RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“वांदा नहीं । बोले तो मेरे को खुशी कि तुम लोगों के आने के टेम मैं इधर था, छुट्टी करके चला नहीं गया हुआ था ।”
श्यामला की भवें उठीं ।
“फिर तुम्हारे से मुलाकात कैसे होती ?”
“ओह ! पसंद आयी मुलाकात ?”
“अब...आयी तो सही !”
“गुड ! वैल, दि फीलिंग इज म्यूचुअल !”
“थैंक्यू ।”
“यहां के मालिक मिस्टर पुजारा बहुत अच्छे आदमी हैं जिन्होंने हमारी लाज रखी, हमें सम्मान दिया और एक्स्ट्रा लेट आवर्स में हमारे लिये अपने क्लब को चालू रखना कबूल किया । मिस्टर पुजारा मेरे डैडी के फास्ट फ्रेंड हैं इसलिये उन्होंने हमारा इतना लिहाज किया ।”
स्टोरी बना रही थी या सच में ही नहीं जानती थी कि असल मे कोंसिका क्लब का मालिक उसका बाप था , पुजारा उसका फ्रंट था !
“वैसे” - वो कह रही थी - “मेन पायर पर दो आल नाइट डाइनर भी हैं लेकिन यहां के खाने की - खास तौर से मस्टर्ड आयल फ्राइड हिलसा की - बात ही कुछ और है ।”
“हिलसा ब्रॉट यू हेयर ?”
“बट आफ कोर्स । वो क्या है कि...”
तभी ग्रुप का एक युवक - जींस-जैकेट - गोल्फकैपधारी - उनके करीब पहुंचा । उसने नीलेश को खुश्क ‘एक्सक्यूज मी’ बोला, श्यामला की बांह थामी और उसे डांस फ्लोर की ओर ले चला । वहां खुद ही उसने म्यूजिक सिस्टम चालू किया, किसी वैस्टर्न डांस ट्यून की डिस्क उसमें फीड की और श्यामला की कमर में हाथ डाल कर जबरन उसके साथ डांस करने लगा ।
फासले से भी नीलेश ने लड़की के चेहरे पर गहन अनिच्छा के भाव साफ देखे ।
वो खामोशी से बार काउंटर के साथ टेक लगाये डांस फ्लोर का नजारा करता रहा ।
तभी कुक की देखरेख में दो वेटर उनके केबिन की टेबल पर खाना लगाने लगे ।
वो अपने काम से फारिग हुए तो एक युवक ने आवाज लगाई - “आओ, भई, खाना सर्व हो गया है ।”
श्यामला के पांव ठिठके, उसने अपनी कमर से गोल्फ कैप वाले का हाथ जबरन हटाया और बोली - “खाना !”
“उन लोगों को खाने दो ।” - युवक ने फिर उसको दबोच लिया - “हम बाद में खायेंगे ।”
“लेकिन...”
“बोला न ! कीप डांसिंग ।”
“बट...”
“ब्लडी पे अटेंशन टु वाट आई एम सेईंग ।”
साथ ही युवक ने उसे अपनी छाती से भींच लिया और उसका चुम्बन लेने की कोशिश करने लगा ।
“छोड़ो ! छोड़ो !” - वो छटपटाई ।
“हाथ पांव झटकने बंद कर, साली, और...एनजाय कर ।”
तत्काल बूथ में मौजूद दो युवक उठ कर खड़े हुए । लेकिन नीलेश डांस फ्लोर के करीब था इसलिये वो फ्लक झपकते वहां पहुंच गया । उसने युवक को उसकी गर्दन से थामा और दूसरा हाथ उसकी कमर में डाल कर उसको जबरन युवती से अलग किया ।
“वाट दि हैल !” - वो तड़प कर बोला ।
“नन आफ दैट, मिस्टर ।” - नीलेश सख्ती से बोला ।
“यु ब्लडी हायर्ड हैल्प...ब्लडी टू बिट बार स्कम...”
उसकी गर्दन तब भी नीलेश की पकड़ में थी, उसने पकड़ मजबूत की तो उसकी आखें बाहर निकलने को हो गयीं ।
“नन आफ दैट टू ।” - नीलेश जब्त से बोला - “नो फाउल लैंग्वेज इन प्रेजेंस आफ दि लेडी !”
“साला टू बिट बारमैन मेरे को इंगलिश बोल के बताता है ! मैं अपनी फ्रेंड के साथ डांस करता है, साला तेरे को प्राब्लम !”
“मैडम को प्राब्लम ।”
“मैडम मेरे साथ है ।”
“साथ यहां है । कोंसिका क्लब में । इधर गलाटा नहीं मांगता ।”
“अच्छा !”
“हां ।”
“अभी रोक के बता ।”
उसने जबरन गर्दन छुड़ाई, दो कदम पीछे हटा और जेब से चाकू निकाल लिया । खटका दबाये जाने से कमानी खुलने की आवाज हुई तो नीलेश की तवज्जो चाकू की तरफ गयी ।
श्यामला की भी ।
उसके मुंह से चीख निकल गयी ।
चाकू वाला हाथ सामने फैलाये युवक नीलेश पर झपटा l नीलेश ने बड़ी दक्षता से उस हाथ की कलाई थाम ली और उसे फिरकी की तरह घुमा कर उसकी वो बांह उसकी पीठ पीछे लगा दी l उसने बांह और उमेठी तो चाकू उसकी पकड़ से निकल कर डांस फ्लोर के फर्श पर जा गिरा । नीलेश ने पांव की ठोकर से उसे वहां से परे उछाल दिया ।
तब तक उनके बाकी के साथ भी केबिन से उठकर वहां पहुंच चुके थे ।
दोनों लड़कियां सुबकती श्यामला के आजूबाजू पहुंची और उन्होंने उसे अपनी हिफाजत में ले लिया ।
नीलेश ने गोल्फ कैप वाले को बंधनमुक्त किया और उसे अपने से परे धकेल दिया ।
दोनों युवक गोल्फ कैप वाले के करीब पहुंचे ।
“जैकी !” - एक युवक गुस्से से उसे झिड़कता बोला - “माथा फिरेला है !”
“मैने क्या किया ?” - जैकी - गोल्फ कैपधारी - बोला ।
“तेरे को नहीं मालूम ?”
“जो किया, ये साला हरामी किया...”
“नो फाउल लैंग्वेज, जैकी !” - दूसरे युवक ने चेताया ।
“इसी ने बीच में आ के पंगा डाला...”
“चाकू भी इसी ने चमकाया !” - पहला युवक बोला ।
“ये साला मेरे को फोर्स किया…”
“फिर !” - दूसरा युवक बोला - “आई सैड नो फाउल लैंग्वेज !”
“हाथ मरोड़ दिया, गर्दन तोड़ने में कसर न छोड़ी...”
“जैकी, तू श्यामला के साथ मिसबिहेव करता था...”
“मैं जानूं श्यामला जाने ! ये साला किस वास्ते बीच में आन टपका ?”
“क्या बोलता है, जैकी ! तेरा मतलब है श्यामला को तेरा रफ, रॉटन, मिसबिहेवियर मंजूर ?”
श्यामला तत्काल जोर जोर से इंकार में सिर हिलाने लगी ।
“तू साला टुन्न है । इतना कि फीमेल कम्पनी के काबिल नहीं ।”
जैकी परे देखने लगा ।
“अभी क्या बोलता है ?”
जैकी ने जवाब न दिया ।
“मैं बोलता हूं ।” - नीलेश बोला - “ये इधर रामपुरी लेकर आया । ऐसा घातक हथियार पास रखना अपराध है, उसको इस्तेमाल में लाने की कोशिश गम्भीर अपराध है । ये मेरे को स्टैब करने लगा था । इरादायकत्ल की दफा लगेगी । मैं पुलिस को फोन करता हूं ।”
जैकी भयभीत दिखाई देने लगा, उसका नशा पहले ही हिरण हो चुका था, उसने पनाह मांगती निगाहों से अपने साथियों की तरफ देखा ।
“नो !” - श्यामला मजबूती से इंकार में सिर हिलाती बोली - “नो पुलिस बिजनेस !”
“बट हनी...” - पहले युवक ने कहना चाहा ।
“नो !” - श्यामला दृढ़ता से बोली ।
तभी पुजारा वहां पहुंचा ।
“बेबी इज राइट !” - वो बोला - “ नो पुलिस !”
कोई कुछ न बोला ।
“मैं सोने की तैयारी करता था । मेरे को कुक बुला के लाया । बेबी, ऐसे वायलेंट भीङू के साथ तेरे को लेट नाइट में बाहर नहीं होने का ।”
“मैं अकेली तो इसके साथ नहीं थी” - श्यामला रुआंसे स्वर में बोली - “चार जने और भी तो थे !”
“फिर भी...”
“अभी क्या बोलूं ! मैंने सपने में नहीं सोचा था कि ये मेरे साथ ऐसे पेश आयेगा, जबरदस्ती करने लगेगा, चाकू चमकाने लगेगा…”
“नशे में माथा घूम गया !” - पहला युवक बोला ।
“हम सब जैकी के व्यवाहार से शर्मिंदा हैं ।” - दूसरा युवक बोला ।
“सब !” - नीलेश बोला - “सिवाय इसके ! दि नाइफ वील्डिंग जैकी दादा के !”
“जैकी ! सारी बोल, ईडियट !”
“दि बैस्ट !” - पुजारा बोला - “सारी बोल, भीङू समझ सस्ता छूटा, और निेकल ले ।”
“क्-क्या !” - जैकी के मुंह से निकला, उसकी निगाह स्वयंमेव ही बड़े केबिन की टेबल पर लगे खाने की ओर उठ गयी ।
“दाने दाने पर खाने वाले का नाम होता है । तेरा नहीं है । था तो समझ मिट गया । क्या !”
उसने बेचैनी से पहलू बदला ।
“अभी क्या सोचता है ? अकेले निकल लेना मुश्किल तेरे वास्ते ? पुलिस एस्कार्ट के साथ ही जायेगा ?”
वो अपनी जगह से हिला, उसकी निगाह पैन होती अपने साथियों पर फिरी । कहीं उसे हमदर्दी के दर्शन न हुए ।
उसने एक गहरी सांस ली, कदम आगे बढ़ाया और परे लुढ़के पड़े अपने चाकू की तरफ देखा ।
“कांटी इधरीच छोड़ के जाने का ।” - पुजारा सख्ती से बोला - “पोजेशन भी क्राइम । मालूम !”
फर्श पर लुढ़के पड़े चाकू की तरफ बढ़ता वो ठिठका ।
नीलेश ने आगे बढ़ कर चाकू उठाया और उसे अपनी जेब के हवाले किया जैकी मेन डोर की तरफ बढ़ा ।
तभी मेन डोर खुला और दो वर्दीधारी पुलिसियों ने भीतर कदम रखा ।
पुजारा सकपकाया ।
“ये कैसे आ गये ?” - उसके मुंह से निकला ।
नीलेश ने अनभिज्ञता से कंधे उचकाये ।
आगंतुकों में एक हवलदार था और दूसरा तीन सितारों वाला इंस्पेक्टर था । हवलदार नीलेश का जाना पहचाना जगन खत्री था, इंस्पेक्टर के बारे में उसका अंदाजा था कि वो एसएचओ था, अलबत्ता एसएचओ से रूबरू मुलाकात का उसका कोई इत्तफाक पहले नहीं हुआ था ।
एसएचओ अनिल महाबोले उम्र में कोई चालीस साल का, उम्दा तंदुरुस्ती वाला सख्तमिजाज व्यक्ति था । उसकी निगाह पैन होती दायें से बायें, बायें से दायें फिरी ।
“क्या हो रहा है ?” - वो दबंग लहजे से बोला ।
तत्काल श्यामला के अलावा सारा ग्रुप एक साथ बोलने लग गया ।
वो खामोश हुए तो महाबोले ने एक लम्बी हुंकार भरी और फिर सख्त निगाह से फसाद की जड़ जैकी की तरह देखा ।
जैकी की सारी दिलेरी, सारा अक्खड़पन कब का हवा हो चुका था, वो अपने आप में सिकुड़ कर रह गया ।
महाबोले की निगाह उस पर से छिटकी तो श्यामला पर पड़ी ।
श्यामला बेचैनी से पहलू बदलने लगी और निगाहें चुराने लगी ।
“तेरे को इधर आने का नहीं था ।” - महाबोले बोला ।
“स-सारी ! ” - श्यामला दबे स्वर में बोली ।
“वाट सारी ! पहले भी बोल के रखा ! नहीं ?”
“हं-हां ।”
“कोई गलत बोला मैं इधर न आने को बोल कर ! अभी गलाटा हुआ न !”
“होने को था । गोखले ने सेव किया, प्रापर्ली हैंडल किया, इस वास्ते...”
“गोखले ?”
“नीलेश गोखले ।” - श्यामला ने नीलेश की तरफ इशारा किया - “इसने टाइम पर एक्ट किया इस वास्ते...सब ठीक हो गया ।”
“हूं ।” - महाबोले नीलेश की तरफ घूमा - “तो तुम हो गोखले !”
नीलेश ने अदब से सहमति में सिर हिलाया ।
“मेरे को जानते हो ?”
“बोले तो आप अनिल महाबोले हैं - आइलैंड के थाने के थानाध्यक्ष । एसएचओ ।”
“हूं ।” - महाबोले बोला, फिर उसने हवलदार को आदेश दिया - “थाम !”
जगन खत्री ने आगे बढ़ के जैकी को अपनी गिरफ्त में ले लिया ।
“तुम भी चलो ।” - महाबोले श्यामला से बोला ।
“मैं !” - श्यामला हड़बड़ाई - “कहां ?”
“थाने । वहां से मैं खुद तुम्हें घर छोड़ के आऊंगा ।”
“मैं...मैं फ्रेंड्स के साथ जाऊंगी ।”
“फ्रेंड्स कहां रखे हैं साथ जाने को ? ये सब तो अभी डिसमिस हो रहे हैं । सुना सबने !”
|