RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
तो इसका यह मतलब हुआ कि वो लोग भागे नही….मौजूद है….साथी ने चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा
इमरान ने सर को हिलाया….कुछ बोला नही….थोड़ी दूर चलने के बाद उसने गाड़ी रोक दी….
और घूम कर साथी की तरफ देखने लगा….!
यहीं उतार दोगे….?
हाँ….मुझे उस इमारत में देखना है….
तन्हा….साथी के लहजे में हैरत थी
भीड़-भाड़ का कायल नही हूँ मैं….
ढांप ख़तरनाक आदमी है….
तुम फ़िक्र ना करो….कुछ देर पहले वो खुद ही मुझे यहाँ लाया था….
लेकिन पकड़ ना सका….!
तो अब फिर सीधे मौत के मुँह में क्यूँ जा रहे हो….?
तुम ने मुझसे झूठ क्यूँ बोला….? हिप्पी और दूसरे साथी भी पीछे आ रहे है….?
सुनो दोस्त….मुझसे जो कहा गया वो मैने किया यक़ीन करो मैं नही जानता वो सच-मुच पीछे आ रहे है या नही….!
मैं 10 मिनिट और इंतेज़ार करूँगा….
अगर वो नही आते तो फिर तुम्हे मेरा साथ देना पड़ेगा….!
क….क….क्या मतलब….?
तुम भी मेरे साथ इमारत में चलोगे….
ना मुमकिन….
अगर नही चलोगे तो मैं तुम्हे गोली मार दूँगा….
तुम….तुम मुझे मारोगे….? वो हिकारत (तिरस्कार) से बोला
यक़ीन करो ऐसा ही होगा….
खामोश रहो….वो ना ख़ुशगवार लहजे में बोला….10 मिनिट इंतेज़ार करते लेते है….!
सिर्फ़ तुम ही नही तुम्हारा चीफ भी मुझे डरपोक मालूम होता है….!
फ़िज़ूल बातें ना करो….उससे ज़्यादा दिलेर आदमी आज-तक मेरी नज़रों से नही गुज़रा….!
अभी गुज़ार देता हूँ….कह कर इमरान ने एंजिन स्टार्ट कर दिया….
और यू-टर्न ले कर….
फिर इमारत की तरफ पलट पड़ा….!
अरे….अरे….साथी बौखला गया….
लेकिन इतनी देर में गाड़ी फाटक से गुज़र कर कॉंपाउंड में दाखिल हो चुकी थी….और….अब इमारत की तरफ बढ़ रही थी….!
साथी ने दरवाज़ा खोल कर चलती गाड़ी से ना सिर्फ़ कूद गया….
बल्कि फाटक की तरफ दौड़ भी लगा दी….!
इमरान ने निहायत ही इतमीनान से गाड़ी रोकी एंजिन बंद किया….
और नीचे उतार कर दहाड़ने लगा….ढांप के बच्चे बाहर आओ….मैं वापस आ गया हूँ….निकलो बाहर….अब दिखाउन्गा तुम्हे….!
दरवाज़ा खुला…और किसी ने चीख कर पूछा….कौन बदतमीज़ है….?
बदतमीज़ नही है….इमरान ने झल्ला कर कहा….ढांप को बुलाओ
यहाँ कोई ढांप नही रहता है….
नही बहुत बड़ा ढांप रहता है….मैं ज़रा उसकी शक्ल देखना चाहता हूँ….!
अंदर से एक आदमी और बाहर आया….जिस की घनी मूच्छे ढांप की मूछों जैसी थी….
और उसने अपने बाल पैशानी पर बिखेर रखे थे….सामने रोशनी में आओ….तुम कौन हो….? उसने गूंजिली आवाज़ में पूछा
मैं सिर्फ़ ढांप से बात करना चाहता हूँ….इमरान बोला
ठीक उसी वक़्त पोलीस की गाड़ी के साइरन की आवाज़ सन्नाटे को चीरने लगी….
वो दोनो बेतहाशा उछल कर अंदर भागे….
इमरान जहाँ था वही खड़ा रहा….
इमारत की सारी खिड़कियाँ….
और रोशनी बंद होती जा रही थी….
और इमारत के अंदर की भाग-दौड़ सॉफ सुनाई दे रही थी….!
इमरान दौड़ कर अपनी गाड़ी के करीब पहुँचा….साइरन की आवाज़ इसी गाड़ी से बुलंद हो रही थी….उसने पिछली खिड़की में झाँक कर कहा….साइरन का स्विच ऑन रहने दो….स्टन गन और टॉर्च ले कर बाहर आ जा….!
जोसेफ ने फौरी तामील की….
मगर बॉस….तुमने तो कहा था कि हड्डियाँ भी तोड़नी होंगी….? जोसेफ ने हैरत से कहा
अगर….भागने को हुए तो यह भी कर लेना….आओ मेरे साथ….!
वो इमारत में दाखिल होते ही जोसेफ टॉर्च रोशन करते हुए आगे चलता रहा….
और स्टन गन इमरान के हाथों में थी….
लेकिन इमारत में डॉक्टर शाहिद के अलावा और कोई ना मिला जो एक जगह कुर्सी से जकड़ा पड़ा नज़र आया….
बस इसी तरह उठा कर कंधे पर रखो….
और निकल चलो….इमरान ने डॉक्टर शाहिद को ज्यूँ का त्यु उठाया….
और कंधे पर रख लिया….अब टॉर्च और स्टॅन गन इमरान के हाथों में थी….वो कॉंपाउंड में आए….इमरान ने शोर मचाती हुई गाड़ी की पिछली सीट का दरवाज़ा खोला….
और शाहिद को अंदर डाल दिया….!
अब साइरन बंद करते हुए स्टियरिंग संभाल ले….इमरान ने जोसेफ से कहा
किधर जाना है….बॉस….?
वापस घर….!
आप मेरी तो सुन ही नही रहे….डॉक्टर शाहिद सीट पर पड़ा हुआ बोला
इमरान उसके करीब बैठता हुआ बोला….सूनाओ….
और जोसेफ से कहा….चलो….!
गाड़ी रिवर्स गियर में डाल कर जोसेफ ने उसे फाटक से बाहर निकाला….
और शहेर की तरफ मूड गया….!
आप मेरे हाथ-पैर क्यूँ नही खोल रहे….?
अब इसी हालत में तुम्हारा निकाह इसी वक़्त होगा….!
क….क्य….क्या मतलब….?
मतलब भी यही है कि जो कह रहा हूँ….मैने तुमसे कहा था कि केफे कोहान में मेरा इंतेज़ार करना….!
वहाँ तक पहुँचने की नौबत ही नही आई थी….टेलिफोन बूथ से निकल कर गाड़ी की तरफ बढ़ ही रहा था कि किसी ने पीछे से गर्दन पर वार किया….
फिर याद नही के क्या हुआ….आख़िर यह लोग भाग क्यूँ गये….?
तुम से क्या चाहते थे….?
खुदा जाने….मुझसे किसी ने कोई बात ही नही की थी….!
अब फिर….तुम ढांप के खिलाफ एक बयान दाग देना….
और पोलीस को बुरा-भला कहना कि वो अभी तक ढांप का सुराग नही पा सकी….जब कि वो इसी शहेर में अब भी दन्दनाता फिर रहा है….!
लेकिन….मैं इस तरह कब तक पड़ा रहूँगा….? आप मेरे हाथ-पैर क्यूँ नही खोल रहे….?
निकाह के बाद….इमरान ने कहा….
और कुछ देर रुक कर बोला….तुम मुझे क्या बताना चाहते थे….?
पहले हाथ-पैर खोलें….
फिर बताउन्गा….!
आमा तुम तो जान खाओगे….उन्होने कितनी देर तक इसी तरह डाले रखा था….उनके भी कान खाते रहे या नही….?
आप की बातें मेरी समझ में नही आती….?
किसी की भी समझ में नही आती….इसी लिए तो घर छोड़ दिया है….इमरान ने कहा….
और डॉक्टर शाहिद के हाथ-पैर खोलने लगा….साथ ही कहता जा रहा था….तुम्हारी वजह से मुशायरो में भी नही जा सकता….सीज़न शुरू हो गया है….!
आप को शेर-ओ-शायरी से भी दिलचस्पी है….शाहिद ने हैरत से पूछा
बहुत ज़्यादा….अब यही देख ली जिए कि आप ने जो मिस्रा इनायत फरमाया है….लिखने बैठा हूँ….
लेकिन ग़ज़ल नही हो रही….!
मैं क्या बताऊ….सख़्त शर्मिंदा हूँ….शाहिद उठ कर सीधा बैठता हुआ बोला
शर्मिंदा तो मुझे होना चाहिए कि आप का होने वाला हूँ….
आप फिर टॉपिक से हॅट गये….?
क्या करूँ….तुम कुछ पूछते ही नही मुँह से….
उसने फिर मुझसे फोन पर गुफ्तगू की थी….मेरा ख़याल है वो आहिस्ता-आहिस्ता मक़सद की तरफ आ रहा है….!
मैं नही समझा….?
मतलब यह है कि मुझसे जो काम लेना चाहता है….उसका ताल्लुक मेरे पेशे से ही होगा….
यही बताने के लिए तुम मुझसे मिलना चाहते थे….?
जी हाँ….
मियाँ….इतना मैं भी जानता हूँ वो काम तुम्हारे पेशे ही से ताल्लुक है….तुम से घास खोदने को नही काहगा….
एक दूसरी बात भी है….!
वो भी जल्दी से बता डालो….?
मेरे खिलाफ सारे फोटोस और नेगेटीव्स उसके पास मौजूद है….जिसे उस काम के बाद वो मेरे हवाले कर देगा….
अच्छा….तो फिर….?
अगर….वो सब उससे पहले ही उसके कब्ज़े से निकाल ली जाए तो….
फिर मुझ पर उसका दबाव भी नही रहेगा….!
सामने की बात है….इमरान सर हिला कर बोला
तो फिर की जिए कोशिश….!
मक़सद मालूम होने से पहले कुछ भी नही करूँगा….इमरान ने खुश्क लहजे में बोला….इस वक़्त तुम यही अहेम तरीन बात बताना चाहते थे कि तुम्हारे खिलाफ सारे फोटोस और नेगेटीव्स उसके पास मौजूद है….
वरना यह तो पहले ही जानते थे कि वो काम तुम्हारे पेशे ही से ताल्लुक होगा….
अगर यह बात ना होती तुम इस्तीफ़ा ही क्यूँ देते….?
डॉक्टर शाहिद कुछ ना बोला….
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