RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल
कौन सा मरा… हाँ… एक संख्या कम हो गयी... अस्सी की, जितने मीनार है उतने बीमार हैं - इसका मतलब तीन बीमार बच गये। शेष बचेगा जो, वैसा ही सबक पढा दे यार।
वैसा सबक…. इसका अर्थ क्या पहले जैसा अर्थात जैसे पहले हल निकाला। अब मैंने 80 को हटाकर से तीन संख्याओं के नीचे तीन रख दिया।
120/ 3, 90/3, 54/ 3
हल निकला 40, 30, 18
इस बार तीनों संख्या कट गई पर मैंने अपने मतलब की संख्या लेनी थी, जो चालीस थी। अब मैं इसी प्रकार आगे का हल निकालने लगा। 120 को एक तरफ हटाने के बाद मैंने दो से भाग दिया तो 90 में पैंतालिस निकल आया। अब सिर्फ 54 बचा था, एक से भाग देने पर 54 था ही।
मैं खुशी से उछल पड़ा। हल मिल गया था। अस्सी सीढ़ियों वाले मीनार में 20 का नंबर 120 में 40 और 90 में 45… चौथा 54। मैंने इन मीनारों को क्रमबद्ध रख दिया। नक्शे में सीढ़ियों पर चढ़ते पांव थे। यह संकेत नहीं मिला कि सबसे पहले 54 पर चढ़ना है या 20 पर… पांवों का अर्थ चढ़ना ही हो सकता है। मैंने दोनों तरफ से प्रयोग कर लेना उचित समझा। सबसे पहले हम 54 सीढ़ियों वाले मीनार पर पहुंचे। मैंने मीनार की सीढ़ी पर चढ़ना शुरू किया। सबसे अंतिम सीढ़ी पर चढ़ने के बाद मैंने उसका निरीक्षण किया कोई विशेष बात नजर नहीं आई। यह सीढ़ी भी अन्य सीढ़ियों के समान थी। मैं हाथ से उसे टटोलने लगा। अचानक मेरी निगाह कांसे की बनी एक तस्वीर पर अटक गई यह एक चेहरे की प्रतिमा जैसी थी और हर सीढ़ी के दाएं हिस्से पर लगी थी। धूल जम जाने के कारण वह स्पष्ट नजर नहीं आती थी।
मैंने उस पर से धूल हटाई और अजमाइश करने लगा। पूरी तस्वीर मेरे पंजे में आ गई। मैंने ठाकुर को नीचे ही रखा था - मैंने उसे समझाया कि नक्शे के अनुसार एक ही आदमी को चढ़ना था। वह नीचे खड़ा मुझे देख रहा था।
मैंने तस्वीर को घुमाने का प्रयास किया तस्वीर दाई ओर घूम गई और फिर खट की आवाज हुई साथ ही उसने घूमना बंद कर दिया। अब मैं प्रफुल्लित हुआ और अपनी सफलता की मनोकामना करता हुआ नीचे उतरा।
फिर मैं ठाकुर को लेकर दूसरी मीनार पर पहुंचा।
इन मीनार की सीढ़ियों पर वैसे ही तस्वीर बनी थी।
मैंने तस्वीर के बारे में ठाकुर से पूछा कि यह किसकी है ?
“यह कृपाल भवानी का चेहरा है।” ठाकुर ने बताया।
मैंने इस टावर की सीढ़ी पर चढ़कर पैतालिसवीं सीढ़ी का चयन किया और उसकी तस्वीर भी वैसे ही घुमा दी। यही प्रयोग मैंने अन्य टॉवरों में भी किया परंतु नतीजा कुछ ना निकला। इस प्रकार शाम हो गई। प्रत्येक मीनार एक दूसरे से काफी दूर थी। जिस मीनार से मैं भागा था
वह एक सौ बीस सीढ़ियों वाली थी।
अगले दिन नीचे से ऊपर की संख्या पर कार्य हुआ।
मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि तस्वीर घूमकर यथास्थान आ चुकी थी। मैंने उसे पुनः घुमाया और खट की आवाज होते ही छोड़ दिया। उसके बाद मैं इसी क्रम में आगे बढ़ा। चालीस, पैतालीस, और अंत में चौवन नंबर पर जा पहुंचा।
चौवन नंबर सीढ़ी की तस्वीर घुमाते समय मेरी सांस रुक गई , क्योंकि उसके साथ ही घरघराहट का धीमा स्वर सुनाई पड़ा था। सामने एक आला खुलता चला गया। उसके भीतर से एक काला नाग निकला… वह फन उठाए अपनी छोटी-छोटी आंखों से मुझे देखने लगा। फिर वह सीढ़ियों से उतरता हुआ नीचे चला गया।
“सांप…. सांप….।” ठाकुर चिल्लाया।
“उसे मारना नहीं।” मैं जोर से बोला और सीढ़ियां उतरने लगा।
उसके बाद नाग अपने रास्ते पर चलता रहा और हम उसके पीछे पीछे चल पड़े। वह मीनार से बाहर निकल गया। फिर वह हमें एक उजड़े मकान में ले गया। खंडहर में एक रास्ता उदय हुआ - जो काफी ढलुआ और जमीन के गर्भ में समा गया था। उस में अंधकार छाया हुआ था। ठाकुर ने टॉर्च जला ली।
यह रास्ता आगे जाकर एक द्वार में खत्म हुआ और फिर लगभग 200 गज लंबी सुरंग का मार्ग तय हुआ। सर्प बिना हिचक आगे-आगे रेंग रहा था। सुरंग एक अन्य दरवाजे से जुड़ी थी। वह द्वार भी अचानक खुलता चला गया।
मैं समझ गया कि हम खजाने के निकट है और सर्प उसका रखवाला है। यहां से हम सुनहरी सीढ़ियां उतरने लगे फिर सांप ने हमें एक कमरे में छोड़ दिया और ना जाने कहां गायब हो गया।
ठाकुर ने टॉर्च के प्रकाश में कमरे का निरीक्षण किया। फिर हर्ष से चीख पड़ा।
“मिल गया… खजाना मिल गया…।”
कमरे के बीच में एक हौज था, जिसमें पानी था। ठाकुर उसी में बार-बार हाथ डाल रहा था। उसने सोने की कुछ मूर्तियां पानी से निकाल ली थी, फिर मैं भी उसके पास पहुंच गया।
“इसी में है और या भरा पड़ा है। हमें इसका पानी निकाल लेना चाहिए। इसकी निकासी कहां है…..?”
“इसकी निकासी कही नहीं लगती। शायद यह एक प्रकार से कुआं है, क्या पता इसका पानी निकाल पाना संभव न हो।”
“ठहरो पहले मैं इस में उतर कर देखता हूं और इसकी गहराई नापता हूं।”
ठाकुर मुझे टॉर्च पकड़ा कर उस में उतर गया। पानी उसके घुटनों-घुटनों तक था।
“यहां फौलादी बक्से पीछे पड़े हैं…।” वह बोला - “और ना जाने क्या-क्या है… हमें काम शुरू कर देना चाहिए। तुम जाकर बाल्टी और कुदाल ले आओ। मेरे पास सारा इंतजाम है।
ठाकुर सारी व्यवस्था कर लाया था। उसके साथ आठ खच्चर भी आए थे, जिन्हें वह शायद माल ढ़ोने के लिये लाया था।
|