगता है….
किस्सा क्या है….?
मिस कॉर्निला और हंस की अनुकूलन में झूठी गवाही दिलवा बैठा हूँ….
क्या मतलब….?
डॉक्टर मलइक़ा को पैदल जाते किसी ने नही देखा था….मैने एक गवाह का इंतेज़ाम कर दिया….!
तो इसका मतलब ये है कि उसके अगवा में तुम्हारा ही हाथ था….!
उचित कमिशन पर सब कुछ कर गुज़रता हूँ….जब चाहो अपना भी अगवा करा सकती हो….
सर पर एक बाल नही रहने दूँगी
वो सर ही क्या जो तुम्हारे अगवा के बाद शानों पर रहे जाए….
बकवास मत करो….मुझे बताओ कि क्या किस्सा है….!
किस्सा उस चूहे को मालूम होगा….इमरान नाथुने फूला कर बोला
मुझसे जो कुछ कहता है करता रहता हूँ….आज सुबह कहा था कि राणा पॅलेस जाओ वहाँ से इंपाला में बैठ कर निकलो और शहर के चक्कर लगाते रहो….इंपाला में ट्रांसमेटेर भी है….बस निर्देश देता रहता कि इधर जाओ उधर जाओ….
फिर
अब फलाँ ईरानी की होटेल में लंच कर के बाथरूम के रास्ते पैदल ही फरार हो जाओ….
अगर
ईरानी की मुर्गी खाओ तो पेट में पहुचते ही फ़ौरन अंडा देने शुरू कर देती है….मेरी समझ में नही आता कि आख़िर ये गोश्त का नागा क्यूँ होता है….जब कि नागे के दिनों में भी रेफ्रिगरेटर भरे रहते है….
और
जो रेफ्रिगरेटर अफोर्ड नही कर सकता वो रोज़ाना गोश्त भी नही खा सकता….!
अच्छी ख़ासी तखरीर करने लगे हो….सियासी लीडर क्यूँ नही बन जाते….
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