Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
10-27-2020, 12:48 PM,
#9
RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
तीव्र अनिच्‍छापूर्ण भाव से हवलदार ने रास्‍ता छोड़ा तो पहले उस के पहलू से गुजरती श्‍यामला बाहर निकली फिर उसके पीछे नीलेश ने यूं बाहर कदम रखा जैसे किसी भी क्षण पीछे से हमला होने की उम्‍मीद कर रहा हो ।
निर्विघ्न वो थाने की इमारत से बाहर निकल कर फुटपाथ पर पहुंचे ।
“आगे कैसे जायेंगे ?” - नीलेश बोला - “मेरे पास तो कोई सवारी...”
“अभी चुप रहो” - वो जल्‍दी से बोली - “यहां से दूर निकल चलो, जो कहना हो, फिर कहना ।”
“मैं तो खाली ये कह...”
“नो ! महाबोले का इरादा बदल सकता है, पता नहीं किस सेंटीमेंट के हवाले अभी पीछे उसने जो फैसला किया, वो उसे पलट सकता है । मेरा तो फिर भी कुछ नहीं बिगड़ेगा, तुम्‍हारी वाट लग जायेगी ।”

“ओह !”
“चलो । जल्‍दी । तेज ।”
कोई आधा किलोमीटर वो दोनों दौड़ने से जरा ही कम तेज पैदल चले ।
एकाएक वो एक संकरी गली के दहाने पर रुकी ।
“थैंक्‍यू !” - वो तनिक हांफती सी बोली - “आगे मैं खुद चली जाऊंगी ।”
उसने नीमअंधेरी गली में कदम डाला और तेजी से उसमें आगे बढ़ चली ।”
पीछे नीलेश ठगा सा खड़ा हुआ । फिर उसने जेब से सिग्रेट का पैकट निकाल कर एक सिग्रेट सुलगाया और उसके कश लगाता भारी कदमों से उस दिशा में बढ़ा जिधर उसका छोटा सा किराये का कॅाटेज था ।

पीछे थाने में वक्‍ती जोशोजुनून के हवाले होकर जो उसने किया था, उसको याद कर के अब वो बहुत असहज महसूस कर रहा था । श्यामला की खतिर उसने नाहक थानाध्‍यक्ष का फोकस खुद पर बना लिया था । हैडक्‍वार्टर में बैठा टॉप ब्रास जरुर उसके उस कदम को बहुत गलत करार देता क्‍योंकि वो उसके आइंदा अभियान में आडे़ आ सकता था ।
पीछे थाने में महाबोले हवलदार जगन खत्री से मुखातिब था ।
“है कौन ये नीलेश गोखले ?” - वो बोला ।
“सर जी, कोंसिका क्‍लब का बाउंसर-कम-बारमैन-कम जनरल हैण्डीमैन है ।”
“वो तो हुआ लोकिन असल में कौन है ?”

“ये तो मालूम नहीं, सर जी । नवां भीङू है, अभी मु‍श्किल से दो हफ्ता हुआ है आईलैंड पर पहुंचे ।”
“और कुछ नहीं मालुम उसकी बाबत ?”
“और तो कुछ नहीं मालूम उसकी बाबत?”
और तो कुछ नहीं मालूम, सर जी ।”
“हूं ।”
“सर जी, आपने उसे जाने क्‍यों दिया ?”
“वांदा नहीं । तब लड़की की वजह से वहीच कदम ठीक था ।”
“पण...”
“अरे, क्‍या पण ! आईलैंड पर ही है न ! जब चाहेंगे फिर थाम लेंगे ।”
“बरोबर बोला, सर जी ।”
“अभी उसको खामोशी से चैक करने का, जानकारी निकालने का कि असल में वो है कौन ! किधर से आया ! जिधर से आया, उधर क्‍या करता था ! कोंसिका क्‍लब में एम्‍पलायमेंट के लिये उसको कौन रिकमेंड किया !”

“वो तो मैं करेगा, सर जी, पण ये सब करना काहे को !”
“ढ़क्‍कन ! क्योंकि मैं बोला करने को ।”
“सारी बोलता है, बॉस ।”
***
दस बजे के करीब नीलेश सो कर उठा ।
सूरज सिर पर चढ़ आया हुआ था । शीशे की खिड़कियों पर पडे़ पर्दों में से छन कर धूप की तीखी रोशनी आ रही थी, बाहर सड़क पर व्‍यस्‍त यातायात की आवाजाही का शोर था । सड़क से पार झील में बसे मनोरंजन पार्क से अभी से संगीत की स्‍वर ल‍हरियां उठनी शुरु हो भी चुकी थीं ।
वो हड़बड़ाकर उठा और टायलेट में दाखिल हुआ ।

आधे घंटे में वो नहा धो कर, एक प्‍याली चाय पी कर, नये कपडे़ पहन कर काटेज से निकाला और पैदल चलता मेन पायर पर पहुंचा जहां के एक रेस्‍टोरेंट में उम्‍दा ब्रेकफास्‍ट सर्व होता था ।
शीशे की एक विशाल खिड़की के करीब की एक टेबल पर वो ब्रेकफास्‍ट के लिये बैठा । ब्रेकफास्‍ट के दौरान अनायास ही उसकी निगाह बाहर की ओर उठी तो उसे मेन रोड से पायर की ओर बढ़ता एक सिपाही दिखाई दिया जो कि इतनी मोटी तोंद वाला था कि अपनी वर्दी में फंसा जान पड़ता था और जिसकी बाबत नीलेश जानता था कि उसका नाम दयाराम भाटे था । नीलेश की उसकी तरफ तवज्‍जो जाने की वजह से थी कि उस घड़ी उसके साथ पिछली रात वाला जैकी नाम का नौजवान था । पिछली रात का माडर्न, सजाधजा, स्‍टाइलिश नौजवान उस वक्‍त उजड़ा चमन लग रहा था । उसकी शर्ट और जींस का बुरा हाल था, जैकेट मैले तौलिये की तरह बायी बांह पर झूल रही थी और सिर पर से फैंसी गोल्‍फ कैप नदारद थी जिसकी वजह से उसके बेतरतीब बाल नुमायां थे । सूरत बताती थी कि थाने में किसी वजह से छोटी मोटी ठुकाई भी हुई थी ।

सिपाही दयाराम भाटे ने अपनी देखरेख में उसे एक स्‍टीमर पर सवार कराया और स्‍टीमर के एक कर्मचारी को उसकी बाबत कुछ समझाया ।
जरुर सुनि‍श्‍चि‍त कर रहा था कि टूरिस्‍ट की तफरीह एक्‍सटेंड न होने पाये ।
‘बुरी हुई बेचारे के साथ’ - नीलेश होंठों से बुदबुदाया - ‘नशे ने नाश कर दिया ।’
ब्रेकफास्‍ट से फारिग होकर नीलेश रेस्‍टोरेंट से बाहर निकला लेकिन अभी उसने कोंसिका क्‍लब का रुख न किया । उसने एक सिग्रेट सुलगाया और लापरवाही से टहलता हुआ आईलैंड के बीच पर पहुंचा ।
अभी तब ग्‍यारह ही बजे थे लेकिन बीच पर पर्यटकों की, सैलनियों की पूरी पूरी भरमार हो भी चुकी थी । लोग बाग किनारे की रेत में पसरे सुस्‍ता रहे थे, समुद्र में स्‍व‍िमिंग का आनंद ले रहे थे, पिकनिक मना रहे थे ।
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RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट - by desiaks - 10-27-2020, 12:48 PM

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