RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
आने वाले ने दरवाज़ा बंद कर के दोबारा अंदर से लॉक कर दिया….शाहिद उसे ख़ौफज़दा नज़रों से देखे जा रहा था….!
ख़तरनाक आदमी उसे घूरता रहा….
म….मा….मैं कौन हूँ….? शाहिद हकलाया
क्या मतलब….ख़तरनाक आदमी घुर्राया
हाँ….हाँ….बताओ….मैं कौन हूँ….?
रानी विक्टोरीया के अलावा और कोई भी हो सकते हो….!
खुदा के लिए मेरा मज़ाक़ ना उड़ाओ….मुझे बताओ के मैं कौन हूँ….
और
मेरा नाम क्या है….पता नही कब से पूछता फिर रहा हूँ….कोई बताता ही नही….!
नही चलेगी….अजनबी सर हिला कर बोला
क्या नही चलेगी….?
यही जो तुम चलाना चाहते हो….तुम्हारी यादश्त पर कोई असर नही पड़ा
यादश्त….? शाहिद इस तरह बोला जैसे ख्वाब में बोल रहा हो
बैठ जाओ….अजनबी बिस्तर की तरफ इशारा कर के बोला….मैं अभी तुम्हारी यादश्त वापस लाउन्गा
मैं तुम्हारा शुक्र गुज़ार रहूँगा….
अगर ऐसा कर सको….!
तुम्हे इस्तीफ़ा वापस लेना पड़ेगा….अजनबी ने उसे घूरते हुए कहा
कैसा इस्तीफ़ा….? यक़ीन करो मैं कुछ नही जानता
क्या तुम डॉक्टर शाहिद नही हो….?
मेरे लिए ये नाम बिल्कुल नया है….शाहिद कुछ सोचता हुआ बड़बड़ाया
तो फिर डॉक्टर मलइक़ा तुम्हारी बहन भी नही होगी….?
मैं क्या जानू वो कौन है….
जो कोई भी है बड़ी तकलीफ़ में है….
शाहिद की आँखों में पल भर के लिए ख़ौफ़ की झलकियाँ नज़र आई….
और फिर
गायब हो गयी….
फिर
उसने थूक निगल कर कहा….तुम जो कोई भी हो खुदा के लिए मुझे बता दो कि मैं कौन हूँ….?
मिस्टर.रहमान के होने वाले दामाद….
और तुम कौन हो….?
ढांप…."आधा तीतर" वाला….!
"आधा तीतर"….शाहिद बेखास्ता उछल पड़ा
और तुम्हे वही करना पड़ेगा जो तुम से कहा जा रहा है….तुम अच्छी तरह जानते हो….!
मैं कुछ नही जानता….यक़ीन करो
क्या तुम इसे पसंद करोगे कि मलइक़ा को तुम्हारे सामने ही कोई नुकसान पहुँचा दिया जाए
मेरे खुदा….मैं क्या करूँ
वही जो कहा जा रहा है….
क्या कहा जा रहा है….?
तुम अच्छी तरह जानते हो….
मैं कुछ नही जानता….यक़ीन करो
वो सामने फोन रखा हुआ है….हेल्त डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी को बता दो कि तुम अपना इस्तीफ़ा वापिस लेना चाहते हो
मैं उसे नही जानता….अरे मैं येई नही जानता कि मैं कौन हूँ….
एक शख्स ने तुम्हे रिहाई दिलाने की कोशिश की थी हम ने उसे भी पकड़ लिया है….!
मुझे रिहाई दिलाने की कोशिश की थी….तो क्या मैने किसी जैल से फरार होने की कोशिश की थी….?
मैं अभी उसे बिझवाता हूँ….
शायद तुम्हारी यादश्त वापस आ जाए उसे देख कर….अजनबी ने दरवाज़े की तरफ बढ़ते हुए कहा….शाहिद भी उठा
तुम वहीं बैठे रहो….
वरना गोली मार दूँगा….अजनबी मूड कर बोला
फिर वो चला गया….शाहिद दम साधे बैठा बंद दरवाज़े को अजीब नज़रों से देखता रहा….
और
उसकी आँखों में बेबसी के आसार थे….!
थोड़ी देर बाद इमरान बौखलाया हुआ अंदर दाखिल हुआ….शाहिद उठ गया
मुझे अफ़सोस है डॉक्टर….उसने कहा….
क….क्य….क्या तुम मुझे जानते हो….?
क्या बात हुई….? इमरान ने हैरत से कहा
अगर जानते हो तो बताओ मैं कौन हूँ….?
अरे तुम डॉक्टर शाहिद हो….मेरी बहन सुरैया से तुम्हारी शादी होने वाली है….!
काश….मैने ये नाम पहले भी कभी सुना होता….!
बहुत अच्छा….इमरान हंस पड़ा
मेरी समझ में कुछ नही आता….शाहिद अपनी पैशानि मसल्ते हुए बोला
यार….बड़ी अच्छी अदाकारी कर रहे हो….इमरान आगे बढ़ कर बोला….ठीक है….इसी तरह तुम बच सकते हो
पता नही तुम लोग क्या कहे रहे हो….?
मैं तुम्हारी तरह कैदी हूँ….
किस के कैदी….? क्यूँ कैदी हो….?
मैं तुम्हे उन लोगों से छीन लेना चाहता था….
लेकिन
खुद भी पकड़ा गया….!
किन लोगों से छीन लेना चाहते थे….? मुझे तो कुछ भी याद नही आ रहा….
तुम कोहे-काफ के शहज़ादे हो….नीलम परी के एक लौते बेटे….इमरान लेफ्ट आँख दबा कर मुस्कुराया
कुछ भी याद नही आता….
चितकबार देव की खाला से तुम्हारा झगड़ा हो गया था….
फिर….क्या हुआ था….? जल्दी से मेरी उलझन रफ़ा कर दो….
चितकबार देव ने एक झापड़ रसीद कर दिया था….
और
तुम अपनी यादश्त खो बैठे….
डॉक्टर शाहिद किसी सोंच में पड़ गया….!
थोड़ी देर बाद इमरान ने पूछा….कुछ याद आया….?
शाहिद ने मायूसाना अंदाज़ में सर को ना में हिलाया
नही याद आएगा तो तुम्हे गुलेबा सूँघाया जाए….
कुछ करो….खुदा के लिए कुछ करो….!
ऐसे हालात में सब्र के अलावा और कुछ नही कर सकता डॉक्टर शाहिद….!
वो भी यही कह रहा था कि डॉक्टर शाहिद हूँ….
बकवास कर रहा था….तुम तो मेड ऑफ ज़रीना बेगम हो….
मेरा मज़ाक़ ना उड़ाओ….डॉक्टर शाहिद हलक के बल चीखा
इमरान खामोश हो गया….सोंच रहा था कि इस बार उससे सच-मूच हिमाकत ही सर्ज़ाद हुई है….ढांप के रूप में उसके सामने नही आना चाहिए था….
वैसे
मक़सद यही था कि शायद वो इमरान की हैसियत में कुछ ना कुछ मालूम कर सके….
अगर
असलियत ज़ाहिर करनी होती तो वो रहमान साहब ही से करता….
और
बात इस हद तक ना बढ़ती….
इससे पहले भी वो इसी टेक्निक के ज़रिए कॉर्निला से सच्ची बात उगलवा चुका था….शाहिद के मामले में भी यही टेक्निक अपनाई….
लेकिन
यहाँ उसे मायूसी हुई….
अलबत्ता
आधे तीतर के हवाले पर उसकी प्रतिक्रिया आशा जनक थी….वो शाहिद को गौर से देखता हुआ एक तरफ बढ़ गया….!
कॉर्निला को इमरान की तलाश थी….कतई अपने तौर पर किसी ने उसे ऐसा करने को नही कहा था….वो थाने उसका पता हासिल कर के फ्लॅट तक जा पहुँची….यहाँ जोसेफ से मूठ-भेड़ हुई….वो उसे हैरत से देखने लगी….
क्यूँ कि
वो इस वक़्त फ़ौजी वर्दी में था
और
दोनो तरफ के होलेस्टर में रिवॉल्वार के दस्ते सॉफ नज़र आ रहे थे….!
म….मा….मैं मिस्टर.इमरान को तलाश कर रही हूँ….कॉर्निला हक्लाई
क्यूँ….? जोसेफ सुर्ख-सुर्ख आँखें निकाल कर बोला
वो मेरे हमदर्द है….दोस्त है….
हम नही जानते वो कहाँ होंगे….
तुम कौन हो….?
मैं उनका बॉडीगार्ड हूँ….!
तब तो तुम्हे उनके साथ होना चाहिए था….
ना जाने क्यूँ जोसेफ खिलाफ मामूल मुस्कुरा दिया….
तुम ने मेरी बात का जवाब नही दिया….?
शौक है बॉडीगार्ड रखने का….
वरना
वो इतने मासूम और बेज़रर आदमी है कि उन्हे बॉडीगार्ड रखने की ज़रूरत ही नही….!
इस पर मुझे भी हैरत हुई….
किस बात पर मिस….? जोसेफ उसे गौर से देखता हुआ बोला
इसी पर कि उस भोले आदमी ने इतना खौफनाक बॉडीगार्ड क्यूँ रख छोड़ा है….
इस पर तो खुद मुझे भी हैरत है मिस….आज तक इन दोनो रिवाल्वरों से एक गोली भी नही चली….
और मेरा मिज़ाज भी किसी कदर शायराना हो गया है….!
क्या तुम कभी हेवी-वेट चॅंपियन भी रहे हो….?
मेरे जानने वालों का यही ख़याल है….
दरअसल
बॉस को भी बॉक्सिंग का शौक है….!
अच्छा….अच्छा….मैं समझ गयी….क्या अब भी लड़ते हो….?
सिर्फ़ बॉस से….
वो….यानी….के वो….!
हाँ….जब भी मेरे सितारे गर्दिश में आते है….मुझे दस्ताने पहेन्ने ही पड़ते है….
तुम्हारे सितारे गर्दिश में आते है….? कॉर्निला ने हैरत से कहा
हाँ मिस….एक फाइट के बाद 3 दिन तक अपने चेहरे की सिकाई करता रहता हूँ….
इमरान के मुकावले पर….
हाँ मिस….लेकिन….आज तक मेरा एक मुक्का भी उनके चेहरे पर नही पड़ सका….
तुम लिहाज कर जाते होगे….?
नही मिस….ऐसी कोई बात नही है….खुदा गवाह है जो आख़िरथ में मुझ पर पूरी तरह हावी होगा….
यक़ीन नही आता….
जोसेफ कुछ ना बोला….
कॉर्निला खामोश बैठी रही….!
सुलेमान इस वक़्त फ्लॅट में मौजूद नही था….
थोड़ी देर बाद जोसेफ बोला….तुम अपना कार्ड छोड़ जाओ मिस….वो जब आएँगे उन्हे बता दूँगा….!
मैं इंतेज़ार क्यूँ ना कर लूँ….?
अगले हफ्ते तक….
क्या मतलब….?
3 दिन से तो मैने उनकी शक्ल नही देखी….
आहा….तो क्या कहीं और भी ठिकाना है….?
इस फ्लॅट से आगे की बात मैं नही जानता….
अच्छी बात है….तो तुम मेरा कार्ड रखलो….वो अपना कार्ड दे कर चली गयी….!
जोसेफ ने उसके जाते ही इमरान के बताए हुए नंबर फोन नंबर डाइयल किया….
क्या खबर है….? दूसरी तरफ से इमरान की आवाज़ आई….
एक विदेशी लड़की तुम्हारी तलाश में है बॉस….कॉर्निला नाम है….!
क्या फ्लॅट में आई थी….?
हाँ….बॉस….अपना कार्ड दे गयी है….
आस-पास की पोज़िशन बताओ….
निगरानी कर रहे है वो लोग….ड्यूटी बदलती रहती है….देसी आदमी है किसी विदेशी को मैने अभी तक नही देखा….सुलेमान नही मानता वो फिर चला गया है….नाश्ते के बाद अभी तक गायब है….!
ये उसने अच्छा नही किया….वो लोग मेरी तलाश में है….
और
बुरी तरह पागल हो रहे है….!
कह रहा था मेरी मोहब्बत ख़तरे में है….
मैं समझ गया….खैर देखा जाएगा….इमरान की आवाज़ आई और सिलसिला कट हो गया
जोसेफ रिसेवर रख कर बोलकोनी पर आ निकला….
और
कंखनियों से उस मुकाम का जायेज़ा लेने लगा जहाँ उसकी समझ में निगरानी करने वाले मौजूद थे…..
फिर
वो शायद सिक्स्त-सेन्स ही थी जिस की बिना पर वो उछल कर पीछे हट गया….
और
उसकी बाई (लेफ्ट) जानिब वाली दीवार का प्लास्टर उधड गया….बे-आवाज़ फाइयर उसी तरफ से हुआ था जिधर कंखनियों से देखता जा रहा था….!
वो चुप-चाप कमरे में चला आया….
लेकिन
उसकी आँखें खौफनाक लगने लगी थी….चन्द लम्हे खड़ा कुछ सोचता रहा….फिर….
फोन की तरफ बढ़ा….इमरान के नंबर डायल किया….
और
दूसरी तरफ से जवाब मिलने पर गुर्राया….पानी सर से उँचा हो गया है बॉस….अब मुझे फ्लॅट से निकलने की इजाज़त दो….!
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